महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया. उन्होंने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. वे दोबारा सीएम नहीं बन पाएंगे. इस दौरान उन्होंने उद्धव ठाकरे के गद्दार वाले बयान पर भी पलटवार करते हुए कहा, आप सिद्धांतों की बात मत कीजिए. आपने कुर्सी के लिए विचारधारा से समझौता किया और बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस के साथ सरकार बनाई.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में पिछले साल हुए सियासी संकट पर गुरुवार को फैसला सुनाया. इस दौरान कोर्ट ने राज्यपाल, स्पीकर के फैसले को गलत बताते हुए कहा, हम उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
क्या कहा उद्धव ठाकरे ने?
कोर्ट के इस फैसले पर उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन्हें पार्टी ने सबकुछ दिया उन्होंने ही हमारे साथ गद्दारी की. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'अगर इस्तीफा नहीं देता तो गद्दार लोगों के साथ कैसे सरकार चलाता. जिन लोगों को मेरे पिताजी, पार्टी ने सबकुछ दिया, और और ऐसे गद्दार लोग मेरे खिलाफ अविश्वास लाएं तो कैसे विश्वास करूं.''
फडणवीस ने दिया जवाब
फडणवीस ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, ये लोकतंत्र की जीत हुई. सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. वे दोबारा सीएम नहीं बन पाएंगे. हार के डर से उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पुरानी स्थिति को बहाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर ही फैसला ले. क्योंकि इसका अधिकार सिर्फ स्पीकर पर है.
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फडणवीस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग फैसला देने के लिए स्वतंत्र है. असली राजनीतिक पार्टी कौन है, इसका अधिकार भी चुनाव आयोग को दिया गया है. कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि ये सरकार पूरी तरह से कानून के तहत है. लोगों को शक था, वह दूर हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे दूर कर दिया है. अगर ये लोग सुप्रीम कोर्ट को मानते हैं, तो उन्हें मानना चाहिए कि सरकार कानून के मुताबिक है.
ये सत्य की जीत- एकनाथ शिंदे
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, आज सत्य की जीत हुई है. लोकतंत्र में बहुमत अहम होता है. हमने सरकार बनाते समय हमेशा कानून और संविधान का पालन किया है. अब तो SC ने भी इसे साबित कर दिया है. कुछ लोग हमें असंवैधानिक सरकार कह रहे थे. SC के फैसले ने अब उन्हें तमाचा जड़ दिया. बहुमत न होने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया. नैतिकता का कोई सवाल ही नहीं था. उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के खिलाफ जाकर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया.