दिल्ली के एम्स (Delhi AIIMS) अस्पताल में देश भर से लोग इलाज कराने आते हैं. ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिसके इलाज की सुविधा यहां ना हो. ऐसे में यहां के कैंसर डिपार्टमेंट ने मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए OPD Registration की टाइमिंग बदल दी है. यानी अगर कोई मरीज यहां के कैंसर विभाग में डॉक्टर को दिखाना चाहता है तो पर्चा बनवाने का समय अब बदल गया है.
बदल गया पर्चा बनवाने का समय
दिल्ली एम्स के कैंसर विभाग में मरीजों का पर्चा अब सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक बनेगा. पर्चा हफ्ते के सभी कार्य दिवस (सोमवार से शनिवार) तक बनेगा. वहीं दिल्ली एम्स सुनिश्चित करेगा कि किसी भी मरीज को बिना परामर्श वापस ना भेजा जाए.
दिल्ली एम्स में डॉ. बी. आर.ए. इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल है. नए आदेश के मुताबिक सिर्फ पर्चा बनने के समय में ही बदलाव नहीं हुआ है. बल्कि मरीजों को अतिरिक्त सुविधा देने का भी प्रबंध किया गया है. जहां एक तरफ पर्चा बनने का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक होगा, वहीं मरीजों को कैंसर विभाग में शाम 5 बजे तक देखा भी जाएगा. मरीजों को देखने के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट का एक रेजिडेंट डॉक्टर रोटेशन के आधार पर क्लीनिक में मौजूद रहेगा.
हाल में बदले एम्स के डायरेक्टर
हाल ही में डॉ. एम. श्रीनिवास को ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) का नया निदेशक बन गया है. इससे पहले वह एसिक मेडिकल कॉलेज एडं हॉस्टिपटल, हैदराबाद (ESIC Medical College) के डीन थे. उन्होंने डॉ. रणदीप गुलेरिया की जगह ली है. डॉ. एम. श्रीनिवास दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में कार्यरत थे. 2016 में उन्हें हैदराबाद में ESIC अस्पताल और मेडिकल कॉलेज को रिवाइव करने के लिए चुना गया था. कहा जाता है कि उनके नेतृत्व में यह आज भारत के सबसे व्यस्ततम अस्पतालों में से एक बन गया है. वे अपने देश के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स में से एक माने जाते हैं.
सिक्योरिटी गार्ड से चाय मंगाने पर रोक
एम्स में आते ही उनकी ये कार्यशैली का असर भी दिखने लगा है. उन्होंने सर्कुलर जारी कर सिक्योरिटी गार्ड्स से चाय या अन्य सामान मंगवाने पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यह संज्ञान में आया है कि अस्पताल के स्टाफ के कहने पर एक सिक्योरिटी गार्ड को चाय ले जाते देखा गया. इस तरह की घटनाओं से न सिर्फ सुरक्षा के साथ समझौता होता है बल्कि इससे सुरक्षा सेवाओं की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.
(इनपुट : राम किंकर सिंह, मिलन शर्मा)