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दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में पास, अब AAP को राज्यसभा से आस, इन 2 दलों ने बढ़ाई टेंशन

दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में ध्वनिमत से पास हो गया है. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इस बिल के उच्च सदन में पेश होने से पहले ही केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि बसपा ने पहले दिल्ली सेवा बिल पर आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन बाद में बसपा ने लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बायकॉट का ऐलान कर दिया है.

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दिल्ली सेवा बिल के लोकसभा में पास होने के बाद केजरीवाल को राज्यसभा से उम्मीदें हैं
दिल्ली सेवा बिल के लोकसभा में पास होने के बाद केजरीवाल को राज्यसभा से उम्मीदें हैं

दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में ध्वनिमत से पास हो गया है. ये विधेयक दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े मौजूदा अध्यादेश की जगह लाया गया था. इस अध्यादेश की वजह से केंद्र सरकार और अरविंद केजरीवाल की AAP के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी. लोकसभा में पास होने के बाद अब इस बिल को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. दरअसल, अरविंद केजरीवाल लंबे समय से अलग-अलग राज्यों में जाकर विभिन्न पार्टियों से इस बिल के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हुए थे. उनकी प्लानिंग थी कि इस बिल को राज्यसभा में निरस्त करवा दिया जाए. लेकिन नंबर गेम कुछ और ही इशारा कर रहा है. 

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इस बिल के राज्यसभा में पेश होने से पहले ही केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि बसपा ने पहले दिल्ली सेवा बिल पर आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन अब बसपा लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बायकॉट का ऐलान कर दिया था. उधर, ओडिशा की सत्ताधारी BJD और TDP ने इस बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का ऐलान किया है. इससे पहले YSR भी केंद्र को समर्थन देने की बात कह चुकी है.

गृहमंत्री ने साधा विपक्ष पर निशाना

दिल्ली सेवा बिल यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023  को लोकसभा में 1 अगस्त को पेश किया गया था. इस पर गुरुवार को चर्चा हुई. इस दौरान अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन 'INDIA' पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अभी तक ये लोग चर्चा के लिए कह रहे थे कि पीएम आएं तब चर्चा होगी लेकिन आज क्या हुआ? आज तो पीएम नहीं आए फिर चर्चा में क्यों हिस्सा लिया? शाह ने कहा कि हम मणिपुर पर चर्चा को तैयार हैं, जितनी लंबी चर्चा करनी है, करें. जवाब मैं दूंगा. शाह ने कहा कि देखना ये बिल संसद से पास होते ही अरविंद केजरीवाल इस 'INDIA' को बाय-बाय बोलकर चले जाएंगे.  

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शाह बोले- विपक्ष को न लोकतंत्र की चिंता है न देश की


विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास केंद्र शासित प्रदेशों पर कानून बनाने की शक्ति है और दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, केंद्र को इसके लिए नियम बनाने का भी पूरा अधिकार है. उन्होंने कहा कि आज भारत विपक्ष का दोहरा चरित्र देख रहा है. जनहित के बिल उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं. ये सभी आज इसलिए एकत्र हुए हैं, ताकि एक छोटी पार्टी उनके गठबंधन से भाग न जाए. गृह मंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों को न तो लोकतंत्र की चिंता है और न ही देश की.

केजरीवाल बोले- दिल्लीवालों की पीठ में छुरा घोंपा

लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तीखा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे. 2014 में मोदी जी ने ख़ुद कहा कि प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे, लेकिन आज इन लोगों ने दिल्लीवालों की पीठ में छुरा घोंप दिया. उन्होंने कहा कि आगे से मोदीजी की किसी बात पर विश्वास मत करना.

कांग्रेस ने बताया लोकतांत्रिक विरासत पर हमला

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वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आरोप लगाया कि दिल्ली सेवा बिल के जरिये ''शक्तियों के संवैधानिक बंटवारे में खुलेआम तोड़फोड़'' हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, लेकिन देश "जबरदस्ती संघवाद" का गवाह बन रहा है. यह कई मायनों में हमारी लोकतांत्रिक विरासत और संघवाद की भावना पर हमला है.

दिल्ली के हितों को संतुलित करने के लिए लाया गया बिल

बहस के दौरान विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह विधेयक देश और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के हितों को वैधानिक रूप से संतुलित करने के लिए लाया गया है. भारत की संसद और भारत सरकार को संविधान में अधिकार दिया गया है. संसद को गलत को सही करने और सही चीज लाने का पूरा अधिकार है.

राज्यसभा में क्या है नंबरों का गणित?

दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में पास हो गया है. अब यह राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अगर बहुमत के आंकड़े की बात करें तो बीजेपी के पास उच्च सदन में भी जादुई नंबर है, जिसके चलते इस बिल को हरी झंडी मिल जाएगी. राज्यसभा में सांसद 238 हैं. BSP का राज्यसभा में 1 सांसद है. ऐसे में बसपा बायकॉट करती है, तो सांसद होंगे 237. जबकि बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत पड़ेगी. बीजेपी के राज्यसभा में 92 सांसद हैं. इनमें 5 मनोनीत सांसद हैं, जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर यह 103 हो जाते हैं. बीजेपी को 2 निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है. इसके अलावा दिल्ली सेवा बिल पर YSR, BJD और TDP ने केंद्र का समर्थन करने का ऐलान किया. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं. जबकि टीडीपी का एक सांसद है. ऐसे में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल जाएगा. विपक्षी दलों के गठबंधन 'INDIA' के पास 109 सांसद हैं.

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