INDIA गठबंधन के 21 सांसदों ने हाल ही में हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर का दौरा किया था. 29 और 30 जुलाई को हुए इस दौरे के बाद अब INDIA की पार्टियों के यह 21 सांसद 2 अगस्त को सुबह 11:30 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे. INDIA की सभी पार्टियों के सदन के नेता उनके साथ होंगे.
मणिपुर से लौटने के बाद विपक्षी गुट I.N.D.I.A. के सांसदों ने कहा था कि यह हम सभी के लिए एक कठिन दिन रहा. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम 4 राहत शिविरों में गए और लोगों का दर्द सुना. महिलाएं यह बताते हुए रो पड़ीं कि कैसे उन पर हमला किया गया. गोगोई ने कहा था कि हम लोग नई संसद में इस दौरे में सामने आई डरावनी कहानियों को उठाएंगे.
पीड़ितों का छलका दर्द, कहा- सीएम पर भरोसा नहीं
मणिपुर दौरे पर TMC सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि पूरा विपक्ष मणिपुर के साथ है. JMM सांसद महुआ माजी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि मणिपुर में शांति लौट आई है, लेकिन शांति कहां है? राज्य अभी भी जल रहा है. जबकि DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि लोग सरकार द्वारा अपमानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया यहां के लोगों को लगता है कि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया और हिंसा जारी रही तो उन्हें सीएम एन बीरेन सिंह पर कोई भरोसा नहीं है.
पीड़िता बोली- पुलिस के सामने मेरा रेप किया
मणिपुर से लौटने के बाद सांसद सुष्मिता देव ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की मां ने कहा कि उनकी बेटी के साथ रेप बलात्कार किया गया. उसके पति और बेटे को भीड़ ने मणिपुर पुलिस की मौजूदगी में मार डाला, लेकिन आज तक एक भी पुलिस अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया है. इससे उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है. वे कह रहे हैं कि 1000 से अधिक लोगों की भीड़ थी और उन्होंने एक विशेष मांग की है, जिसे मैं राज्यपाल के सामने उठाऊंगी. उन्होंने बताया कि एक लड़की ने आरोप लगाया कि पुलिस के सामने उसके साथ रेप किया गया, लेकिन पुलिस ने उसकी मदद नहीं की. सांसद देव ने दावा किया कि पीड़िता अब पुलिस से डरती है. इससे साफ होता है कि किसी पीड़ित को पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो यह एक संवैधानिक संकट है.
मणिपुर में कब भड़की हिंसा?
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. जानकारों का मानना है कि बातचीत से ही इस हिंसा को शांत किया जा सकता है, लेकिन समस्या ये है कि बातचीत को कोई तैयार हो नहीं रहा है. हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं.