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भारत में ट्रांसजेंडर्स भी बन सकेंगे पायलट, DGCA ने जारी की गाइडलाइन

DGCA ने ट्रांसजेंडर्स को पायलट के लाइसेंस देने के लिए गाइडलाइन जारी की हैं. इनमें कहा गया है कि निजी पायलट, छात्र का पायलट और वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस के लिए इन सभी गाइडलाइन को पूरा करना होगा, जिनमें मेडिकल समेत कई तरह के प्रमाण पत्र देने होंगे. बता दें कि केरल के एडम हैरी के प्रयासों की वजह से ही DGCA ने अपनी नीति में बदलाव में किया है.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पहली बार ट्रांसजेंडर पायलटों को विमान उड़ाने की अनुमति दी है. इसको लेकर बुधवार को मेडिकल से जुड़ी गाइडलाइन जारी की हैं, जो ट्रांसजेंडर्स को देश में हवाई जहाज उड़ाने की अनुमति देगी. 

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DGCA ने अपने सर्कुलर में कहा है कि जिन ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों ने अपनी हार्मोन थेरेपी पूरी कर ली है या फिर जिन्होंने 5 साल पहले थेरेपी शुरू कर दी थी, वो विमानों को उड़ाने में सक्षम होंगे, बशर्ते उन्हें मानसिक स्वास्थ्य जांच परीक्षण से गुजरना होगा. ट्रांसजेंडर्स उम्मीदवारों के मेंटल हेल्थ टेस्ट, वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ द्वारा निर्धारित ब्लूप्रिंट पर आधारित होंगे. सर्कुलर में कहा गया है कि "जो ट्रांसजेंडर आवेदक पिछले 5 साल के भीतर हार्मोन थेरेपी ले रहे हैं या उनकी सर्जरी हुई है, उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के लिए जांच की जाएगी." 

गाइडलाइन के मुताबिक, ट्रांसजेंडर्स उम्मीदवारों को न केवल मनोवैज्ञानिक और मानसिक मूल्यांकन से गुजरना होगा, बल्कि किसी भी सर्जरी के बारे में अपने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के साथ-साथ सर्जन से भी प्रमाण पत्र देना होगा, जोकि बीते एक साल में किए गए टेस्ट पर आधारित होना चाहिए. यदि उम्मीदवार इन सभी टेस्ट को क्लियर करेगा तभी उसे फिट घोषित किया जाएगा और कॉकपिट में बैठने की अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा जीवन भर हार्मोन थेरेपी पर रहने वालों को केवल तभी भर्ती किया जाएगा, जब वे यह साबित कर सकें कि वे एक स्थिर खुराक तक पहुंच चुके हैं. 

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सभी लाइसेंस के लिए सेम गाइडलाइन

DGCA के मुताबिक, मेडिकल गाइडलाइंस सभी कैटेगरी के पायलट लाइसेंस के लिए लागू हैं. निजी पायलट का लाइसेंस, छात्र का पायलट लाइसेंस और वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस. हालांकि, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को केवल प्रथम अधिकारी के रूप में उड़ान भरने की अनुमति दी गई है. यदि कोई ट्रांसजेंडर पायलट पायलट-इन-कमांड है, तो उनके सह-पायलट को उस मशीन पर 250 घंटे का अनुभव होना चाहिए. 

भारत के पहले ट्रांसजेंडर पायलट, 23 वर्षीय एडम हैरी को पहले DGCA द्वारा विमान उड़ाने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था. एडम के प्रयासों के कारण ही DGCA ने अपनी नीति में बदलाव किया है. 

एडम ने दक्षिण अफ्रीका से लिया है लाइसेंस 

एडम हैरी ने दक्षिण अफ्रीका से प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL) हासिल किया है. बाद में उन्होंने कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित राजीव गांधी एकेडमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी में जनवरी 2020 में खुद को एनरॉल कराया था. एडम ने एक मेडिकल टेस्ट भी दिया था, लेकिन DGCA ने अनफिट बताकर लाइसेंस नहीं दिया था.

 

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