scorecardresearch
 

धीरेंद्र शास्त्री ही नहीं, 'चमत्कार' के हैं कई किस्से, जब चंद्रास्वामी ने ब्रिटेन की भावी PM को पहनाया था ताबीज

आज सोशल मीडिया में बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के कथित चमत्कारों की चर्चा है. भारत में सिद्धि, चमत्कार और भविष्यवाणियां नई बात नहीं है. एक समय भारत के गॉडमैन और कई राष्ट्राध्यक्षों तक पहुंच रखने वाले तांत्रिक चंद्रास्वामी के 'चमत्कारों' की ऐसी ही चर्चा होती थी. लगभग 45 साल पहले मार्गरेट थैचर को ये बताकर चौंका दिया था कि वे ब्रिटेन की पीएम कब बनेंगी?

Advertisement
X
कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री, पूर्व PM मार्गरेट थैचर और तांत्रिक चंद्रास्वामी
कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री, पूर्व PM मार्गरेट थैचर और तांत्रिक चंद्रास्वामी

जगह थी ब्रिटेन की राजधानी लंदन. हाउस ऑफ कॉमन्स यानी कि ब्रिटिश पार्लियामेंट के एक छोटे से कमरे में नामी-गिरामी लोग बैठे थे. ये शख्सियतें थीं ब्रिटेन में भारत डिप्टी हाई कमीश्नर नटवर सिंह, ब्रिटेन की नेता प्रतिपक्ष और कंजरवेटिव पार्टी की लीडर मार्गरेट थैचर, वही कद्दावर मार्गरेट थैचर जो अगले कुछ सालों में पीएम बनने वाली थीं. इसके अलावा एक और अहम किरदार इस मीटिंग में था जिसके इर्द-गिर्द ये कहानी घूमती है. ये महाशय थे युवा तांत्रिक और गॉडमैन चंद्रास्वामी. 

Advertisement

अब एक तो ब्रिटेन जैसा आधुनिक देश. ऊपर से वहां की संसद  हाउस ऑफ कॉमन्स. ये कोई ऐसी जगह तो थी नहीं कि यहां कोई तंत्र क्रिया की जाए या फिर किसी के बारे में भविष्यवाणी की जाए. लेकिन उस रोज जो वहां जो 'चमत्कार' हुआ उसे देखकर दुनिया में 'आयरन लेडी' के नाम से प्रसिद्ध हुईं मार्गरेट थैचर सचमुच मंत्रमुग्ध हो गईं. 

25-30 साल का एक युवा तांत्रिक, लाल कपड़ा पहने, माथे पर तिलक लगाए, रुद्राक्ष की माला डाले, ध्यान की मुद्रा में उनके सामने बैठा पावरफुल महिला मार्गरेट थैचर के मन की बातें बता रहा था. और वो हैरानी से इसे सुन रही थीं. इस 'सिद्ध पुरुष' ने विपक्ष की नेता मार्गरेट थैचर को यह भी बताया कि वो कितने दिनों में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने वाली हैं. क्या इस तांत्रिक की भविष्यवाणी सही निकली? 

Advertisement

पर्चा वाले धीरेंद्र शास्त्री की चर्चा

चंद्रास्वामी, नटवर सिंह और मार्गरेट थैचर की ये कहानी हम आपको बताएं इससे पहले हाल ही में सुर्खियों में आए कथावाचक और बागेश्वर धाम के संचालक धीरेंद्र शास्त्री की चर्चा करना जरूरी है. धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य चमत्कारी दरबार' लगाते हैं. बागेश्वर धाम के इस 'सरकार' का दावा है कि वे अपनी कथित शक्तियों से अपने दरबार में पहुंचने वाले महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के मन की बात जान लेते हैं. 

धीरेंद्र शास्त्री की ओर से दावा किया गया है कि वहां आने वाले लोग पर्ची में अपनी समस्या लिखते हैं और कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री भक्तों के बताए बिना ही अपनी पर्ची में उनकी समस्या लिख देते हैं और बाद में उनका निराकरण भी बताते हैं. 

धीरेंद्र शास्त्री के इन दावों पर बड़ा विवाद हुआ है. नागपुर की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने आरोप लगाया कि धीरेंद्र शास्त्री अंद्धविश्वास और जादू टोना को बढ़ावा दे रहे हैं.  श्याम मानव ने दावा किया है कि अगर धीरेंद्र शास्त्री उनके सामने किसी तरह का चमत्कार करते हैं तो वे उन्हें 30 लाख रुपये का इनाम देंगे. 

