कोरोना संकट अभी पूरी तरह से टला नहीं है और इस बीच दिल्ली के ताजा सैंपल टेस्ट और नए वैरिएंट को लेकर भविष्यवाणी थोड़ा डरा रही है. दरअसल, जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए दिल्ली के 80% सैंपल में डेल्टा वैरिएंट मिला है. दूसरी तरफ एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगस्त में नए वैरिएंट से नई लहर आ सकती है, लेकिन अगर नया वैरिएंट सितंबर या उसके बाद आया तो राहत के चांस हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने पिछले तीन महीने में जो सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे थे, उनमें से 80 फीसदी में डेल्टा वैरिएंट मिला है. रविवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की मीटिंग में यह बात सामने आई. पता चला कि 83.3 फीसदी सैंपल्स में डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) मिला है. ये जुलाई का आंकड़ा है. इससे पहले मई में 81.7, जून में 88.6 सैंपल में डेल्ट वैरिएंट मिला था. वहीं अप्रैल में 53.9 फीसदी सैंपल में मिला था.
जुलाई में 947 ऐसे सैंपल थे जिनमें अल्फा वैरिएंट (B.1.1.7) मिला. बता दें कि WHO द्वारा अल्फा और डेल्टा दोनों ही वैरिएंट ऑप कंसर्न (VOC) की कैटेगिरी में हैं. मतलब खतरनाक माने गए हैं. कम खतरनाक वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंट्रस्ट (VOI) माना जाता है. डेल्टा वैरिएंट पहले भारत में मिला था. फिर 95 देशों में इसके मामले पाए गए. कोरोना की घातक दूसरी लहर के पीछे कोरोना के इसी वैरिएंट का हाथ था.
कर्नाटक में तीसरी लहर का खतरा
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के शोधकर्ताओं ने तीसरी लहर पर एक स्टडी की है. इसमें कर्नाटक को केंद्र में रखा गया है. माना गया है कि अगर किसी नए वैरिएंट से तीसरी लहर आती है तो कर्नाटक में 22 अगस्त से 10 सितंबर तक 20 लाख कोरोना केस देखने को मिल सकते हैं.
हालांकि, यह भी कहा गया है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना वैक्सीन का ख्याल रखा जाए तो स्थिति ऐसी नहीं होगी. माना गया है कि अगर नया कोरोना वैरिएंट सितंबर, अक्टूबर या नवंबर में आया और कोविड प्रोटोकॉल का ठीक से पालन होता रहा तो कोई नई लहर नई आएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर नया वैरिएंट अगस्त की जगह सितंबर या नवंबर में भी आता है और कोविड प्रोटोकॉल का पालन होता रहा तो भी नई लहर नहीं आएगी.