दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के अपहरण की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लिया है. खासकर, कि जिनके साथ शादी की आड़ में यौन उत्पीड़न किया जाता है. इसके परिणाम स्वरूप उन्हें पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्हें अपना करियर बनाने के अवसर से वंचित किया जाता है. मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जब ऐसी घटनाओं के कारण लड़की को अपनी शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है तो यह न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गहरा झटका होता है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित चर्चाओं में शिक्षा को मौलिक स्तंभ के रूप में मान्यता दी गई. हालांकि, जब ऐसी घटनाएं होती हैं जो लड़की को अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करती हैं तो सशक्तिकरण की अवधारणा से समझौता हो जाता है और बड़े पैमाने पर समाज को परिणाम भुगतना पड़ता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप और POCSO मामले में अपनी दोषसिद्धि और 10 साल के कठोर कारावास की सजा के खिलाफ व्यक्ति द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां की हैं.