दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के संकट के बीच दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राष्ट्रीय राजधानी से सटे बीजेपी शासित राज्यों को पत्र लिखा है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के परिवहन मंत्रियों को लिखे पत्र में गोपाल राय ने राजधानी आने वाली बसों के संबंध में कुछ बातें कही हैं. उन्होंने पत्र में लिखा, "दिल्ली में डीजल बसें न भेजें, दिल्ली की तरह सीएनजी और ईवी सार्वजनिक बसों की व्यवस्था करें."
GRAP-2 के इंप्लीमेंटेशन के लिए दिल्ली सरकार ने अंतर विभागीय अधिकारियों की बैठक भी बुलाई है. यह मीटिंग दिल्ली सचिवालय में आज दोपहर 1 बजे होने वाली है.
दिल्ली में लगने वाला है ग्रैप-2
दिवाली और सर्दी आने से पहले ही दिल्ली की हवा प्रदूषित होने लगी है. 'जहरीली' होती हवा के बीच कहा जा रहा है कि दिल्ली में जल्द ही ग्रैप-2 लागू किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में उन कामों पर रोक लग जाएगी, जिनसे प्रदूषण बढ़ने की आशंका रहती है.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये ग्रैप है क्या और इसकी कितनी कैटेगरीज हैं. इसके अलावा जानते हैं कि किस लेवल में कौन-कौन से काम करने की इजाजत नहीं दी जाती है.
क्या होता है ग्रैप?
ग्रैप का मतलब GRAP से है. GRAP का फुल फॉर्म ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान है. ये सरकार की एक योजना है, जिसे दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ बनाया गया है. इस प्लान के जरिए प्रदूषण को कंट्रोल किया जाता है. दरअसल, इसके कई चरण हैं और ये चरण भी बढ़ते प्रदूषण के साथ बढ़ते जाते हैं. जैसे जैसे चरण बढ़ते हैं, वैसे वैसे दिल्ली में पाबंदियां भी बढ़ती जाती हैं.
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GRAP के कितने लेवल हैं?
GRAP के करीब 4 चरण होते हैं. जब दिल्ली में हवा 201 से 300 AQI तक खराब होती है, तो पहला चरण लागू किया जाता है. इसके बाद अगर हवा ज्यादा खराब होती है और एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंच जाता है तो इसका दूसरा चरण लागू हो जाता है. अगर हवा ज्यादा खराब हो जाए यानी एक्यूआई 400 से भी ज्यादा हो जाए तो तीसरा चरण लगता है और हालात ज्यादा खराब होने पर GRAP का चौथा लेवल लागू कर दिया जाता है.