दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा की वह याचिका को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय देहाद्राई को अपने खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर कोई भी 'फर्जी और अपमानजनक' सामग्री पोस्ट या प्रसारित करने से रोकने की मांग की थी. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, 'मैंने निषेधाज्ञा आवेदन खारिज कर दिया है'.
टीएमसी नेता को दिसंबर 2023 में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. महुआ पर आरोप लगा था कि उन्होंने लोकसभा में प्रश्न पूछने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से अनुचित लाभ प्राप्त किए और अपनी संसदीय लॉगिन आईडी व पासवर्ड उनके साथ साझा किया. एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि टीएमसी सांसद ने अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल्स किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा किए, जो 'असंसदीय आचरण' और 'सदन की अवमानना' माना जाएगा.
महुआ मोइत्रा ने याचिका में क्या मांग की थी?
लोकसभा से निष्कासित टीएमसी नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किए गए अपमानजनक, झूठे और दुर्भावनापूर्ण बयानों को प्रकाशित करने और प्रसारित करने से मीडिया संगठनों, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई को स्थायी रूप से रोका जाए. उन्होंने हाई कोर्ट से देहाद्राई को दुबे को लिखे 14 अक्टूबर, 2023 के पत्र को वापस लेने का निर्देश देने की भी मांग की थी.
अंतरिम याचिका में महुआ मोइत्रा ने हाई कोर्ट से निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई को उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई कथित अपमानजनक सामग्री को हटाने का निर्देश देने की भी मांग की थी. टीएमसी नेता के वकील ने अदालत को बताया था, 'महुआ मोइत्रा को दर्शन हीरानंदानी से कुछ उपहार मिले थे, क्योंकि वे दोस्त हैं और ये उपहार संसद में प्रश्न पूछने के बदले में नहीं थे. महुआ का लॉगिन क्रेडेंशियल किसी तरह के लाभ के बदले में हीरानंदानी को दिया गया था, यह पूरा दावा ही मानहानिकारक है. देहाद्राई और दुबे अब भी मेरे क्लाइंट खिलाफ मानहानिकारक आरोप लगा रहे हैं'.
देहाद्राई और दुबे ने कोर्ट में क्या तर्क दिए?
निशिकांत दुबे ने अपने वकील अभिमन्यु भंडारी के माध्यम से दिल्ली कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता (महुआ मोइत्रा) ने खुद मीडिया में दर्शन हीरानंदानी को अपनी ससंदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा करने की बात स्वीकार की थी. जय अनंत देहाद्राई ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट को बताया किया कि 14 अक्टूबर के उनके पत्र में सच्चाई की झलक थी. क्योंकि लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि महुआ मोइत्रा द्वारा दर्शन हीरानंदानी से अवैध लाभ स्वीकार करने के आरोप स्पष्ट और निर्विवाद रूप से स्थापित हुए हैं. वेस्ट बंगाल की कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ को कैश फॉर क्वेरी के आरोप में 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था.