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वो सिर्फ 17 साल की थी. घर से स्कूल जाने के लिए निकली थी. घर से निकले 6 या 7 मिनट ही हुए थे. तभी बाइक पर सवार होकर दो नकाबपोश लड़के आए और उस पर एसिड फेंककर चले गए. वो मदद के लिए चिल्ला रही थी. साथ में छोटी बहन भी थी. वो दौड़कर घर गई और मम्मी-पापा को बताया कि दीदी के साथ क्या हुआ.
ये वाकया राजधानी दिल्ली में 14 दिसंबर की सुबह को उस समय हुआ, जब सड़क पर भीड़ थी. घटना पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर के मोहन गार्डन इलाके की है.
17 साल की उस बच्ची का सफदरजंग अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने बताया कि वो होश में है, लेकिन उसका चेहरा 8 फीसदी तक जल गया है. आंखों के आसपास भी जला है, लेकिन आईसाइट ठीक है.
पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पहला है- सचिन अरोड़ा, जो मुख्य आरोपी है. सचिन ने ही पीड़िता पर एसिड फेंका. सचिन और पीड़िता की इसी साल सितंबर में दोस्ती हुई थी. पर बाद में दोस्ती टूट गई और उसने एसिड से हमला कर दिया. दूसरा आरोपी वीरेंद्र सिंह है, जो सचिन का दोस्त है. वीरेंद्र ने जांच को भटकाने की कोशिश की थी. वो घटना वाले दिन सचिन की गाड़ी और फोन लेकर दूसरी जगह चला गया था, ताकि जब जांच हो तो सचिन की लोकेशन उस जगह की आए. तीसरे आरोपी का नाम हर्षित अग्रवाल है जो हमले के समय सचिन के साथ बाइक पर सवार था.
पुलिस ने बताया कि आरोपी सचिन ने फ्लिपकार्ट से एसिड खरीदा था. इस मामले में फ्लिपकार्ट को नोटिस जारी किया गया है. वहीं, दिल्ली महिला आयोग ने भी एसिड की बिक्री को लेकर फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजा है और 20 दिसंबर तक जवाब मांगा है.
2013 से प्रतिबंध, फिर क्यों बिक रहा एसिड?
भारत में कहीं भी एसिड को खुले बाजार में नहीं बेचा जा सकता. 2013 से इसकी बिक्री पर रोक है. उसके बावजूद एसिड खुलेआम बिकता है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. स्वाति मालीवाल ने कहा, 'दिल्ली महिला आयोग ने कई बार नोटिस जारी किए, कई सारे सुझाव दिए, लेकिन तब भी एसिड बिक रहा है. जैसे सब्जी बिकती है, वैसे ही कोई भी एसिड खरीद सकता है और लड़की पर फेंक सकता है. इस पर सरकार सो क्यों रही है? जब किसी लड़की पर एसिड से हमला होता है तो उसकी रूह डर जाती है और उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है.'
इसी साल अक्टूबर में दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली सरकार के डिविजनल कमिशनर को नोटिस भेजकर उन एसडीएम के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी जो एसिड की बिक्री को लेकर जारी गाइडलाइंस को ठीक तरीके से लागू नहीं कर रहे हैं. महिला आयोग ने दावा किया था कि दिल्ली के जिलों में एसिड बिक्री को लेकर निरीक्षण भी नहीं होता है.
डराते हैं आंकड़े?
एसिड सर्वाइवर्स ट्रस्ट इंटरनेशनल (ASTI) का कहना है कि दुनिया के कई देशों में एसिड हमले अब भी आम है. एसिड हमलों में 80 फीसदी पीड़ित लड़कियां या महिलाएं होती हैं.
ASTI के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा एसिड हमले ब्रिटेन में होते हैं. हालांकि, ब्रिटेन में एसिड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल गैंगवार में होता है. 2018 में ब्रिटेन में एसिड हमले के 500 से ज्यादा मामले सामने आए थे. अकेले लंदन में ही 300 से ज्यादा मामले सामने आए थे. वहां पर अपराधी हथियार के तौर पर एसिड का इस्तेमाल करते हैं.
ब्रिटेन के बाद भारत का नंबर आता है. केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में देशभर में एसिड अटैक के 102 मामले सामने आए थे. जबकि, 48 मामले एसिड अटैक की कोशिश के दर्ज हुए थे. हालांकि, ASTI का मानना है कि भारत में हर साल एक हजार से ज्यादा मामले सामने आते हैं. ASTI का कहना है कि अदालत में एसिड अटैक के मामले का निपटारा होने में औसतन 5 से 10 साल का समय लगता है. जबकि, 76 फीसदी मामलों में आरोपी पीड़िता का ही कोई पहचानने वाला होता है.
कितना खतरनाक होता है एसिड अटैक?
एसिड अटैक इतना खतरनाक होता है कि इसमें या तो पीड़ित की जान चली जाती है या फिर अगर जान बच भी जाए तो जिंदगी सिर्फ बोझिल और दर्दनाक बनकर रह जाती है.
