दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अफगान नागरिक को देश से बाहर भेजने का आदेश दिया है. इसे बिना वैध वीजा के भारत में रहने और एक अमेरिकी महिला से शादी का झूठा वादा कर आर्थिक और शारीरिक शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति विकास महाजन ने इस मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौते और मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए एफआईआर रद्द कर दी. इसके साथ ही कोर्ट ने जेल प्रशासन को आरोपी को विदेशी नागरिकों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को सौंपने का निर्देश दिया ताकि उसे देश से डिपोर्ट किया जा सके.
जानकारी के अनुसार 2016 और 2017 के बीच आरोपी और शिकायतकर्ता महिला की मुलाकात भारत में हुई थी. आरोपी ने कथित तौर पर अपनी पहचान छिपाई और महिला से अलग-अलग मौकों पर लगभग 90,000 अमेरिकी डॉलर ठग लिए. पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी पहले से शादीशुदा था और उसने पहले भी कई महिलाओं को इसी तरह धोखा दिया था.
9 अक्टूबर को दिए गए आदेश में न्यायमूर्ति महाजन ने कहा कि शिकायतकर्ता एक शिक्षित महिला हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से एफआईआर रद्द करने की मंजूरी दी है. इसके साथ ही आरोपी पिछले सात साल से अधिक समय से जेल में बंद था और मुकदमे का अंत अभी भी दूर था.
कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शीघ्र सुनवाई का अधिकार जितना एक भारतीय नागरिक के लिए लागू होता है, उतना ही एक विदेशी नागरिक के लिए भी. शिकायतकर्ता ने अदालत में बयान दिया कि वह इस मामले को समाप्त कर आगे बढ़ना चाहती हैं.
इसके अलावा, चूंकि आरोपी के पास वैध वीजा नहीं था, कोर्ट ने जेल प्रशासन को उसे FRRO को सौंपने का आदेश दिया ताकि उसे देश से डिपोर्ट किया जा सके.
इस मामले में 2017 में बलात्कार, धोखाधड़ी और अन्य आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोपी 2013 में एक मेडिकल वीजा पर भारत आया था, लेकिन उसका वीजा उसी साल दिसंबर में खत्म हो गया था, और उसने वीजा बढ़ाने की कोशिश भी नहीं की थी. इसके अलावा, उसने अवैध रूप से अपने असली नाम से मतदाता पहचान पत्र और पैन कार्ड भी बनवा लिया था.