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Kisan Andolan: 22 जुलाई को जंतर-मंतर पर किसानों का संसद मार्च, जानें क्या है रणनीति?

दिल्ली में किसानों और पुलिस के बीच मंगलवार को जारी बैठक खत्म हो हो गई है. किसान नेताओं का कहना है कि उनका जत्था संसद के बाहर जंतर-मंतर तक जाएगा. वहां किसान संसद का आयोजन किया जाएगा. 5 अलग-अलग बसों में कुल 200 किसान नेता जंतर-मंतर पर घेराव करने पहुंचेंगे.

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संसद मार्च की रणनीति तैयार कर रहे हैं किसान नेता (फाइल फोटो-PTI)
संसद मार्च की रणनीति तैयार कर रहे हैं किसान नेता (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 200 की संख्या में जंतर-मंतर पहुंचेंगे किसान
  • सिंघु बॉर्डर से भी शामिल होगा किसानों का जत्था
  • मार्च के दौरान जत्थे की निगरानी करेंगे किसान
  • हर प्रदर्शनकारी का बनेगा पहचान कार्ड

मॉनसून सत्र के दौरान किसान संसद घेरने की तैयारी में हैं. दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच हुई बैठक में किसानों का कहना है कि वे संसद सत्र के दौरान ही संसद के बाहर, यानी जंतर-मंतर पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ धरना देंगे. किसानों ने साफ किया है कि वे 200 की संख्या में 5 अलग-अलग बसों में सवार होकर दिल्ली कूच करेंगे. 

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किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मंगलवार को कहा है कि प्रशासन ने किसान संसद मार्च को लेकर अपनी प्रतिक्रिया सामने रखी है, वहीं हमने अपनी मांगे उनके सामने रखी हैं. हम अपनी बैठक मे अपनी बातों पर चर्चा करेंगे. यह पूछने पर कि क्या आपको इजाजत मिल गई है, उन्होंने कहा कि अभी तक इजाजत नहीं मिली है. 

किसान आंदोलन से जुड़े स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि यह बैठक सकारात्मक रही. 22 तारीख को जैसा प्लान किया गया था, वैसे ही हमारे साथी जंतर-मंतर तक जाएंगे. किसान संसद का आयोजन किया जाएगा.  किसान नेता शिव काका का कहना है कि किसानों ने अपनी बात पुलिस के सामने रख दी है.

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कैसे जंतर-मंतर पहुंचेंगे किसान?

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किसान नेता शिव काका ने कहा कि 200 लोग बसों के जरिए 5 अलग-अलग बसों से जाएंगे. 10 बजे से 5 बजे तक किसान वहां रहेंगे. जितना किसानों ने कहा है, वही करेंगे. हर दिन नया जत्था होगा. सबके पास आधार और संगठन का कार्ड होगा. हर 4 व्यक्ति पर एक मुखिया की तैनाती की जाएगी.


संसद मार्च में टीकरी बॉर्डर से भी शामिल होंगे किसान

किसानों के 22 जुलाई को प्रस्तावित संसद मार्च में टीकरी बॉर्डर से भी किसान शामिल होंगे. कल 2 बजे टीकरी बॉर्डर से किसानों का एक जत्था सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना होगा. बुधवार को किसान 2 बजे से सिंघू बॉर्डर जाएंगे. संसद मार्च में शामिल होने वाले किसानों का पहचान पत्र बनाया जाएगा. जत्थेबंदी का लीडर मार्च में शामिल होने वाले किसान की पहचान करेगा. हर जत्थेबंदी से 5 किसान मार्च में शामिल होंगे.

अपनी निगरानी खुद करेंगे किसान 

भले ही किसानों को मार्च की मंजूरी अभी तक न मिली हो लेकिन किसानों की योजना पहले से तैयार है. कोई शरारती तत्व किसानों के बीच में न शामिल होने पाए, इसके लिए अलग से ध्यान रखा जा रहा है. 13 अगस्त तक संसद के मॉनसून सत्र के दौरान हर दिन किसान संसद मार्च करेंगे. संसद के विपक्षी दलों की ओर से किसानों की आवाज संसद में पहुंचाए जाने से किसानों ने खुशी जाहिर की है. किसानों का कहना है कि संसद में पीएम को किसान जिंदाबाद और काले कानून की वापसी के नारे सुनाई दिए हैं.

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किसानों को मिला विपक्ष का साथ

किसानों का कहना है कि विपक्षी दलों का साथ मिला है, इसलिए पीएम को किसानों की मांगे माननी होंगी. वहीं किसानों ने यह भी कहा कि Whatsapp कॉल को टैप करना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. लोगों का लोकतंत्र और लोकराज पर भरोसा है लेकिन सरकार पर नहीं है.

क्या बोले किसान नेता राकेश टिकैत?

वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 22 जुलाई को 200 लोग संसद जाएंगे. आज मीटिंग में फैसला होगा कि किस-किस तरीके से कौन-कौन, कब जाएगा. किसानों के हंगामे की खबरों पर राकेश टिकैत ने साफ कहा है कि 200 लोग क्या हंगामा करेंगे जब 25 लाख लोग गए थे, तब कुछ नहीं हुआ था. हम हंगामा काटने नहीं जा रहे हैं. हम किसान हैं. जंतर-मंतर पर कई बैठकें होती हैं, वहां हम जाना चाहते हैं. हम पार्लियामेंट पुलिस स्टेशन के आगे नहीं जाएंगे.

विपक्ष पर क्यों भड़के टिकैत?

राकेश टिकैत ने कहा कि अगर ट्रैक्टर लेकर जाएंगे तो क्या हम इनसे रुक पाएंगे. उनका इशारा सुरक्षाबलों की ओर था. उन्होंने कहा कि हम केवल 200 की संख्या में जाएंगे, जब ट्रैक्टर लेकर जाएंगे, तब भी बताकर ही जाएंगे. अभी हम बस से जाएंगे, इकट्ठे जाएंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस की गाड़ी भी साथ चलेगी, यही संरक्षण का मतलब है. विपक्ष को घेरते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष हमारा नहीं, अपना मुद्दा उठा रहा है.

 

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फोन टैपिंग का हमें भी डर!

फोन टैपिंग पर राकेश टिकैत ने कहा कि अगर फोन ले रखा है तो फोन टैप होगा. हमारे परिवार में सबका फोन टैप हो रहा है. सरकार को सब पता है, उससे कोई बात छिपी नहीं है. हमें आशंका रहती है कि जब हम बात कर रहे हैं तो कोई हमारी बात सुन रहा है. लेकिन हमारे पास बात करने के लिए क्या है कि आंदोलन कैसे चलेगा, कैसे खाना आएगा. यही बात हम करते हैं.
 

 

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