शायद यही वजह है कि नवंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा था, 'एसिड हमला, हत्या से भी बदतर है.'
एसिड हमले का शिकार होने वाले का चेहरा बुरी तरह झुलस जाता है. आंखों पर से पलकें जल जाती हैं. इस कदर तक जले हुए नथूने कि सांस भी ढंग से न ली जा सके. एसिड परत दर परत जलाता है. पहले त्वचा जलती है, फिर मांस जलता है और कई बार हड्डी तक जल जाती है. ये सब उस बात पर निर्भर करता है कि शरीर एसिड पर कितनी देर तक है. एसिड अटैक होने पर तब तक जलन होती है, जब तक वो पूरी तरह से धुल न जाए.
अगर किसी व्यक्ति के चेहरे पर एसिड गिरता है तो आंख, कान, नाक और मुंह तेजी से जलने लगते है. पलकें और होंठ पूरी तरह से जल सकते हैं. नाक पिघल सकती है, नथुने बंद हो सकते हैं और कान सिकुड़ सकते हैं. आंख बुरी तरह से जल सकती है, जिससे पीड़ित अंधा हो सकता है. इतना ही नहीं पीड़ित की खोपड़ी, माथा और गाल भी पिघल सकते हैं.
एसिड हमले का शरीर पर क्या असर होता है? इसे लेकर भारत में कोई स्टडी नहीं हुई है. लेकिन युगांडा में एक स्टडी में हुई थी. इस स्टडी में सामने आया था कि एसिड अटैक होने पर पीड़ित औसतन 14 फीसदी तक शरीर जल जाता है. स्टडी में 87% पीड़िताओं ने चेहरा जलने की बात मानी थी. 67% पीड़िताओं का सिर और गला भी जल गया था. और 54% पीड़ित ऐसे थे जिनकी छाती तक जल गई थी. वहीं 31% पीड़ित या तो पूरी तरह अंधे हो गए थे या धुंधलापन आ गया था.
एसिड अटैक होने पर क्या किया जाए?
इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, एसिड अटैक या केमिकल अटैक होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. लेकिन डॉक्टर के पास जाने से पहले भी कुछ ऐसे तरीके होते हैं जिससे एसिड अटैक से होने वाली जलन को कम किया जा सकता है और डैमेज को कम किया जा सकता है.
NHS के मुताबिक, सबसे पहले तो एसिड को कपड़ों से हटाने की कोशिश करें, लेकिन ये ध्यान रखें कि ये आंख या त्वचा से टच न हो. स्किन को हाथ से साफ न करें.
ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसायटी के मुताबिक, एसिड अटैक होने के तुरंत बाद पीड़ित को कम से कम 20 मिनट तक ठंडे पानी के नीचे बैठाएं, ताकि केमिकल निकल जाए. हालांकि, इस दौरान ये भी ध्यान रखें कि पानी त्वचा पर जमा न हो और बह जाए. अगर पानी नहीं है तो दूध या कोला भी जलन वाली जगह पर डाल सकते हैं.
लेकिन जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी पीड़ित को अस्पताल लेकर पहुंचे. वहां पर भी सबसे पहले पानी से ही एसिड को साफ किया जाएगा. इसके बाद कई तरह की सर्जरी आएगी.
एसिड हमलों पर क्या है कानून?
भारत में पहले एसिड हमलों को लेकर कोई कानून नहीं था. पहले ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 326 के तहत 'गंभीर रूप से जख्मी' करने का केस दर्ज होता था.
एसिड हमलों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए 2013 में आईपीसी में 326A और 326B की धारा जोड़ी गई.
धारा 326A कहती है कि अगर कोई भी किसी व्यक्ति एसिड से हमला करता है तो दोषी पाए जाने पर 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. साथ ही दोषी से जुर्माना भी लिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल पीड़ित के इलाज के खर्च में किया जाएगा.
वहीं, धारा 326B के तहत एसिड हमले की कोशिश करने वाले को 5 से 7 साल तक की कैद हो सकती है और उससे जुर्माना भी वसूला जा सकता है.
इसके अलावा एसिड हमलों के पीड़ितों के इलाज और सुविधाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस भी हैं. इसके तहत, सरकार को पीड़ित को तुरंत तीन लाख रुपये की मदद करनी होगी. पीड़ित का मुफ्त इलाज भी करवाया जाएगा. गाइडलाइंस ये भी कहती है कि कोई भी अस्पताल एसिड हमले के पीड़ित का इलाज करने से मना नहीं कर सकता.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को एसिड नहीं बेचा जा सकता. साथ ही खुले बाजार में भी एसिड की बिक्री नहीं हो सकती. अगर कोई एसिड खरीद रहा है तो उसके पास आईडी होनी जरूरी है और बेचने वाले को खरीदार का पता भी रखना होगा. इसके अलावा अगर कोई गैर-कानूनी ढंग से एसिड की बिक्री करता है तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.