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बृजभूषण से शुरू.... यौन उत्पीड़न, FIR और चार्जशीट पर 'शांत', अब 'अखाड़े' में खुद पहलवान?

यूपी के कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रही पहलवानों की लड़ाई में अब एक नया मोड़ आ गया है. धरने की शुरुआत और परमीशन को लेकर दो बड़े अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों के बीच जुबानी जंग देखने को मिली है. पहले पहलवान साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने वीडियो शेयर किया. फिर बीजेपी नेता बबीता फोगाट ने पलटवार किया और दावों को गलत बताया. जानिए इस केस में अब तक के अपडेटस...

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WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली पुलिस की चार्जशीट से बड़ी राहत मिली है. (फोटो- पीटीआई)
WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली पुलिस की चार्जशीट से बड़ी राहत मिली है. (फोटो- पीटीआई)

भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह को लेकर जनवरी से लेकर जून तक माहौल में गर्मी है. पहले बृजभूषण को WFI चीफ पद से हटाने के लिए दिल्ली में मंतर-मंतर पर धरना, फिर जांच कमेटी का आश्वासन और हंगामा शांत. फिर अचानक तीन महीने बाद अप्रैल में पहलवानों का जमावड़ा लगा और बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के मामले में FIR की मांग पर अड़ गए. सुप्रीम कोर्ट के दखल पर रिपोर्ट दर्ज हुई. लेकिन, गिरफ्तारी ना होने को मुद्दा बनाकर घेराबंदी तेज कर दी गई. 

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इस बीच, जून के दूसरे हफ्ते में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी और बृजभूषण को नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर क्लीन चिट दे दी. साक्षी मलिक की यह टिप्पणी दिल्ली पुलिस की उस सिफारिश के बाद आई, जिसमें नाबालिग पहलवान की शिकायत को सबूतों के अभाव में खारिज करने के लिए कहा गया है. वहीं, पहलवानों ने पीड़ित परिवार को धमकी देकर बयान बदलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया. हालांकि, लड़की के परिवार ने सामने आकर गुस्से में शिकायत करने की बात कही है.

'बीजेपी नेताओं ने दिलवाई धरने की परमीशन'

कुछ दिन की चुप्पी के बाद अब इस मामले में अचानक पहलवानों के बीच ट्वीटर पर उबाल देखने को मिल रहा है. दो दिन पहले साक्षी मलिक अपने पति सत्यव्रत कादियान के साथ सामने आईं. उन्होंने एक वीडियो ट्वीट किया और पूरे घटनाक्रम पर अपना पक्ष रखा. साक्षी और उनके पति ने इस पूरे आंदोलन के पीछे बीजेपी के दो नेताओं के नाम घसीटे. उन्होंने दावा किया कि आंदोलन के लिए अंतरराष्ट्रीय पहलवान और बीजेपी नेता बबीता फोगाट और सोनीपत के जिलाध्यक्ष तीरथ राणा ने सुझाव दिया था. इतना ही नहीं, दोनों नेताओं ने ही जंतर-मंतर पर धरने की मंजूरी दिलवाई थी. बाद में दोनों नेता पीछे हट गए. बबीता तो सरकार की तरफ से मीडिएटर बनकर बातचीत करने आईं.

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'ना मेरे हस्ताक्षर, ना कोई प्रमाण'

साक्षी के दावे पर बबीता ने पलटवार किया और कहा, जिस अनुमति पत्र को दिखाया गया है, उसमें मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं. ना ही मैंने सहमति दी थी. ना इसके कोई प्रमाण हैं. उन्होंने कहा, मैं ये स्पष्ट कर दूं कि जो अनुमति का कागज छोटी बहन (साक्षी) दिखा रही थीं, उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर या मेरी सहमति का कोई प्रमाण नहीं है. ना दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना देना है.

पहलवान

'हमने बबीता और तीरथ पर तंज कसा था...' 

बबीता की सफाई पर साक्षी मलिक ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, वीडियो में हमने तीरथ राणा और बबीता फोगाट पर तंज कसा था कि कैसे वे अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों को इस्तेमाल करना चाह रहे थे और कैसे पहलवानों पर जब विपदा पड़ी तो वे जाकर सरकार की गोद में बैठ गए. हम मुसीबत में जरूर हैं लेकिन हास्यबोध इतना कमजोर नहीं हो जाना चाहिए कि ताकतवर को काटी चुटकी पर आप हंस भी न पाएं.

इस सबके बीच, विनेश फोगाट ने भी ट्वीट किया. उन्होंने सिर्फ इतना लिखा, तकलीफों से लदे तजुर्बे… अक्सर बेजुबां रहते हैं.

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अब जान लीजिए- पहले साक्षी ने क्या कहा था, बबीता ने क्या दिया था जवाब...

17 जून को साक्षी मलिक ने वीडियो ट्वीट किया. इसमें कहा, बबीता फोगाट (बीजेपी नेता) और तीरथ राणा (सोनीपत में बीजेपी के जिलाध्यक्ष) ने दिल्ली के जंतर-मंतर धरना देने के लिए कहा था. दोनों नेताओं ने ही दिल्ली में धरने की मंजूरी दिलवाई थी. ये परमीशन जंतर-मंतर थाने से ली गई थी. कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के उकसाने की चर्चाओं को निराधार बताया. उन्होंने कहा, ये कैसे हो सकता है कि ये आंदोलन कांग्रेस ने करवाया है. 90 प्रतिशत कुश्ती से जुड़े लोगों को 10-12 साल से यह पता था कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ हो रही है.

