टेरर फंडिंग मामले में आरोपी और जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर राशिद द्वारा संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सुझाव दिया कि वह लोकसभा के महासचिव से अनुरोध कर सकता है कि संसद में राशिद के साथ एक पुलिसकर्मी को उपस्थित रहने की अनुमति दे.
एनआईए ने राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संसद सत्र में शामिल होना सांसद का संवैधानिक अधिकार नहीं है. केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि राशिद पर गंभीर आरोप लगे हैं. अगर वह संसद के सदन में कुछ कहते हैं तो क्या होगा? दिल्ली पुलिस ने भी उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राशिद अगर कोई राजनीतिक बयान देते हैं तो उससे समस्या होगी. इस तरह के अपराधियों के साथ अलग तरह से पेश आना चाहिए.
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सांसद राशिद ने की है कस्टडी पैरोल की मांग
राशिद इंजीनियर के वकील ने कहा कि हमने संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग की है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल दिया था. जांच एजेंसी NIA ने अपने जवाब में जो आपत्ति अभी उठाई है, वही आपत्ति पहले भी उठा चुकी है. टेरर फंडिंग केस में अभी तक ट्रायल भी नहीं शुरू हुआ है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि राशिद इंजीनियर ने चुनाव लड़ा और जीते. उसके बाद शपथ लेने के लिए संसद गए. फिर संसद के सत्र में भी शामिल हुए. अब दोबारा संसद सत्र में शामिल होने के लिए कोर्ट के सामने अर्जी दी है. इस मामले में वह 10 साल जेल में रहें और 10 साल तक सांसद बने रहे तो उनके अधिकारों का क्या होगा? दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि क्या संसद सदस्य के देश छोड़कर भागने का खतरा है?
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लोकसभा अध्यक्ष की शक्ति को कम न आंकें: HC
हाई कोर्ट ने कहा कि हम संसद सदस्य को सेलफोन का उपयोग करने से रोक सकते हैं. संसद में हमारा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. संसद में जो कुछ भी होता है उसका ध्यान अध्यक्ष और सभापति रखेंगे. दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए और दिल्ली पुलिस के तर्कों पर कहा, 'आप चाहते हैं कि हम उस तथ्य को नजरअंदाज कर दें कि वह निर्वाचित सांसद हैं? राशिद लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाली संसद में होंगे, लोकसभा अध्यक्ष की शक्ति और स्थिति को कमतर न आंकें.' बता दें कि इंजीनियर राशिद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को हराया था.