राजधानी दिल्ली में जल संकट को लेकर सियासी रस्साकशी जारी है. इसी बीच एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के रवैये को गैरजिम्मेदराना बताता हुए व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि, दिल्ली में 24 घंटे पानी सप्लाई का वादा एक छलावा साबित हुआ है, दिल्ली में पानी की यह कमी सिर्फ और सिर्फ सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है. आप सरकार द्वारा पड़ोसी राज्यों पर आरोप लगाने को लेकर उन्होंने गालिब की एक शायरी के जरिए सरकार पर तंज भी कसा.
एलजी वीके सक्सेना ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार पर जल संकट को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने मिर्जा गालिब की शायरी के जरिए तंज कसते हुए कहा कि, “उम्र भर ग़ालिब, यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, और आइना साफ़ करता रहा.” उन्होंने कहा कि, 'पिछले कुछ समय से दिल्ली में जल संकट को लेकर दिल्ली सरकार का गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाई दे रहा है. दिल्ली में महिलाएं, बच्चे, बूढ़े, जवान जान जोखिम में डालकर एक बाल्टी पानी लेने के लिए टैंकरों के पीछे भाग रहे हैं.मुख्यमंत्री द्वारा 24 घंटे पानी सप्लाई करने का वादा एक छलावा साबित हुआ है.'
एलजी ने कहा कि, 'देश की राजधानी मे ऐसे हृदय विदारक दृश्य देखने को मिलेंगे, इसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी, लेकिन, सरकार द्वारा अपनी विफलताओं के लिए अन्य राज्यों पर दोषारोपण किया जा रहा है. मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में 24 घंटे पानी सप्लाइ करने का वादा अब तक तो एक छलावा ही साबित हुआ है. मुझे बताया गया है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश लगातार अपने निर्धारित कोटे का पानी दिल्ली को दे रहे हैं. इसके बावजूद, आज दिल्ली में पानी की भयंकर कमी की जो सबसे बड़ी वजह है, वो यह है कि, जितने पानी का उत्पादन हो रहा है, उसके 54 प्रतिशत का कोई हिसाब ही नहीं है. 40 प्रतिशत पानी सप्लाई के दौरान पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों की वजह से बर्बाद हो जाता है.'
यह कितने दुर्भाग्य की बात है, कि जहां एक तरफ दिल्ली के अमीर इलाकों में औसतन, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 550 लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है, वहीँ गाँवों और कच्ची बस्तियों में रोज़ाना औसतन मात्र 15 लीटर पानी प्रति व्यक्ति सप्लाई किया जाता है. एलजी ने कहा, 'मुझे बताया गया है कि आज के दिन भी, वजीराबाद को छोड़ कर, दिल्ली के सारे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स अपनी क्षमता से ज्यादा पानी का उत्पादन कर रहे हैं. वज़ीराबाद ट्रीटमेंट प्लांट इस वजह से पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है, क्योंकि बराज का reservoir, जहां हरियाणा से आया हुआ पानी जमा होता है, लगभग पूरी तरह गाद से भरा हुआ है. इसके कारण, इस reservoir की क्षमता, जो 250 मिलियन गैलन हुआ करती थी, वो घट कर मात्र 16 मिलियन गैलन रह गई है.'
उन्होंने कहा '2013 तक हर साल इसकी सफाई होती थी और गाद निकाला जाता था. लेकिन पिछले 10 सालों में एक बार भी इसकी सफाई नहीं करवाई गई और हर साल पानी की कमी के लिए दूसरों पर दोष मढ़ा जाता रहा. इस मामले में मैंने स्वयं मुख्यमंत्री जी को पिछले साल पत्र भी लिखा था. मुझे यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि दस साल के दौरान, अपनी inefficiency, inaction और inability को छुपाने के लिए, दिल्ली सरकार की आदत बन गई है, कि अपनी हर नाकामी के लिए दूसरों को दोष दें और मात्र सोशल मीडिया, प्रेस कांफ्रेंस और कोर्ट केस कर के, अपनी जिम्मेदारियों से बचे रहें और जनता को गुमराह करते रहें.'