नौकरशाह नटवर सिंह चंद्रास्वामी को ऐसे करते हैं याद

कुछ इसी तरह चमत्कार दिखाने का दावा चंद्रास्वामी करते थे. भारत के पूर्व कूटनीतिज्ञ और नौकरशाह नटवर सिंह ने अपनी किताब  "वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट" में उस घटना का जिक्र किया है जब चंद्रास्वामी के सामने कंजरवेटिव पार्टी की नेता मार्गरेट थैयर सम्मोहित जैसी बैठी थीं और चंद्रास्वामी एक के बाद एक उनके मन में उपजे सवालों को बताते जा रहे थे. 

Advertisement

नटवर सिंह लिखते हैं कि वर्ष 1975 की बात है. मार्गरेट थैचर कंजरवेटिव पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष बन चुकी थीं. उस समय नटवर सिंह लंदन में भारत के डिप्टी हाई कमीश्नर (उप उच्चायुक्त) थे.

ये भारत में आपातकाल से पहले की बात है. चंद्रास्वामी लंदन पहुंचे हुए थे. तब तक भारत में चंद्रास्वामी का रौला-रुतबा ठीक ठाक हो चुका था. लंदन में एक दिन चंद्रास्वामी नटवर सिंह से मिले और अजीब मांग कर डाली. चंद्रास्वामी ने कहा कि वे उनकी मुलाकात कंजरवेटिव पार्टी की नेता मार्गरेट थैचर से करा दें. नटवर सिंह को ये सुनकर बड़ा अजीब लगा. भारत का एक युवा संन्यासी और ब्रिटेन के नेता प्रतिपक्ष से मिलने की चाहत. वे कुछ समझ नहीं पाए.  उन्हें लग रहा था कि चंद्रास्वामी मार्गरेट थैचर के सामने कुछ अजीब हरकत न कर दें. ये उनकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ देश की इज्जत का भी सवाल था.  

हां...हां मिला दीजिए, बड़ी सिद्धि है इनमें

नटवर सिंह ने इस बात की इजाजत अपने बॉस और तत्कालीन विदेश मंत्री वाईबी चव्हाण से लेनी जरूरी समझी. नटवर सिंह को लगा कि चव्हाण इसके लिए इजाजत नहीं देंगे और वे इस विकट स्थिति से निकल जाएंगे. लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में नटवर सिंह ने इस घटना को याद किया है. बकौल नटवर सिंह वाईबी चव्हाण ने कहा, "हां...हां मिला दीजिए. बड़ी सिद्धि है इनमें." 

Advertisement

आखिरकार नटवर सिंह को चंद्रास्वामी की पैरवी करनी पड़ी. नटवर सिंह मार्गरेट थैचर से मिलने पहुंचे. उन्होंने थैचर से कहा कि वे एक अजीब अपील लेकर आए हैं. भारत के एक युवा संन्यासी की आपमें बड़ी रूचि है क्या आप उनसे मिलना चाहेंगी?  

अब इसे जो भी कहें. संयोग या समीकरण. मार्गरेट थैचर तैयार हो गईं. उन्होंने नटवर सिंह से कहा कि अगर आप समझते हैं कि मुझे उनसे मिलना चाहिए तो मैं उनसे मिल लूंगी? लेकिन सिर्फ 10 मिनट. 

अंग्रेजी नहीं बोल पाते थे चंद्रास्वामी

थैचर ने अगले हफ्ते मुलाकात का समय दे दिया. मुलाकात से पहले नटवर सिंह ने चंद्रास्वामी को चेता दिया कि वे वहां कुछ मूर्खतापूर्ण काम न करें. इस पर चंद्रास्वामी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा था कि वे इस बारे में एकदम चिंता न करें. यहां दीगर है कि चंद्रास्वामी अंग्रेजी पढ़-बोल नहीं सकते थे. इसलिए इस मुलाकात के दौरान नटवर सिंह चंद्रास्वामी का दुभाषिये का रोल निभा रहे थे. 

चंद्रास्वामी जब थैचर से मिलने जाने लगे तो उन्होंने सिद्ध पुरुषों की तरह अपनी वेश-भूषा धारण की. लाल वस्त्र, ललाट पर तिलक, गले में रुद्राक्ष की मालाएं, हाथ में दंड. नटवर सिंह कहते हैं कि ऐसा करते देख मैंने उन्हें रोका और कहा कि ये मूर्खतापूर्ण चीजें बंद करें. वे बहुत अजीब दिख रहे थे. 

Advertisement

आखिरकार एक छोटे से कमरे में मुलाकात शुरू हुई. नटवर सिंह कहते हैं, "मार्गरेट थैचर ने उन्हें गौर से देखा... मैंने मन ही मन सोचा हे भगवान ये मैं कहां फंस गया हूं." 

