तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. इस सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चिंता जताई है. हालांकि, सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह गतिरोध समाप्त होगा.
दरअसल, नए कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को लेकर कुछ वकीलों ने जनहित याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम बात कर रहे हैं. वहीं, अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष किसी मुद्दे पर सहमत हो जाएंगे. इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम हालात से वाकिफ हैं और चाहते हैं कि बातचीत और बढ़ें. हम हालात पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं.
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कृषि कानून और किसान आंदोलन के मामले में सुनवाई की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है. इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम सोमवार को मामले को देखेंगे, अगर बातचीत सकारात्मक रही तो हम सुनवाई को टाल देंगे.
आपको बता दें कि बीते 41 दिन से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने समेत अपनी मांगों को लेकर किसान डटे हुए हैं. अब तक किसानों और सरकार में आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा नहीं निकल सका है. अब 8 जनवरी को नौंवे दौर की वार्ता का इंतजार है.
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान, दोनों अपने-अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहना सुनिश्चित करने के लिए कानून नहीं लाती, तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे.
किसानों ने चेतावनी दी है कि मांगें नहीं मानी गई तो वो गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर परेड करेंगे. साथ ही 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राज्यों में राजभवनों का घेराव किया जाएगा. किसानों ने 7 जनवरी को बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.