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देवसहायम पिल्लई को पोप फ्रांसिस ने घोषित किया संत, ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने

इतिहास में पहली बार किसी भारतीय शख्स को पोप फ्रांसिस ने संत की उपाधी दी है. यह उपलब्धि 18वीं सदी में हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में जाने वाले देवसहायम पिल्लई को मिली है. पोप फ्रांसिस ने रविवार को उन्हें संत घोषित किया.

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पोप फ्रांसिस (File Photo)
पोप फ्रांसिस (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने किया ऐलान
  • 18वीं सदी में हिंदू धर्म छोड़कर अपना लिया था ईसाई धर्म

देवसहायम पिल्लई को पोप ने संत घोषित किया है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय बन गए हैं. बता दें कि देवसहायम पिल्लई जन्म से हिंदू थे. 18वीं शताब्दी उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था. संत की उपाधि हासिल करने वाले वह पहले साधारण भारतीय शख्स हैं. 

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पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में संतों की सूची में नाम शामिल करते समय 6 अन्य लोगों के साथ देवसहायम पिल्लई के भी संत होने का ऐलान किया. चर्च ने बताया कि पिल्लई ने संत बनने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

पिल्लई ने 1745 में ईसाई धर्म अपनाया था. इसके बाद उन्हें लाजर नाम दिया गया था. स्थानीय भाषा में लाजर या देवसहायम का अर्थ 'भगवान मदद के लिए हैं' होता है.

वेटिकन द्वार उनके लिए तैयार किए गए एक नोट में कहा गया कि देवसहायम ने ईसाई धर्म का प्रचार करते समय जातिगत मतभेदों को भुलाकर समानता लाने पर जोर दिया. इस दौरान उन्हें कई परेशानियां भी झेलनी पड़ीं और 1749 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. बढ़ती मुश्किलों के बीच भी उन्होंने अपना काम जारी रखा और 14 जनवरी 1752 को उन्हें गोली मार दी गई.

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तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के कोट्टार से उनके जीवन और आखिरी दिनों के पल जुड़े हुए हैं. देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद 2 दिसंबर 2012 को कोट्टार में सौभाग्यशाली घोषित किया गया था. उनका जन्म 23 अप्रैल 1712 को कन्याकुमारी जिले के नट्टलम में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था, जो तत्कालीन त्रावणकोर साम्राज्य का हिस्सा था.

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