बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े सोमवार को जारी कर दिए. नीतीश सरकार के इस कदम के बाद देशभर में जातिगत जनगणना को लेकर नई बहस छिड़ गई है. अब महाराष्ट्र सरकार भी बिहार से जातिगत सर्वे की जानकारी लेगी. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वे की जानकारी प्राप्त करेगी और सीएम एकनाथ शिंदे सही समय पर इस पर फैसला लेंगे.
फडणवीस ने बिहार के अलावा किसी राज्य ने जातिगत जनगणना नहीं कराई है, यहां तक कि कांग्रेस भले ही इसकी मांग कर रही है, लेकिन पार्टी शासित राज्यों में भी ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, हम जातिगत जनगणना की जानकारी लेंगे और सीएम शिंदे इस पर सही समय पर सही फैसला लेंगे.
लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने सोमवार को जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए. बिहार में आंकड़े जारी होने के बाद देश के अन्य राज्यों में भी जाति-आधारित जनगणना की मांग में तेजी आ सकती है. यहां तक कि कांग्रेस समेत 26 दलों के INDIA गठबंधन ने भी इसे मुख्य एजेंडा बना रखा है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस ने उठाई मांग
महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सोमवार को बिहार की तरह जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे सरकार इस तरह की कवायद से बच रही है. बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराने के फैसले की तर्ज पर, महाराष्ट्र सरकार को भी ऐसा ही करना चाहिए. मुझे समझ में नहीं आता कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में ऐसी जनगणना कराने से क्यों बच रही है. हमारे नेता राहुल गांधी देश में जाति आधारित जनगणना कराने की लगातार मांग कर रहे हैं.
विजय वडेट्टीवार ने केंद्र से तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार द्वारा 2011 में किए गए जातिगत सर्वेक्षण के विवरण का खुलासा करने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्र को स्पष्ट करना चाहिए कि 2011 की इस कवायद का विवरण गुप्त क्यों रखा गया है?
बिहार में क्या कहते हैं आंकड़े?
बिहार में कुल 13 करोड़ से अधिक की आबादी है. इसमें से सबसे ज्यादा 63% ओबीसी ( 27% पिछड़ा वर्ग+ 36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग) वर्ग की आबादी है. इसके बाद बिहार में SC वर्ग की 19% आबादी है. बिहार में अनारक्षित (जनरल) की तादाद 15.52% है. अनुसूचित जनजाति यानी ST वर्ग की आबादी 1.68% है.