जुलाई का महीना शुरू हो गया है, हर साल इस वक्त लोगों को इंतजार रहता है मॉनसून की बारिश का ताकि गर्मी से राहत मिल सके. लेकिन, अप्रैल और मई महीने में चलने वाली लू इस बार रास्ता भटक गई है और फिर से जून के आखिर में लौटकर आई है.
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बीते कुछ दिनों में रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ी है, जिसके कारण लोगों की हालत खराब है. जून के आखिरी हफ्ते में दिल्ली-एनसीआर वालों का बुरा हाल रहा, तो वहीं आज यानी जुलाई के पहले दिन भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है.
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शहर-शहर गर्मी का कहर
एक तो सूरज का ताप और उस पर भयानक उमस, हर दिल से शायद यही आवाज निकलेगी- उफ्फ...इतनी भीषण गर्मी. उत्तर भारत में गर्मी ने कैसे कहर बरपा रखा है, उसका अंदाजा आप कुछ शहरों के तापमान से लगा सकते हैं. दिल्ली में 43 डिग्री, नोएडा में 44 डिग्री, जम्मू में 44 डिग्री, चुरु-जैसलमेर में 45 डिग्री, श्रीगंगानगर में 46 डिग्री, लखनऊ में 39 डिग्री तापमान ने हर किसी के पसीने छुड़ा दिए.
तपती गरमी में कहीं भीषण बिजली कटौती चल रही है, तो कहीं शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं. हाल ही में अंबाला में कपड़े की होल सेल मार्केट में आग लग गई. वहीं, गर्मी की वजह से बिजली की मांग बढ़ी है तो ट्रांसफार्मर फुंकने की घटनाएं भी तेज हुई हैं. सोनीपत में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती के चलते पीने के पानी की किल्लत हो रही है, जिसके खिलाफ महिलाओं ने मटका तोड़ प्रदर्शन किया है.
बिजली की मांग बढ़ी, बारिश का इंतजार
बढ़ती गर्मी के चलते देश भर में बिजली की मांग में भी इजाफा हो गया. बुधवार को बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, देश में बिजली की मांग 4 हजार 303 मेगा यूनिट रही. इससे पहले 8 अप्रैल को बिजली की मांग 4 हजार 161 यूनिट की थी.
साफ है कि बढ़ती गर्मी के बीच दिल्ली में मॉनसून का इंतजार लंबा होता चला जा रहा है. चिलचिलाती धूप में लोगों का जीना मुहाल है. राजधानी दिल्ली में तो सूरज के चढ़ते पारे के सामने मौसम वैज्ञानिकों के सारे दावे धराशायी हो गए हैं. दिल्ली में 14 से 17 जून के बीच बारिश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन बारिश तो दूर, यहां दोपहर में घर से बाहर निकलना भी मुहाल है.
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब पूर्वी यूपी, बिहार, झारखंड में झमाझम बारिश हुई थी, लेकिन उसके बाद तो धरती पर सूरज देवता का कोप बरस रहा है. अब ये तपिश तो तभी कम होगी, जब आसमान से झमाझम बारिश होगी.
(इनपुट: आजतक ब्यूरो)