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JNU छात्रसंघ चुनाव: 4 साल बाद हुए चुनाव में 73 फीसदी वोटिंग, 12 साल में सबसे ज्यादा है आंकड़ा

दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चुनावी माहौल है. शुक्रवार को विश्वविद्यालय में वोटिंग हुई, जिसमें पिछले 12 सालों के मुकाबले में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. 2019 के जेएनयू छात्र संघ चुनाव में 67.9 फीसदी वोटिंग हुई थी.

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जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो)
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र संघ (Student Union) चुनाव में शुक्रवार को 73 फीसदी वोटिंग हुई, जो पिछले 12 सालों में सबसे ज्यादा है. इलेक्शन कमेटी ने कहा कि जेएनयूएसयू चुनाव दो चरणों में हुए, जिनमें साजो-सामान की व्यवस्था के कारण देरी हुई. चार साल के अंतराल के बाद वोट हुआ और 7,700 से ज्यादा रजिस्टर्ड मतदाताओं ने सीक्रेट वोटिंग के जरिए अपना वोट डाला.

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जेएनयू में 2019 के दौरान 67.9 फीसदी, 2018 में 67.8 फीसदी, 2016-17 में 59 फीसदी, 2015 में 55 फीसदी, 2013-14 में 55 फीसदी और 2012 में 60 फीसदी वोटिंग हुई थी. जब मतदाता अपने-अपने केंद्रों पर वोट डालने के लिए कतार में खड़े थे. 

एजेंसी के मुताबिक मतदान में देरी की वजह से वोटों की गिनती, रात 9 बजे शुरू होनी थी, इसमें भी देरी देखने को मिल रही है. वोटों की गिनती पूरी होने के बाद रविवार को जेएनयूएसयू के नतीजों का ऐलान किया जाएगा. जेएनयू के तमाम अध्ययन केंद्रों में स्थापित 17 बूथों पर सुबह करीब 11 बजे मतदान शुरू हुआ और शाम 7 बजे तक जारी रहा. इसे सुबह 9 बजे शुरू होना था.

यह भी पढ़ें: JNUSU Election: जेएनयू कैंपस में चार साल बाद टूटा कोरोना का 'सन्नाटा', छात्रसंघ चुनाव ने बदला माहौल

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इस बार वोटिंग के दौरान ढोल की थाप के साथ 'जय भीम', 'भारत माता की जय' और 'लाल सलाम' के नारे के साथ माहौल गर्म हो गया क्योंकि सुबह 11 बजे के बाद बड़ी संख्या में छात्र मतदान केंद्रों पर इकट्ठा होने लगे. 19 उम्मीदवार जेएनयूएसयू केंद्रीय पैनल में पदों के लिए और 42 स्कूल काउंसलर्स के लिए मैदान में थे, जिनमें से आठ दावेदार प्रेसिडेंट के लिए चुनाव लड़ रहे थे. केंद्रीय पैनल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और महासचिव शामिल हैं.

यूनाइटेड लेफ्ट में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) शामिल हैं. लेफ्ट ने अध्यक्ष पद के लिए धनंजय, उपाध्यक्ष के लिए अविजीत घोष और संयुक्त सचिव के लिए मोहम्मद साजिद को मैदान में उतारा है.

ABVP की शिकायत पर लेफ्ट उम्मीदवार का नामांकन रद्द

लेफ्ट पैनल से महासचिव पद के लिए स्वाति सिंह का नामांकन एबीवीपी द्वारा विश्वविद्यालय के शिकायत निवारण कक्ष (GRC) में चुनौती दिए जाने के बाद गुरुवार देर रात रद्द कर दिया गया. स्वाति बाद में दोबारा चुनाव और महासचिव पद के लिए दोबारा नामांकन की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव समिति ने मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले देर रात व्हाट्सएप के जरिए उनका नामांकन रद्द होने की जानकारी दी.

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हालांकि, चुनाव समिति ने एक बयान में कहा कि उसने जीआरसी समिति के निर्देश पर उनका नामांकन रद्द कर दिया है. वोटिंग के दौरान सवाल-जवाब सेशन के दौरान एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार की कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दिव्यांग छात्रों ने भूख हड़ताल भी की. छात्र संगठन के मुताबिक, लेफ्ट के प्रेसिडेंट पद के उम्मीदवार धनंजय, बिहार के गया के रहने वाले हैं और 1996-67 में बत्ती लाल बैरवा के बाद लेफ्ट के संभावित पहले दलित प्रेसिडेंट हैं.

  • आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए उमेश चंद्र अजमीरा, उपाध्यक्ष पद के लिए दीपिका शर्मा, सचिव पद के लिए अर्जुन आनंद और संयुक्त सचिव पद के लिए गोविंद दांगी को मैदान में उतारा. 
  • कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI से जुनैद रजा अध्यक्ष और फरहीन जैदी महासचिव पद की दौड़ में हैं.
  • सेंट्रल पैनल के लिए BAPSA से अध्यक्ष पद के दावेदार विश्वजीत मिंजी, उपाध्यक्ष के लिए एमडी अनस ए, संयुक्त सचिव के लिए प्रियांशी आर्य और महासचिव के लिए रूपक कुमार सिंह हैं.
  • समाजवादी छात्र सभा की प्रेसिडेंट उम्मीदवार एकमात्र महिला दावेदार हैं, जो उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले से हैं और उनका लक्ष्य पितृसत्ता से लड़ना और कैंपस में वंचितों की आवाज बनना है.
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