Delhi Air Quality More Toxic, CSE Report: दिल्ली में भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान के बीच आम लोग घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस साल दिल्ली में गर्मी, हीटवेव और बढ़ते तापमान की वजह से दिल्ली की हवा और जहरीली हो गई है. दिल्ली में लगातार बढ़ते तापमान के चलते पारा 46 डिग्री के पार हो रहा है. इसके चलते हवा में मौजूद ओजोन गैस ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. दरअसल, सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें यह सामने आया है कि 122 सालों में गर्मियों का रिकॉर्ड टूटने के बाद इस साल की गर्मी के चलते हवा में ओजोन की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर की हवा अधिक जहरीली हो गई है.
CSE की रिसर्च में क्या पता चला?
दिल्ली-एनसीआर में शोधकर्ताओं ने 58 आधिकारिक स्टेशन से डेटा हासिल कर, विश्लेषण के जरिए प्रत्येक स्टेशन पर प्रदूषण में कितनी बढ़ोतरी हुई इस पर पड़ताल की. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अविकल सोमवंशी ने रिसर्च पेपर तैयार किया है, रिसर्च के अनुसार, बढ़ते तापमान से हीटवेव के कारण हवा में ओजोन गैस काफी मात्रा में बढ़ गई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर की हवा अधिक में प्रदूषण बढ़ गया है. आमतौर पर, हर साल दिल्ली-एनसीआर में गर्मी के दिनों में ओजोन सुरक्षा मानकों से अधिक होता है लेकिन इस साल अधिक हीटवेव के कारण यह बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
अविकल सोमवंशी ने बताया कि ओजोन गैस तब बढ़ती है जब दिन में हीटवेव जैसी समस्या हो. ओजोन गैस की हवा में मौजूदगी अधिकतम 8 घंटे का औसत 71 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) या उससे अधिक होती है. अध्ययन के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में इस गर्मी के लगभग सभी दिनों में ओजोन की अधिकता दर्ज की गई है.
ऐसा इसलिए देखा गया क्योंकि इस बार गर्मी के मौसम में मार्च महीने में ही पारा इतना बढ़ गया कि हीटवेव की शुरुआत तभी से हो गई, ओजोन का बनना मार्च में ही शुरू हो गया था, जो अब तक का सबसे खराब रहा. मार्च में ही ओजोन गैस बनने से इसका स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
अविकल बताते हैं कि ओजोन बनने के लिए तेज धूप या गर्म हवाओं की जरूरत होती है. उन्होंने आगे बताया कि ओजोन उन्हीं इलाकों में ज्यादा बनती है जहां पर या तो इंडस्ट्रियल एरिया हो या फिर गाड़ियों की आवाजाही ज्यादा हो. जमीनी स्तर की ओजोन सीधे हवा में उत्सर्जित नहीं होती है, लेकिन यह नाइट्रोजन (एनओएक्स) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के ऑक्साइड के बीच रासायनिक रिएक्शन से बनती है.
हवा में अधिक ओजन से बढ़ता है बीमारियों का खतरा
ओजोन का खराब स्तर चिंता का विषय है क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है, जिससे बीमारियों का खतरा रहता है. ओजोन हवा द्वारा लंबी दूरी तक पहुंच सकती है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब ओजोन स्तर का असर देखने को मिल सकता है. ओजोन युक्त हवा में सांस लेने से अस्थमा की बीमारी वाले लोग, बच्चे, बूढ़े और घर के बाहर काम करने वाले लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है.