
देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है और इसे लेकर तमाम सरकारें और नीति-निर्माता चितिंत रहते हैं. लेकिन GDB यानी सकल घरेलू व्यवहार के मामले में देश कहां खड़ा है, सभी को इसके बारे में भी पता होना चाहिए. इंडिया टुडे ग्रुप ने डेटा एनालिटिक्स फर्म 'हाउ इंडिया लिव्ज' के साथ मिलकर 21 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 98 जिलों में अपनी तरह का पहला जनमत सर्वे किया. इस सर्वे में करीब 10 हजार लोगों से उनकी आय या संपत्ति के बारे में नहीं, बल्कि उनके बर्ताव, हमदर्दी और नीयत के बारे में बातचीत की गई है.
दिल्ली में सबसे ज्यादा UPI पेमेंट
देश के अलग-अलग राज्य इस पैमाने पर कहां ठहरते हैं, इस बात की पड़ताल भी इस सर्वे में की गई है. इसमें एक सवाल डिजिटल पेमेंट को लेकर था जिसमें पूछा गया कि रोजमर्रा के लेनेदेन में डिजिटल पेमेंट या यूपीआई का कितना इस्तेमाल करते हैं. जवाब मिला कि देश के 76 फीसदी लोग अब कैश के बजाए डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता देते हैं, जिसमें दिल्ली 96 फीसदी के साथ सबसे आगे है. इसके अलावा अब भी देश में 18 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके लिए कैश ही किंग है.
वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता को लेकर जनता का यह रुझान स्वीडन के जैसा है, जहां 2023 में कैश लेन-देन देश की जीडीपी का सिर्फ एक फीसदी था. डिजिटल पेमेंट अपनाकर स्वीडन ने न सिर्फ व्यापार-कारोबार को आधुनिक बनाया है, बल्कि उससे टैक्स चोरी भी कम हुई, भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और ऐसी सिस्टम बना जो पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है.
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इसी तरह पब्लिक सेफ्टी भी हमारे समाज के लिए एक बुनियादी सवाल है. लोग अपनी रोजमर्रा के काम के लिए घरों से बाहर निकलते हैं और वहां खुद को कितना सुरक्षित महसूस करते हैं. यह जानने की कोशिश की गई पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा को लेकर कैसी चिंताएं है और बस या फिर रेल में सफर करने के दौरान छेड़छाड़ का सामना तो नहीं करना पड़ता?
पब्लिक सेफ्टी में केरल आगे
सर्वे में सामने आया कि पब्लिक सेफ्टी के मामले में केरल सबसे आगे है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश और ओडिशा का नंबर आता है. आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस लिस्ट में सबसे निचले 22वें पायदान पर है. इस तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने के दौरान देश के 86 फीसदी लोग सुरक्षित महसूस करते हैं और इनमें महाराष्ट्र अव्वल है.
सर्वे में सामने आया कि महाराष्ट्र में बस, रेल, मेट्रो या लोकल में सफर के दौरान 89 फीसद लोग सुरक्षित महसूस करते हैं और उनके साथ कोई भी छेड़छाड़ या बदसलूकी जैसी घटनाएं नहीं होती हैं. लेकिन इसके उलट पंजाब में सिर्फ 27 फीसदी लोग ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमला करते वक्त खुद को सुरक्षित पाते हैं. देशभर में 14 फीसदी लोग ऐसे हैं जो सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हुए खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.