संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के 11वें दिन, यानी बुधवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल 2022 पेश किया. उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली में एक ही निगम हुआ करता था, जिसे विभाजित कर तीन निगम बनाए गए थे.
बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि दिल्ली नगर निगम पूरे राजधानी क्षेत्र का 95 प्रतिशत हिस्से का सिविक सेवाओं की जिम्मेदारी उठाता है. इसके तीनों निगमों में 1 लाख 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं. राजधानी क्षेत्र होने के कारण राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधानमंत्री निवास और सारे केंद्रीय सचिवालय, दूतावास यहीं हैं. अंतर्राष्ट्रीय बैठकों का स्थान भी यहीं है. इसे देखते हुए सिविक सेवाओं की जिम्मेदारी का निर्वहन दिल्ली के तीनों निगम सही से उठा पाएं ये ज़रूरी है.
पहले सिर्फ एक निगम होता था
उन्होंने कहा कि पहले यहां एक निगम ही हुआ करता था जिसे विभाजित कर तीन निगम बनाए गए थे. 1957 दिल्ली नगर निगम एक्ट के तहत इसकी स्थापना हुई और 1993 और 2011 में संशोधन किए गए और इसके बाद उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगम में ये बांटा गया.
निगम बांटने का निर्णय आनन-फानन में किया गया था
उन्होंने कहा कि 2012-22 का बारीक विश्लेषण करने के बाद, सरकार इस निर्णय पर पहुंची है कि इन निगमों को फिर से एक किया जाए. जो बंटवारा हुआ था वह आनन फानन में किया गया था. कोई राजनीतिक उद्देश्य रहे होंगे. क्योंकि जब कोई उद्देश्य नजर नहीं आता, तो विचार ज़रूर होता है कि ऐसा किसी राजनीतिक उद्देश्य से किया गया होगा.
तीनों निगमों में नीतियों के बारे में एकरूपता नहीं
तीनों निगमों के 10 साल चलने के बाद जो बात सामने आई है उसमें यह पता चलता है कि तीनों निगमों में नीतियों के बारे में एकरूपता नहीं है. एक ही शहर के तीन हिस्सों में अलग-अलग नीतियों से निगम चलते हैं. हर निगम के बोर्ड को अधिकार है कि वह अपने चलाने की नीतियों को तय करे. कार्मिकों की सेवा की शर्तों और स्थितियों में भी एकरूपता नहीं रही है. एनोमली के कारण असंतोष दखाई देता है.
निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है दिल्ली सरकार
जब निगमों को बांटा गया तो संसाधनों और दायित्वों का बंटवारा सही तरह से नहीं किया गया. तीन में से एक निगम इनकम की दृष्टि से हमेशा अच्छा होगा, जबकि बाकी दो निगम पर जिम्मेदारी ज्यादा होगी और इनकम कम. इस वजह से ऐसी परिस्थितियां होती हैं कि जो चुनकर आते हैं उन्हें निगम चलाने में दिक्कत होती है.
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार इन निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है. इस कारण ये निगम अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए अपने आपको पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं पा रहे हैं.
बिल के उद्देश्य
गृहमंत्री अमित शाह ने बिल लाने के उद्देश्य भी सबके सामने रखे. उन्होंने कहा कि इस बिल के यह उद्देश्य सबके सामने रख रहा हूं कि-
- तीनों नगमों को मिलाकर एक बनाया जाए.
- संसाधन और सहकारितावादी और सामरिक योजना की दृष्टि से एक ही निगम दिल्ली की सभी सिविक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो यह उचित होगा.
- नगर निगम की सेवाओं को और दक्षता और पारदर्शिता के साथ चलाया जाए.
- दिल्ली के पार्षदों की संख्या को भी 272 से कम करके 250 तक सीमित करने का प्रस्ताव है.
- नागरिक सेवाओं को कहीं भी और कभी भी इस सिद्धांत के आधार पर व्यवस्थित किया जाए.
अंत में उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि बिल को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, देश की राजधानी की व्यवस्था का मामला समझते हुए बहुत गंभीरता से सोचना चाहिए. यह बिल पारित होने के बाद स्थिति में काफी सुधार आएगा. इसके अलावा केंद्र सरकार की इसके पीछे कोई मंशा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि चर्चा मैरिट पर हो.