दिल्ली के विवेक विहार में एक बेबी केयर सेंटर में लगी आग में कई नवजात बच्चों की मौत से देश दहल गया है. इन नवजात बच्चों के परिजन शोक में डूबे हुए हैं. पीड़ित परिजनों की एक ही मांग है कि उसे न्याय मिलना चाहिए. विवेक विहार के बेबी केयर सेंटर में 25 मई को हुई इस घटना ने एक बार फिर फायर सेफ्टी के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन करने के महत्व को चर्चा में ला दिया है.
दिल्ली में अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए फायर एनओसी हासिल करना अक्सर नौकरशाही में उलझ जाता है. लेकिन सवाल ये है कि इस एनओसी को हासिल करने के लिए राजधानी के अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए क्या दिशानिर्देश हैं? इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने इस अग्निकांड के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले तीन नर्सिंग होम का दौरा कर उसकी पड़ताल की. इस पड़ताल में पता चला कि किस तरह से छूट और लापरवाही के चलते निर्दोष लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है.
2019 में सख्त अग्निसुरक्षा नियम लागू हुए थे
फरवरी 2019 में दिल्ली के करोल बाग के होटल में हुई घटना में 17 लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद राजधानी में फायर सेफ्टी को लेकर नियम बेहद सख्त कर दिए गए थे. इसके तहत नौ मीटर से ऊंची सभी बहुमंजिला इमारतों को फायर क्लीयरेंस लेना जरूरी है. पहले इस क्लीयरेंस के लिए इमारतों की ऊंचाई 15 मीटर तय की गई थी. नए फायर सेफ्टी मानकों की वजह से छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम पर बंद होने का खतरा मंडराने लगा.जब नौ मीटर से ऊंचे स्ट्रक्चर के लिए एनओसी अनिवार्य किया गया तो दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट का रुख कर इसमें छूट देने की गुहार लगाई. दिल्ली के अधिकतर नर्सिंग होम रिहायशी प्लॉट पर बने हैं और आवश्यक दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं है. ये मामला अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है.
दिल्ली के अस्पतालों में फायर सेफ्टी नियमों को लेकर क्या स्थिति क्या है?
इंडिया टुडे के पास डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, राजधानी में 1000 से अधिक अस्पताल या नर्सिंग होम हैं, जो दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के तहत रजिस्टर्ड हैं. हालांकि, इनमें से सिर्फ 196 अस्पतालों को ही फायर एनओसी मिली है. जब हमने इन अस्पतालों का दौरा कर ये समझने की कोशिश की कि ये बिना फायर एनओसी के कैसे ऑपरेट हो रहे हैं. इन्होंने कहा कि कुछ छूट की वजह से इन नियमों का पालन करने की उन्हें जरूरत नहीं है.
विवेक विहार के बेबी केयर सेंटर से मुश्किल से एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सिंह नर्सिंग होम एक बहुमंजिला इमारत है, जिसके बेसमेंट में भी काम होता है और ये सब बिना फायर एनओसी के हो रहा है. जब इस बारे में पूछा गया तो नर्सिंग होम के प्रमुख डॉ. श्वायम ने कहा कि एनओसी की जरूरत नहीं है क्योंकि नर्सिंग होम की इमारत नौ मीटर से अधिक ऊंची नहीं है.
हालांकि, हमारी जांच में पता चला कि इमारत के ग्राउंड फ्लोर, फर्स्ट फ्लोर, सेकंड फ्लोर और बेसमेंट फिलहाल बंद है. इसके अलावा यहां का फायर एक्सटिंगिशर 20 साल से अधिक पुराना है. अगर एनओसी से छूट के बहाने को मान भी लें तो हमारी टीम को ना तो वहां कोई वॉटर स्प्रिंकलर मिला और ना ही ऑटोमेटिड फायर सेफ्टी सिस्टम मिला. ये सभी नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, 2016 (फायर एंड सेफ्टी गाइडलाइंस) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का उल्लंघन करते हैं. वहीं, नोटिस बोर्ड पर लगे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की एक्सपायरी तारीख मार्च 2023 है. जब नियमों के इन उल्लंघनों के बारे में सवाल किया गया तो डॉ. श्वायम ने सिर्फ इतना कहा कि उनका लाइसेंस 15 मई 2024 से रिन्यू हो गया है.
इसी इलाके के लोकप्रिय नर्सिंग होम ने कहा कि उनकी इमारत की ऊंचाई नौ मीटर है, जिस वजह से उन्हें फायर एनओसी से छूट मिली हुई है. इस नर्सिंग होम में सात बेड हैं लेकिन जरूरी सुरक्षा उपाय नहीं हैं. यहां ना तो फर्स्ट फ्लोर पर एग्जिट का उचित इंतजाम है और ना ही वॉटर स्प्रिंकलर है और ना ही फायर अलार्म है. यहां वेंटिलेशन की भी उचित व्यवस्था नहीं है. इमारत में सिर्फ छह एक्सटिंगिशर हैं.
क्या फायर NOC से छूट का मतलब जवाबदेही से पल्ला झाड़ना है
इंडिया टुडे ने दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के दिल्ली फायर सर्विस और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अधिकारियों से संपर्क किया और ये जानने की कोशिश की कि क्या किसी नियम फायर एनओसी छूट के तहत अग्निसुरक्षा मानकों से बचने के लिए अस्पतालों और नर्सिंग होम को जवाबदेह ठहराता है. इसके जवाब से संकेत मिला कि इस तरह के मामलों में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रकियाओं को लागू करने की कमी है.
नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 में कहा गया है कि अस्पतालों या नर्सिंग होम में इमरजेंसी एग्जिट, फायर एक्सटिंगिशर और स्वचालित वॉटर स्प्रिंक्लर सिस्टम का नहीं होना नियमों का उल्लंघन है. हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि जब दिल्ली स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों और नर्सिंग होम को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करता है तो क्या इन दिशानिर्देशों पर विचार किया गया या नहीं. दिल्ली फायर सर्विस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए राज्य सरकार की ओर से परिभाषित मानदंडों की कमी की बात कही.
इसके अलावा हमने जिन अन्य अस्पतालों का दौरा किया. उनमें गुप्ता मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भी है, जो फायर एनओसी से छूट के दायरे में नहीं आता. हालांकि, हमने जिन तीन अस्पतालों का दौरा किया. उनमें से सिर्फ इसी अस्पताल में स्वचालित फायर सेफ्टी सिस्टम, अपडेटेड फायर एक्सटिंगिशर और वॉटर हॉस था. हालांकि, अस्पताल संरचनात्मक जरूरतों की वजह से मौजूदा फायर सेफ्टी मानदंडों को पूरा नहीं करता.
सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को फायर ऑडिट का आदेश
दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को फायर ऑडिट कराने का आदेश दिया है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मामले में आठ जून 2024 तक स्वास्थ्य विभाग के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है. उन्होंने कहा कि अब सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए फायर एनओसी कराना अनिवार्य है.