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'जांच के लिए जजों का पैनल जरूरी लेकिन पर्याप्त नहीं...', जज से जुड़े कैशकांड मामले पर बोले अभिषेक सिंघवी

एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "मामले की जांच उचित समय के अंदर जल्द पूरी होनी चाहिए. लेकिन इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि जांच एक सही प्रक्रिया के साथ जरूर होनी चाहिए."

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सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (तस्वीर: PTI)
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (तस्वीर: PTI)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर कैश से जुड़े मामले में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट कमेटी को समय पर सभी सवालों के साथ जांच शुरू करनी चाहिए.

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अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, "मामले की जांच उचित समय के अंदर जल्द पूरी होनी चाहिए. लेकिन इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि जांच एक सही प्रक्रिया के साथ जरूर होनी चाहिए. उचित प्रक्रिया के साथ सब कुछ होना चाहिए क्योंकि कई सारे परेशान करने वाले सवाल हैं.

'जरूरी लेकिन पर्याप्त नहीं..'

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई गई कमेटी और तीन जजों के पैनल के द्वारा जांच के आदेश का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि यह एक जरूरी कदम था लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

सीनियर एडवोकेट ने इस बात पर भी जोर दिया कि जांच पैनल को मामले में उठ रहे अहम सवालों पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही यह भी बताया जाना चाहिए कितने रुपए कैश मिले थे. क्या अगर कमरा लॉक था और क्या बुनियादी पुलिस प्रक्रियाओं का पालन किया गया था.

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'बहुत सावधान रहना चाहिए...'

इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए अभिषेक सिंघवी ने कहा, "सवालों पर विचार करने के लिए कुछ अहम वजहें हैं, जैसे- दरवाजा खुला था या बंद, अगर लॉक था तो यह कैसे तोड़ा गया. पंचनामा की उपलब्धता, गवाहों की उपस्थिति और वस्तुओं की सूची, विशेष रूप से कैश वाली जगह. अगर कैश की गिनती कुछ हद तक की जा सकती है, तो ये ऐसे मामले हैं जिन्हें समिति को संबोधित करना चाहिए. इसलिए, मुझे लगता है कि उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए और कोई भी जल्दबाजी में प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए." 

जब उनसे पूछा गया कि हाइयर जूडिशियरी में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए उनके मुताबिक क्या किया जाना चाहिए, तो सिंघवी ने जांच का जिक्र करते हुए कहा, “यह शुरुआत है,” उन्होंने आगे कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने सही तरीके से, सही दिशा में और सही गति के साथ जांच का आदेश दिया था. उन्होंने जोर देकर कहा कि निश्चित तौर से यह पर्याप्त नहीं है. यह जरूरी है लेकिन पर्याप्त शर्त नहीं है. जांच जल्दी और विधिवत ढंग से की जानी चाहिए.

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