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दिल्ली: जिला जज के अश्लील वीडियो पर हाईकोर्ट सख्त, सोशल मीडिया से क्लिप हटाने के आदेश दिए

हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा- वीडियो के सभी सर्कुलेशन को ब्लॉक करने के लिए तत्काल कदम उठाएं. वीडियो में देखी जा रही महिला कर्मचारी ने अपनी निजता पर चिंता जताई है और एक अर्जेंट याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर वीडियो को तुरंत नहीं हटाया गया तो उसकी निजता को अपूरणीय क्षति हो सकती है.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.

दिल्ली में जिला जज के एक कथित अश्लील वीडियो को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. इसके साथ ही बुधवार देर रात HC ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से ये वीडियो हटाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पीड़ित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा है कि वीडियो वायरल होने से महिला कर्मचारी की निजता का हनन हो रहा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म को तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है.

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जानकारी के मुताबिक, पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर एक अश्लील वीडियो वायरल हो रहा है. कहा जा रहा है कि ये वीडियो दिल्ली के एक जिला जज का है. इसमें वह एक महिला के साथ अश्लील हरकतें करते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए हैं. ये महिला न्यायालय में कर्मचारी बताई गई है.

इस मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्जेंट याचिका पर सुनवाई की और सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को आदेश जारी किए. HC ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तत्काल प्रभाव से वीडियो हटाने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा कि वीडियो के सभी सर्कुलेशन को ब्लॉक करने के लिए तत्काल कदम उठाएं. वीडियो में देखी जा रही महिला कर्मचारी ने अपनी निजता पर चिंता जताई है और एक अर्जेंट याचिका दायर की थी.

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हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर वीडियो को तुरंत नहीं हटाया गया तो उसकी निजता को अपूरणीय क्षति हो सकती है. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वीडियो सार्वजनिक होने के बाद प्रशासनिक पक्ष से उचित कदम उठाए हैं. संबंधित अधिकारियों को वीडियो को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354C के साथ-साथ सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67A के प्रावधानों को ध्यान में रखा है, जिसमें वीडियो के आगे सर्कुलेशन, शेयरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन से प्रथम दृष्टया कानूनों का उल्लंघन होता है. वीडियो के कंटेंट और गंभीर, अपूरणीय क्षति को ध्यान में रखा गया है.

 

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