मुझे कुछ नहीं लेना इनसे, इन्हें लेना है तो पूछ लें

औपचारिक मुलाकात के बाद मार्गरेट थैचर ने चंद्रास्वामी से पूछा- मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं? चंद्रास्वामी ने अपना जवाब नटवर सिंह को सुनाया, "मुझे कुछ नहीं लेना इनसे, इन्हें लेना है तो पूछ लें मुझसे." नटवर सिंह चिढ़ गए. स्वामी ये क्या कर रहे हैं. मगर अपना गुस्सा दबाते हुए उन्होंने ये बात अंग्रेजी में थैचर को बता दी. थैचर को समझ में ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है? 

10 मिनट की समय सीमा करीब आती जा रही थी. माहौल सहज नहीं हो रहा था. इसके बाद चंद्रास्वामी ने एक पेपर और पेंसिल मंगवाई. अब तक थैचर ऊबने लगी थीं. चंद्रास्वामी ने कागज पर ऊपर से नीचे और दाएं से बाएं तक रेखा खींच दीं. फिर हाउस ऑफ कॉमन्स में अपना 'जादू' दिखा रहे इस संन्यासी ने पेपर के टुकड़े दिए और कहा कि इन पर वे कोई भी पांच सवाल लिखकर फिर अच्छी तरह मोड़कर कागज पर बने खानों में रखें. 

Advertisement

मार्गरेट थैचर उन्हें घूर रही थीं 

नटवर सिंह कहते हैं कि ये ताम-झाम देखकर मार्गरेट थैचर उन्हें घूर रही थीं और मन ही मन मानों कह रही हों आप हाई कमीश्नर बनने लायक नहीं हो सकते हैं!

खैर आगे की क्रिया शुरू हुई. चंद्रास्वामी ने थैचर को मन ही मन पहला सवाल पढ़ने को कहा. चंद्रास्वामी ने ये सवाल बिल्कुल सही बता दिया और ये भी कहा कि आपकी चीन यात्रा सफल होगी. सवाल बिल्कुल सही था. दूसरा सवाल- अमेरिका के राष्ट्रपति से आपकी मुलाकात सफल होगी. ये भी सवाल सही था. 

ये क्या...थैचर अब चौंकी. अब उनकी चिढ़ गायब हो चुकी थी. इसकी जगह उत्सुकता ने ले ली. अब वे चंद्रास्वामी को ध्यान से सुनने लगी. नटवर सिंह ट्रांसलेट करके पूरी बात थैचर को बता रहे थे. 

तीसरा प्रश्न-सही, चौथा प्रश्न-सही

अब तक भविष्य की आयरन लेडी का विचार भारत के इस युवा संन्यासी को लेकर पूरी तरह बदल चुका था. पांचवां सवाल आते आते मार्गरेट थैचर की सीटिंग पोजिशन पूरी तरह बदल चुकी थी. वे उत्सुकतावश सोफे के अगले किनारे तक पहुंच गई थीं. 

बीबीसी से बातचीत में नटवर सिंह ने कहा है, ''थैचर अब चंद्रास्वामी को आम व्यक्ति की बजाय सिद्ध पुरुष की तरह समझने लगी थीं. 

सूर्य सो गया है, मना कर दीजिए

Advertisement

पांचवां सवाल भी सही निकला. तभी चंद्रास्वामी ने अपनी चप्पलें उतार दीं और सोफे पर पद्मासन की मुद्रा मैं बैठ गए. 

ये देखकर मिसेज थैचर की मुग्धता और बढ़ गई. वो और सवाल पूछना चाह रही थीं. चंद्रास्वामी को जब ये बात नटवर सिंह ने बताई तो उन्होंने कहा कि मना कर दीजिए, सूर्य सो गया है. दरअसल ये मुलाकात शाम को हो रही थी, और तब तक सूर्यास्त हो चुका था.  

थैचर अपने सवालों के सही जवाब पाकर चकित थीं. वे कुछ और प्रश्न चंद्रास्वामी से पूछना चाह रही थीं. लेकिन आज ये सेशन संभव नहीं था. थैचर ने कहा कि वे चंद्रास्वामी से फिर से मिल सकती हैं क्या?

नटवर सिंह ने ये बात चंद्रास्वामी से पूछी? इसपर चंद्रास्वामी ने जवाब दिया, "इनसे कह दीजिए कि मंगलवार को दोपहर के 2.30 बजे वे आपके घर पर आकर मुझसे मिलें."

