दिल्ली की एक अदालत ने अलकायदा के दो संदिग्धों सैयद मोहम्मद जीशान अली और डॉ. सबील अहमद को एक टेरर केस में बरी कर दिया है. उन पर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने का संगीन आरोप था. इसके साथ ही अदालत ने इसी मामले में चार अन्य आतंकियों को दोषी करार दिया है.
विशेष न्यायाधीश संजय खानगवाल ने मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान कासमी, मोहम्मद आसिफ, जफर मसूद और अब्दुल सामी को दोषी ठहराते हुए कहा कि उनके खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप साबित किए गए हैं. अदालत 14 फरवरी को दोषियों की सजा पर दलीलें सुनने के बाद सजा सुना सकता है.
जज ने कहा कि आसिफ, मसूद, रहमान और सामी को यूएपीए की धारा 18 और 18बी के तहत दोषी ठहराया गया है. इस बीच एक्यूआईएस के दो संदिग्ध सदस्यों सैयद मोहम्मद जीशान अली और सबील अहमद को मामले में बरी कर दिया गया.
वहीं, अदालत ने मोहम्मद जीशान अली और डॉ. सबील अहमद को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है. इसके बाद पीठ ने उन्हें 10-10 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने का निर्देश दिया.
आतंक की टाइमलाइन
इस मामले में दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें दिसंबर 2015 में जानकारी मिली थी कि आतंकी संगठन अलकायदा भारत में अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) के जरिए पैठ बनाने की कोशिश रहा था.
यह भी जानकारी मिली थी कि पश्चिमी यूपी के जिलों के कुछ युवा पहले ही भारत छोड़ चुके थे और पाकिस्तान में आतंकी कैंप्स में भर्ती हो गए थे. अलकायदा का एक मॉडयूल यूपी के संभल जिले में एक्टिव था. इस जानकारी के मिलने पर पश्चिमी यूपी में हमारे सूत्रों को काम पर लगाया गया. इस संबंध में अधिक जानकारी मिलने पर पता चला कि संभल के रहने वाले मोहम्मद आसिफ ईरान और तुर्की सहित विदेश भी गए थे और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे.
इसके बाद एनडीआर की टीम ने 14 दिसंबर 2015 को मोहम्मद आसिफ को धर दबोचा था. बाद में पता चला कि वह एक्यूआईएस की भारत इकाई का प्रमुख था. उससे पूछताछ के बाद संभल से ही जफर मसूद, कटक से अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया गया. पता चला कि मोहम्मद अब्दुल रहमान गैरकानूनी ढंग से पाकिस्तान गया था और जकी-उर-रहमान और साजिद सहित शीर्ष आतंकियों से मिला था. दोनों ही मुंबई हमले के आरोपी हैं. इसके बाद 2016 में मेवात से अब्दुल समीर को गिरफ्तार किया गया, जिसने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था.
इन आतंकियों से पूछताछ के दौरान सैयद मोहममद जीशान अली और डॉ. सबील अहमद का नाम भी सामने आया था, जिन पर अलकायदा के लिए आतंकी फंडिंग करने का आरोप था. चूंकि, मोहम्मद जीशान अली यूएई में था तो उन्हें 2017 में यूएई से डिपोर्ट कर गिरफ्तार किया गया. उसके बाद डॉ सबील अहमद को 2020 में डिपोर्ट कर गिरफ्तार किया गया.