दिल्ली के कंझावला कांड ने सभी को हिलाकर रख दिया है. एक बार फिर से राष्ट्रीय राजधानी में बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. सवाल होने लगे हैं कि क्या दिल्ली की सड़कें रात में बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं रहीं? इस कांड ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के तमाम इंतजामों को एक झटके में फेल साबित कर दिया है. पुलिस की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
दरअसल न्यू ईयर की देर रात 20 साल की अंजलि स्कूटी से घर लौट रही थी. रास्ते में कार सवार युवकों ने उनकी स्कूटी को टक्कर मार दी. इसके बाद लड़की उनकी कार में जा फंसी लेकिन युवकों ने कार नहीं रोकी. लड़की करीब 12 किमी. तक कार में फंसी घिसटती रही, जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई. उसके कई अंग शरीर से अलग हो गए.
इस हादसे ने पूरे देश की नींद छीन ली है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी दरिंदगी के बाद भी दिल्ली पुलिस की नींद नहीं टूटी. दरअसल इंडिया टुडे ग्रुप की 11 महिला पत्रकार सोमवार-मंगलवार रात को सुरक्षा की जांच करने दिल्ली की सड़कों पर निकलीं. उन्होंने वह एक तरह के डर का सामना किया.
एक स्कूटी मेरे पास आकर रुकी, पूछा- क्या रेट है?
रिपोर्टर अर्पिता आर्य डिफेंस कॉलोनी के फुटपाथ पर खड़ी होकर कैब का इंतजार कर रही थीं. तभी उनके पास एक कार आकर रुकी और ड्राइवर ने पूछा कि क्या कहीं छोड़ दूं. इसके बाद स्कूटर पर एक आदमी आया और पूछा- "आपका रेट क्या है?"
यह सब दिल्ली के उस पॉश इलाके में हुआ, जो सीसीटीवी कैमरों से पूरी तरह से कवर है और पास में ही पुलिस की दो वैन खड़ी थी. आर्य के पास उस रात करीब आठ से दस लोग आए थे.
कंझावला में बाइक पर घूमते रहे, नहीं दिखी पुलिस
वहीं चित्रा त्रिपाठी दिल्ली के कंझावला में थीं, जहां दो रात पहले अंजलि को एक कार ने कई किलोमीटर तक घसीटा था. जब वह इलाके में खड़ी थीं, तो वहां एक भी पुलिसकर्मी या पुलिस वैन नहीं दिखी. हालांकि, चित्रा जहां थी वहां से करीब 3.5 किमी दूर मुख्य चौराहे पर एक वैन खड़ी थी. जब वह सर्द रात में सुनसान सड़कों पर कंझावला चौक की ओर जा रही थीं, एक पुलिस वैन ने उन्हें क्रॉस किया, जबकि दूसरी ओर चौराहे पर कुछ पुलिसकर्मी देखाई दिए.
11 महिला रिपोर्टर्स में से हर एक के पास रात में बिताए पलों की भयावह कहानी है. ज्यादातर पर सड़कों पर पुरुषों ने भद्दे कमेंट किए. उनसे पूछा गया कि वे कहां जाना चाहती हैं.