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'खेल मंत्री ने 12 मिनट भी बात नहीं की, बैठकों में हमें डराया गया,' बोले पहलवान

WFI प्रमुख बृजभूषण शरण के खिलाफ धरना देने वाले पहलवान गुरुवार को मुखर देखे गए. उन्होंने खेल मंत्री और ओलंपिक संघ अध्यक्ष के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और जांच कमेटी को लेकर सवाल उठाए. पहलवानों ने यहां तक कहा कि खेल मंत्री ने कमेटी गठन के बाद उनका फोन तक नहीं उठाया और ना ही बात की है.

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दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना देने वाले पहलवानों ने मीडिया से बातचीत की है. (फोटो- ANI)
दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना देने वाले पहलवानों ने मीडिया से बातचीत की है. (फोटो- ANI)

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना देने वाले पहलवान अब मुखर हो गए हैं. गुरुवार को ओलंपिक संघ अध्यक्ष पीटी उषा और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बयान पर पहलवानों ने खुलकर आपत्ति जताई और तीन महीने पहले हुए बंद कमरे में समझौते की शर्तों को लेकर चेतावनी दी है. पहलवानों ने यह भी कहा कि मध्यस्थता के वक्त कई बार बैठक में हमें डराया गया. उन्होंने कहा कि खेल मंत्री कह रहे हैं कि 12 घंटे हम लोगों से बातचीत की है, सच यह है कि उन्होंने ठीक से 12 मिनट भी बात नहीं की है.

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बता दें कि खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि हमने 12 घंटे तक पहलवानों को सुना और एक कमेटी बनाई. हम भी निष्पक्ष जांच चाहते हैं, 14 बैठकें हुईं. सभी को एक निरीक्षण समिति के समक्ष अपनी बात रखने का अवसर दिया गया. किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. वहीं, ठाकुर के इस बयान पर पहलवानों ने पलटवार किया है. 

'जांच कमेटी में आपस में लड़ाई चल रही है'

बजरंग पूनिया ने कहा कि खेल मंत्री कहते हैं कि हमने खिलाड़ियों से 12 घंटे बात की. लेकिन, एक बार उनसे पूछना चाहिए कि आप खिलाड़ियों के साथ कितनी देर तक बैठे? वे खिलाड़ियों के साथ दो-चार मिनट ही बैठे. बाकी समय तो उनके अधिकारियों ने बातचीत की. वे ही मध्यस्थता कर रहे थे. हमने 6 लोगों के नाम दिए थे. सिर्फ बबीता फोगाट का नाम ही क्यों शामिल किया है. बाकी लोगों का नाम क्यों नहीं दिया. उन लोगों में आपस में ही लड़ाई चल रही है. बबीता ने खुद कहा कि मेरे हाथ से रिपोर्ट छीन ली गई. मेरे साथ बदतमीजी की गई. अगर कमेटी के लोग ही आपस में झगड़ा और बदतमीजी कर रहे हैं तो वे मेरे हमारे साथ क्या न्याय करेंगे.

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'अंदर क्या बातें हुईं... अभी हमने खुलकर नहीं बताया है'

पहलवानों ने कहा कि एक महिला खिलाड़ी ने आरोप लगाया है तो उस पर एक्शन लिया जाए. 12-13 लड़कियों ने बयान दिए हैं. कमेटी के सामने कुल 15-16 लोगों के बयान हुए हैं. विनेश फोगाट ने कहा कि हमारे पास प्रूफ हैं. कौन लोग थे, कौन नहीं थे. हम गलत आरोप नहीं लगा रहे हैं. मध्यस्थता के वक्त खेल मंत्री सिर्फ अपना चेहरा दिखाने के लिए आते थे. वहां अधिकारी मध्यस्थता करवा रहे थे. कभी-कभी बैठक में हमें डराया जाता था. हम डरे नहीं. हम डरकर कोई समझौता नहीं किया था. किसके कहने पर समझौता हुआ, अंदर क्या बातें हुई थीं... पूरी बातें अभी हमने खुलकर नहीं बोली हैं. 

'क्या कमेटी बनने के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं थी'

पहलवानों ने आगे कहा- खेल मंत्री से पूछिए कि समझौता के वक्त उन्होंने कितना समय खिलाड़ियों को दिया था. उन्होंने 12 घंटे तो दूर की बात है, 12 मिनट भी नहीं दिए हैं. हम लोगों ने फोन कॉल किए. क्या कमेटी बनने के बाद उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं थी. लेकिन बात नहीं की. उनके अधिकारी कहते रहे कि वे बिजी हैं. क्या वे तीन महीने से बिजी चल रहे थे. 

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'जो आवाज उठा रहा है, वो अनुशासनहीन है?'

उन्होंने कहा कि जनता को सब दिखाई दे रहा है. शासन के खिलाफ हम लड़ रहे हैं. हमें अनुशासनहीन कहा जा रहा है. जलील किया जा रहा है. क्या हर एक रेसलिंग का वो खिलाड़ी, जो आवाज उठा रहा है, वो अनुशासनहीन है. इतने मेडल जीत रहे हैं. क्या यही अनुशासन में रहकर गोल्ड मेडल जीते हैं.

'यह खेल के लिए अच्छा नहीं है'

आईओए की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि पहलवानों का विरोध खेल के लिए अच्छा नहीं है, यह अनुशासनहीनता है. उन्होंने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) में यौन उत्पीड़न के लिए एक समिति है, सड़कों पर जाने के बजाय वे (विरोध करने वाले पहलवान) पहले हमारे पास आ सकते थे लेकिन वे IOA में नहीं आए. यह खेलों के लिए अच्छा नहीं है. उनमें कुछ अनुशासन भी होना चाहिए.

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