भारतीय एजेंसियों को गुरुवार के दिन एक बड़ी सफलता मिली है. पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी को अब भारत लाया जाएगा. लंदन की एक अदालत ने नीरव मोदी के उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. हीरा कारोबारी नीरव मोदी से जुड़े इस फैसले की कॉपी यूके के होम ऑफिस में भेजी जाएगी. इसके बाद होम ऑफिस के पास 28 दिन का समय होगा, जिस पर वहां के सचिव हस्ताक्षर करेंगे.
इस तरह कुल 28 दिनों के भीतर नीरव मोदी को भारत लाने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. लेकिन नीरव मोदी के पास अभी भी तीन विकल्प हैं, जिनसे वह फ़िलहाल के लिए बच सकता है. एक ये कि अगर नीरव मोदी लंदन की इस स्थानीय कोर्ट के फैसले को वहां के हाईकोर्ट में चुनौती दे. अगर वह हाईकोर्ट में भी हार जाता है तो इसके बाद भी उसके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प होगा.
इन दो विकल्पों के अलावा उसके पास तीसरा विकल्प भी खुला हुआ है, वह है मानवाधिकारों का. अगर नीरव मोदी अपनी मेंटल हेल्थ और मानवाधिकारों को आधार बनाता है, या ये बहाना बनाता है कि भारत की जेलों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं तो नीरव मोदी यूके की मानवाधिकार अदालतों में भी जा सकता है. इसका अर्थ है कि इस पूरी प्रक्रिया में अभी एक से दो साल और लग सकते हैं. अगर नीरव मोदी इस फैसले को चुनौती नहीं देता है तो 28 दिन के अंदर ही उन्हें भारत लाया जा सकेगा. और अगर नीरव मोदी लंदन की इस लोकल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर देते हैं तो इसके बाद एक बार फिर यही प्रक्रिया चलेगी.
ब्रिटेन का कानून नीरव मोदी को अधिकार देता है कि वो लोकल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकें. अब ये नीरव मोदी पर निर्भर करता है कि वे आगे क्या करने वाले हैं. लेकिन नीरव मोदी पर इस फैसले को देते समय लंदन की स्थानीय कोर्ट ने जो बातें कहीं उनमें से तीन बातें अधिक प्रमुख हैं जिनसे भारत का पक्ष और अधिक मजबूत होता है. एक ये कि लंदन की कोर्ट ने प्रथम दृष्टया ये माना है कि नीरव मोदी ने PNB बैंक के अधिकारीयों के साथ मिलकर घपलेबाजी का जाल बुना है. दूसरी बात ये कि नीरव मोदी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में भी शामिल रहा है.
तीसरी बात अदालत ने ये कही कि ये संभव है कि अगर नीरव मोदी को हिंदुस्तान भेजा जाता है तो उसे वहां इस मामले में अपराधी ठहरा दिया जाएगा. रही बात नीरव मोदी के मेंटल हेल्थ की तो उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल हिंदुस्तान में भी रखा जा सकता है. आपको बता दें कि नीरव मोदी ने अपने पक्ष में तर्क दिया था कि उनकी मेंटल हेल्थ सही नहीं है, ऊपर से हिंदुस्तान की जिस जेल में उन्हें रखा जाएगा वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. उनकी मेंटल हेल्थ को देखते हुए उन्हें भारत के लिए प्रत्यर्पित न किया जाए.