दिल्ली में बिजली के 10 फीसदी दाम बढ़ने पर सियासत तेज हो गई है. दिल्लीवासियों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने को लेकर केजरीवाल सरकार निशाने पर है. इस बीच दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने बयान दिया है.
दिल्ली में बिजली की बढ़ी हुई दरों को लेकर ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा है कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने एक आदेश जारी कर राजधानी में बिजली कंपनी का पावर परचेस एग्रीमेंट कॉस्ट (पीपीएसी) बढ़ाया है. दिल्लीवालों को पता होना चाहिए कि पीपीएसी क्या होता है और उनके बिल पर इसका क्या असर पड़ेगा.
दिल्ली में बिजली बिल बढ़ने के लिए केंद्र जिम्मेदार
उन्होंने बताया कि बिजली के दाम साल में एक बार तय होते हैं. लेकिन कोयले के दाम में उतार-चढ़ाव के हिसाब से पीपीएसी घटता या बढ़ता रहता है. दिल्ली में बिजली बिल बढ़ने के पीछे केंद्र सरकार जिम्मेदार है क्योंकि बिजली खरीदने वाली कंपनियां पांच प्लांट से बिजली खरीदती है. केंद्र सरकार 15 से 50 फीसदी से अधिक कीमत पर कंपनियों को बिजली बेच रही है.
आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार को यह बताना चाहिे कि कबी कोयले की कमी नहीं हुई. कोयले के खदान कम नहीं हुए तो कोयला महंगा क्यो? कोयले का प्रोडक्शन कम क्यों? 25 हजार रुपये प्रतिटन वाले इम्पोर्टेड कोयले का दाम, जो डेमोस्टिक कोयले से 10 फीसदी महंगा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से कोयले के दाम बढ़ते हैं तो दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर की बिजली महंगी होगी. केंद्र सरकार को कोयले और गैस के कुप्रबंधन को ठीक करना होगा.
बीजेपी का दिल्ली सरकार पर पलटवार
दिल्ली में बिजली महंगी होने के मुद्दे पर बीजेपी ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि पावर परचेज एग्रीमेंट के नाम पर टैरिफ बढ़ाया गया. आज दिल्ली में टैरफ 22 फीसदी से बढ़कर 29 फीसदी हो गया है. केजरीवाल ने पहले कहा था कि सर्दियों में बिजली सस्ती और गर्मियों में महंगी हो जाती है. मैं केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि जून 2022 में बिजली 19 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी क्यों हो गई. सर्दियों में बिजली के दाम क्यों नहीं घटे.
मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को बेवकूफ बनाया है. आपने इस साल भी बिजली के दाम बढ़ा दिए. इससे राशि बढ़कर 4000 करोड़ हो गई. अगर सरकार ने बिजली की बढ़ी हुई कीमतों को वापस नहीं लिया तो हम सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे.
बीजेपी सांसद रमेश बिधुड़ी ने कहा कि केजरीवाल दोहरी बातें करते हैं. पहले वह कहते थे कि हम बिजली की कीमतें नहीं बढ़ने दूंगा. बीते नौ सालों में बिजली का ऑडिट क्यों नहीं हुआ. सोलर सिस्टम स्कीम कहां है. बिजली के कुल 65 लाख कनेक्शन में से 83 फीसदी घरेलू हैं. केजरीवाल सरकार ने लाखों रुपये के बिजली के बिल गलत तरीके से माफ किए. वह यूएपीए सरकार के नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहे हैं.
दिल्ली केजरीवाल के लिए दुधारू गाय
दिल्ली में बिजली महंगी होने पर मचे सिसायी संग्राम के बीच पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल दावा करते हैं कि दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन यह एक ढोंग है. इस भीषण गर्मी में दिल्ली में बिजली के दामों को बढ़ाया जा रहा है.
