दिल्ली (Delhi) के रणजीत नगर थाना इलाके में 8 ब्लॉक साउथ पटेल नगर में सिविस सर्विसेज एग्जाम की तैयारी कर रहे नीलेश राय की मौत हो गई. अब इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, ये बड़ा सवाल है. पटेल नगर और रणजीत नगर की सभी कॉलोनी में तारों का मकड़जाल है. आजतक ने रियलिटी चेक के दौरान पाया कि पूरे इलाके में केबल बिजली और इंटरनेट के तारों का जंजाल फैला हुआ है. RWA रणजीत नगर के जनरल सेक्रेटरी जितेंद्र साहू का कहते हैं कि कई बार इलाके के तारों को हटाने के लिए बिजली कंपनी को लिखा है लेकिन ये हटाए नहीं गए.
पॉश और कच्ची कॉलोनियों में केबल और इंटरनेट माफिया का कब्जा
अनधिकृत कॉलोनी से लेकर नियमित कॉलोनी में केबल टीवी और इंटरनेट माफिया फैला हुआ है. ये बिजली विभाग और स्थानीय पुलिस के अधिकारियों से मिली भगत करके बिजली के खंभों पर केबल टीवी और इंटरनेट के बक्से में से तार गुजार देते हैं, जिसमें करंट आने का खतरा रहता है. इसमें प्राइवेट केबल टीवी और इंटरनेट माफिया का हाथ होता है. बिना इजाजत के बिजली के खंभों का इस्तेमाल कर रहे हैं. गलियों और कॉलोनी में लगे खंभों पर अवैध तारों की वजह से बारिश के दौरान हादसे का खतरा होता है.
राजधानी में पहले भी हो चुके हैं हादसे
कौन जिम्मेदार, किस पर कार्रवाई?
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेद भूषण का कहना है कि करंट लगने से हुई मौत के मामले में जल्दी गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है. दरअसल, घटना के बाद दिल्ली सरकार का एक इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर मौके पर जाकर जांच करता है कि इलेक्ट्रॉक्यूशन की वजह क्या थी? केबल फॉल्टी था, सब स्टैंडर्ड बिजली के सामान थे या फिर कोई और वजह? पोस्टमार्टम रिपोर्ट और इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर ही दिल्ली पुलिस आगे की कार्रवाई करती है.
NDMC में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे पीएल झंडू को चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को करंट से होने वाली मौत के सूचना देनी होती है. लोकल थाना पुलिस इस पूरे मामले की जानकारी देती है. अर्थ रेजिस्टेंस क्या है, कोई लूज कनेक्शन तो नहीं.
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रणजीत नगर थाना इलाके में आम आदमी पार्टी के पार्षद अंकुश नारंगने केवल ऑपरेटर को तारों के जंजाल को खत्म करने के लिए पत्र लिख दिया है, तो दूसरी तरफ बीजेपी के प्रवीण शंकर कपूर ने ट्विटर पर लिखा.
'जांच होनी चाहिए...'
रणजीत नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अनिल कहते हैं कि एमडी इस बात की जांच करें कि कॉलोनी में लगने वाला कम्युनिटी गेट वैध था या अवैध.
बता दें कि कुछ साल पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बारे में आदेश किया था कि किसी भी कम्युनिटी में गेट बिना एजेंसी की परमिशन के नहीं लगाया जा सकता और ना ही उसे बंद किया जा सकता है.
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