बकौल हाई कमिश्नर नटवर सिंह प्रोटोकॉल जानते थे. नेता प्रतिपक्ष के साथ मुलाकात के लिए अपनी पसंद से जगह तय नहीं की जा सकती थी. इस बात का जिक्र करते हुए नटवर सिंह ने हंसते हुए कहा था, 'मैं तो नहीं कहता, आपका दिमाग खराब हुआ है'. इस पर चंद्रास्वामी ने कहा- आप कह कर तो देखिए. नटवर सिंह ने किसी तरह ये बात थैचर को कह दी. उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा जब ब्रिटेन की लीडर ऑफ अपोजिशन इस तांत्रिक से मिलने के लिए उनके घर आने को तैयार हो गईं. 

ये ताबीज पहनकर आएं 

अब मार्गरेट थैचर सोफे से उठीं, मीटिंग खत्म हो चुकी थी. वे बाहर जा रही थीं. तभी चंद्रास्वामी ने एक ताबीज निकाली. वो ताबीज बहुत ही गंदा था. इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में नटवर सिंह ने कहा था, "मैंने चंद्रास्वामी से पूछा ये क्या है, उन्होंने कहा कि उनसे कहिए कि मुलाकात के रोज वे इसे अपनी बांईं बांह पर पहनकर आएं." 

ये सुनते ही नटवर सिंह का पारा हाई हो गया. उन्हें लगा कि वे चंद्रास्वामी पर काबू खो देंगे. लेकिन चंद्रास्वामी ने कहा- आप कहकर तो देखिए. नटवर सिंह ने एक बार फिर उनकी बात थैचर तक पहुंचाई. थैचर ने बिना किसी संकोच के ताबीज ले ली. एक बार फिर हैरानी. अब चंद्रास्वामी ने नटवर सिंह को अगला झटका दिया और कहा- इनसे कहिए मुलाकात के दिन लाल वस्त्र पहनकर आएं. नटवर कहते हैं कि ये सुनते ही मुझे लगा कि उन्हें जमकर डांटू. थैचर सामने ही खड़ी थीं. वे नटवर सिंह की स्थिति समझ गईं. उन्होंने पूछा माजरा क्या है? नटवर सिंह ने संकोचवश फिर पूरी बात बता दी. थैचर एक बार फिर से तैयार हो गईं.

लाल वस्त्र, बांह में ताबीज

नटवर सिंह के अनुसार तय समय पर मार्गरेट थैचर सन हाउस, फ्रोग्नल वे, हैंपस्टड में पहुंच गईं. ये वही जगह थी जहां नटवर सिंह रहते थे. मिसेज थैचर चटख लाल रंग के कपड़े पहने हुई थीं. उनकी बांयी बांह पर वही ताबीज लटक रही थी. 

मैं प्रधानमंत्री कब बनूंगी?

भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह इस मुलाकात के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उनके घर में चार लोग थे. वे स्वयं, उनकी पत्नी, चंद्रास्वामी और मार्गरेट थैचर. मार्गरेट थैचर ने कई प्रश्न उनसे पूछे. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल था- मैं प्रधानमंत्री कब बनूंगी? 

चंद्रास्वामी ने अपनी आवाज में गंभीरता लाते हुए कहा, "आप साढ़े तीन साल में प्रधानमंत्री बन जाएंगी", इसके अलावा चंद्रास्वामी ने यह भी कहा कि आप 9 साल, 11 साल या 13 साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगी. 

1975 की भविष्यवाणी, 1979 में साबित हुई

ब्रिटेन की राजनीति के साढ़े तीन गुजर गए. मई 1979 में ब्रिटेन में आम चुनाव हुए. इस चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को जीत मिली. मार्गरेट थैचर ब्रिटेन के इतिहास में पहली बार किसी बड़ी पार्टी की पहली महिला नेता चुनी गईं. 4 मई 1979 को वे ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गईं. वे 1983 और 1987 में भी चुनाव जीतीं और लगभग 11 साल (1990) तक  अपने पद पर बनी रहीं. 

जब नटवर सिंह ने PM थैचर को चंद्रास्वामी की याद दिलाई

नटवर सिंह कहते हैं कि कुछ दिनों के बाद उनका तबादला जाम्बिया के लुसाका शहर में कर दिया गया था. अगस्त 1979 में लुसाका में कॉमनवेल्थ सम्मेलन हुआ तो थैचर वहां पहुंची थीं. इस दौरान नटवर सिंह उनसे मिले और कहा- मैडम हमारे आदमी की बात तो सही हो गई. इस पर थैचर ने नटवर सिंह को व्यक्तिगत रूप से मिलने बुलाया. नटवर सिंह ब्रिटिश पीएम की प्रतिष्ठा को समझते थे. इस मुलाकात के दौरान थैचर बोलीं- हाई कमिश्नर साहब, हमलोगों को इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए. इस पर नटवर सिंह ने कहा- जरूर, जरूर. हमलोग इस पर बात नहीं करेंगे. 

 

Advertisement
Advertisement