गंभीर ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनियों के साथ मिलकर 10 फीसदी रेट बढ़ाया जा रहा है. इससे पता चलता है कि इन्हें आने वाले चुनाव में पैसे की जरूरत है. आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की कोई चिंता नहीं है, दिल्ली उनके लिए दुधारू गाय हैं, यहां से पैसा वसूलिए और बाकि राज्यों में चुनाव लड़िए.
उन्होंने कहा कि वैसे भी पांच राज्यों में चुनाव आ रहे हैं उन्हें कहीं से तो पैसा चाहिए. दिल्ली के लोगों से बेहतर क्या हो सकता है, जिससे पैसा लिया जा सके. अगर सचमुच दिल्लीवालों को दिल्ली सरकार बिजली पर सब्सिडी देना चाहती है तो वह उनके अकाउंट में डायरेक्ट कैस ट्रांसफर करें.
बता दें कि राजधानी दिल्ली में बिजली महंगी होने जा रही है. दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने पावर डिस्कॉम, बीवाईपीएल (बीएसईएस यमुना) और बीआरपीएल (बीएसईएस राजधानी) की वह मांग स्वीकार कर ली है जिसमें उन्होंने दरें बढ़ाने की अनुमति दी थी. इस फैसले के बाद बीएसईएस क्षेत्रों में बिजली की दरें 10 फीसदी महंगी हो जाएंगी.
वहीं, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि केजरीवाल सरकार बीते एक दशक से पावर डिस्कॉम में अपनी साझेदार निजी कंपनियों का लालन पालन कर रही है.उन्हें बिना क्रॉसचैक किये सब्सिडी भुगतान से पोषित करती है. केजरीवाल सरकार में डीईआरसी ने 9.5 फीसदी से अधिक की टैरिफ वृद्धि की छूट बिजली कंपनियों को दी है और कोई विरोध नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि 22 जून को जब पूरी केजरीवाल सरकार खासकर बिजली मंत्री आतिशी केंद्र सरकार द्वारा डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति पर शोर मचा रही थीं और कह रही थीं की केंद्र अब दिल्ली में पावर टैरिफ बढ़वा देगा, बिजली सब्सिडी खत्म करवा देगा. लेकि ठीक उसी दिन उसी वक्त केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त डीईआरसी सदस्य ने पावर डिस्कॉम में साझीदार निजी कंपनियों की मांग पर टैरिफ वृद्धि का आदेश दे दिया.
दिल्ली में कौन कितने उपभोक्ता लेते हैं फायदा
AAP सरकार दिल्ली में सभी निवासियों को 200 यूनिट बिजली बिल्कुल फ्री देती है.जबकि 201 से 400 यूनिट तक आधा रेट लिया जाता है. दिल्ली में करीब 58 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं. 47 लाख बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है. 47 लाख उपभोक्ताओं में से 30 लाख ऐसे उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके बिजली के बिल जीरो आते हैं, जबकि 16 से 17 लाख उपभोक्ताओं के बिजली के बिल आधे आते हैं.
किन ग्राहकों पर पड़ेगा असर
दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दिल्ली के ट्रांस-यमुना क्षेत्र, पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली में रहने वाले लोगों को इस बढ़ोतरी से झटका लगेगा. उन क्षेत्रों में रहने वाले उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी जहां टीपीडीडीएल (टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड पहले एनडीपीएल) बिजली प्रदान करती है, उनके लिए कोई वृद्धि नहीं होगी. इसमें उत्तरी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के क्षेत्र शामिल हैं. यानि यहां रहने वाले लोगों पर बढ़ी हुई दरों का कोई असर नहीं पड़ेगा.
इन कंपनियों ने पिछले महीने आयोग को लिखे एक पत्र के माध्यम से पीपीएसी में तत्काल वृद्धि की मांग की है और दावा किया है कि उन्हें अतिरिक्त, बीवाईपीएल- 45.64% और बीआरपीएल- 48.47%, पीपीएसी की जरूरत है. इन कंपनियों द्वारा किए गए सभी खर्चों पर विचार करने के बाद 22 जून को आदेश जारी किए गए हैं.