राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर से पैदा हुई बीमारियों के फैलने को रोकने और कंट्रोल करने के लिए निगम की टीमें लग गई हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अब तक एमसीडी ने कुल 610 केस रिपोर्ट किए हैं. अगर पुराने आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो, पिछले साल 7 अगस्त तक यह नंबर सिर्फ 348 था और डेंगू की वजह से एक मौत रिपोर्ट की गई थी.
डीएमसी अधिनियम के तहत मलेरिया और अन्य वेक्टर जनित रोगों के उपनियमों के प्रावधान के तहत, 97,397 कानूनी नोटिस, 32,384 चालान और 7,929 जुर्माने लगाए गए हैं. बार-बार मच्छरों का प्रजनन मिलने पर दोषियों के खिलाफ पुलिस शिकायत भी दर्ज की जाएगी.
घर-घर जाकर जांच: निगम द्वारा 2.59 करोड़ से ज्यादा घरों का दौरा किया गया है, जिसमें 1.56 लाख घरों में मच्छरों के प्रजनन वाली जगहें पाई गई हैं.
दवाई के छिड़काव के उपाय: निगम के जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा 4.20 लाख से ज्यादा घरों में कीटनाशक का छिड़काव और फॉगिंग की गई है.
कीटनाशक का नियमित छिड़काव: नालियों, नालों, जल निकायों और सतही जल संग्रहों पर साप्ताहिक रूप से मैनुअल और मोटर चालित स्प्रेयर का उपयोग करके छिड़काव किया जा रहा है.
जैविक नियंत्रण उपाय: स्वच्छ जल संग्रह वाली जगहों की बात करें तो, 213 स्थानों पर लार्वा-भक्षी मछलियां डाली गई हैं.
हॉटस्पॉट्स पर स्पेशल अभियान: पुलिस स्टेशन, निर्माण स्थल, पार्क, अस्पताल, स्कूल, सरकारी कार्यालय और डीटीसी डिपो जैसे संवेदनशील इलाकों को कवर करने के लिए 23 विशेष मच्छर रोधी उपाय संबंधी अभियान चलाए गए हैं.
स्पेशल फॉगिंग अभियान: एमसीडी ने कावड़ शिविरों, कृष्ण जन्माष्टमी पंडालों/मंदिरों और लाल किला (IDC-2024) में भी विशेष फॉगिंग अभियान चलाया है. रेलवे वैगनों पर लगे पावर स्प्रे टैंकर्स द्वारा रेलवे ट्रैक से लगे निचले इलाकों में मच्छर रोधी दवा का छिड़काव किया जा रहा है.
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एमसीडी ने मुख्यालय और क्षेत्रीय स्तर पर 28 अंतर-क्षेत्रीय कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठकें आयोजित की हैं, जिसमें डीडीए, डीजेबी, दिल्ली पुलिस, पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी, उद्यान विभाग, आईएंडएफसी, एएसआई, शिक्षा और आईएंडएफसी विभाग जैसे प्रमुख हितधारक शामिल हैं.
दिल्ली के सभी स्कूलों के नोडल शिक्षकों को स्कूलों में मच्छरों के प्रजनन की रोकथाम के उपाय सुनिश्चित कराने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.
मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक समारोहों और धार्मिक उत्सवों में फॉगिंग और फोकल स्प्रे ऑपरेशन किए जाएंगे. मच्छरों की उत्पत्ति और बीमारी की स्थिति के आधार पर सितंबर-अक्टूबर में आउटडोर फॉगिंग ऑपरेशन तेज किए जाएंगे. सार्वजनिक भूमि पर लार्वा रोधी उपायों को तेज किया जाएगा. बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कानूनी नोटिस, चालान और प्रशासनिक शुल्क लगाए जाएंगे.
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