केंद्र सरकार ने आज शनिवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), असम के मुख्यमंत्री डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा और कार्बी संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में त्रिपक्षीय कार्बी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के बाद अमित शाह ने कहा कि असम में कार्बी आंगलोंग समझौता हुआ है. यह एक ऐतिहासिक समझौता है.
ऐतिहासिक समझौते के बाद अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है. मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
The signing of the Historic Karbi Anglong Agreement. Modi government is committed to resolving the decades-old crisis, ensuring the territorial integrity of Assam. https://t.co/pIRii8NVsA
— Amit Shah (@AmitShah) September 4, 2021
कार्बी असम का एक प्रमुख जातीय समूह है, जो कई गुटों और टुकड़ों से घिरा हुआ है. कार्बी समूह का इतिहास 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान से जुड़ा रहा है.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने समझौते के बाद कहा कि कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. नए समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे.
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पीएम मोदी और अमित शाह को धन्यवादः सोनोवाल
असम के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, 'ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर पर मैं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं जो दशकों पुराने संकट को हल करने, असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. मैं असम के मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद देना चाहता हूं. आज के इस समझौते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और साहसिक गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों का भी योगदान है.'
उन्होंने कहा, 'मेरा मुंबई में तीन दिनों का कार्यक्रम था, लेकिन मुझे पता चला कि यहां एक महत्वपूर्म काम होने वाला है. इसलिए मैंने समझौते को लेकर यहां रहने के लिए वहां का अपना दौरा रद्द कर दिया.'
फरवरी में हजार उग्रवादियों ने डाले थे हथियार
इस साल फरवरी में, पांच संगठनों से जुड़े 1,040 कार्बी उग्रवादियों ने मुख्यधारा में लौटने के लिए असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सामने हथियार डाल दिए थे.
उग्रवादी पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके), कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (केपीएलटी), कुकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए) से संबंधित हैं.
इन संगठनों का उद्भव एक अलग राज्य के गठन की मुख्य मांग से हुई थी. कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) एक स्वायत्त जिला परिषद है, जो भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षित है.
उग्रवादी समूहों की कुछ मांगों में KAAC के सीधे हस्तांतरण, अनूसुचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटों का आरक्षण, परिषद को अधिक अधिकार, आठवीं अनुसूची में कार्बी भाषा को शामिल करना और अधिक एमपी/एमएलए सीटें और 1,500 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज शामिल हैं.