दिल्ली में 2020 के दंगा मामले में कई आरोपियों पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं. इस बीच दिल्ली पुलिस के वकील ने सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट को बताया कि मुकदमे में देरी करने के लिए कुछ आरोपियों द्वारा डीलेयिंग टेक्टिस (Delaying tactics) का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुनवाई के दौरान देवांगना कलिता सहित कुछ आरोपियों का केस लड़ने वाले वकील ने अदालत द्वारा आरोप पर दलीलें सुनना शुरू करने पर आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा तभी किया जा सकता है जब अभियोजन पक्ष कहे कि उनकी जांच पूरी हो गई है. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या उनकी जांच जारी रहेगी और क्या पूरक आरोप पत्र दायर किया जाएगा.
एसपीपी अमित प्रसाद ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि आरोप पर बहस की तारीख एक महीने पहले तय की गई थी और आरोपी के वकील के पास इस पर सोचने-विचारने के लिए पर्याप्त समय था.
उन्होंने तर्क दिया कि इन टेक्टिस का उपयोग मुकदमे में देरी करने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि उनके क्लाइंट जमानत पर हैं. एसपीपी ने यह भी कहा कि पूरी कार्यवाही को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अभियोजन पक्ष बहस नहीं करना चाहता था. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिस से स्पष्टीकरण मांगना चाहते हैं कि जांच जारी रहेगी या नहीं. इस पर अदालत ने कहा कि इस संबंध में एक आवेदन दायर किया जाए. अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 14 सितंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.