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लंबे समय तक आवाज ना उठाने का बताया कारण 

साक्षी के पति सत्यव्रत ने कहा, वे अब समाज के सामने सच्चाई रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, हमारे बीच (पहलवान) एकता की बहुत कमी थी, इसलिए लंबे समय तक बात नहीं रख पाए. एक-एक आदमी आवाज नहीं उठा सकता था. कुश्ती में आने वाले सभी खिलाड़ी बेहद गरीब परिवार से होते हैं. उनमें हिम्मत नहीं होती है. इतनी बड़ी व्यवस्था और पावरफुल शख्स के बारे में आवाज उठा सकें. ये सब आपने देख भी लिया है.

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पहलवान

'हमारे सम्मान को सड़कों पर रौंदा गया' 

साक्षी ने कहा, इंडिया के टॉप रेसलर्स ने मिलकर आवाज उठाई और उन्हें किन हालातों से गुजरना पड़ा. सत्यव्रत ने कहा, महिला पहलवानों ने मार्च निकाला तो उनको घसीटा गया. हमने कोई कानून और संविधान का उल्लंघन नहीं किया था. हमें धरना स्थल से हटा दिया गया था. 28 मई की इस घटना ने हमें अंदर से तोड़ दिया था. हमने देश के लिए अवॉर्ड जीते. मान-सम्मान बढ़ाया. फिर भी हमारे सम्मान को सड़कों पर रौंद दिया गया. हम इतने आहत हो गए थे कि शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं. 

'गंगा नदी में मेडल बहाते तो हिंसा हो सकती थी' 

सत्यव्रत ने कहा, हम सबने मेडल गंगाजी में विसर्जित करने का निर्णय लिया. लेकिन, फिर हम हरिद्वार में इस तंत्र की साजिश का शिकार हो गए. वहां तंत्र से जुड़ा एक आदमी बजरंग का हाथ पकड़कर दूर ले गया. नेताओं की बात करवाई और रुकने के लिए कहा. मीटिंग चलने का भरोसा दिया. बाद में हालात ऐसे बन गए कि अगर हम मेडल बहाते तो हिंसा होने की संभावना बन गई. समझदारी दिखाई और मेडल बहाने से रुकने का निर्णय लिया.

'गृह मंत्री से मिले तो खाप पंचायतें नाराज' 

उन्होंने कहा, इस घटना के बाद हमें कुछ नहीं आ रहा था. कौन हमारे साथ है और कौन हमारे खिलाफ है. कौन तंत्र का हिस्सा है. हमें समझ नहीं आ रहा था कि किस पर भरोसा करें. इस बीच, हमें समझाया गया कि गृह मंत्री (अमित शाह) से मिलना चाहिए. सारे समाधान वहीं से निकलेंगे. हम सिर्फ वहां पर अपनी बात रखने के लिए गए थे. अब सुनने में आ रहा है कि कई खापें हमसे नाराज हैं. सबसे हाथ जोड़कर यही विनती करना चाहूंगा कि अफवाहों पर ध्यान मत दो. अनजाने में कोई गलती हुई है तो हमें माफ कर दो.

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'बबीता ही सरकार की मीडिएटर बनी'

सत्यव्रत ने यह भी कहा, हमें बीजेपी नेता बबीता फोगाट और तीर्थ राणा का भी धन्यवाद करना चाहेंगे. उन्होंने ही हम पहलवानों को एकजुट करने का मौका दिया. साथ ही उन्होंने इस आवाज को उठाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने ही सरकार के साथ मीडिएटर बनकर पहलवानों से बात की और जांच के लिए कमेटी बनवाने का आश्वासन दिया. हालांकि, वो एक आश्वासन ही निकला. क्योंकि उसके बाद कमेटी का कोई नतीजा नहीं निकला. रेसलिंग फेडरेशन ने अपना काम सुचारू रखा, जिसकी वजह से हमें तीन महीने बाद फिर से मई में धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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साक्षी के दावे पर क्या बोलीं बबीता फोगाट...

'अनुमति के पेपर पर मेरे हस्ताक्षर नहीं,'

बबीता की सफाई साक्षी मलिक के दावे पर बबीता ने पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, एक कहावत है कि जिंदगीभर के लिये आपके माथे पर कलंक की निशानी पड़ जाए. बात ऐसी ना कहो दोस्त कि कहके फिर छिपानी पड़ जाए. उन्होंने कहा, मुझे कल बड़ा दुख हुआ और हंसी भी आई- जब मैं अपनी छोटी बहन और उनके पतिदेव का वीडियो देख रही थी. सबसे पहले तो मैं ये स्पष्ट कर दूं कि जो अनुमति का कागज छोटी बहन दिखा रही थी, उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर या मेरी सहमति का कोई प्रमाण नहीं है. ना दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना देना है.

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'पहलवानों को सिर्फ कांग्रेस में समाधान दिख रहा था' 

उन्होंने कहा, मैं पहले दिन से कहती रही हूं कि प्रधानमंत्री जी पर और देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखिए. सत्य अवश्य सामने आएगा. एक महिला खिलाड़ी होने के नाते मैं सदैव देश के सभी खिलाड़ियों के साथ थी. साथ हूं और सदैव साथ रहूंगी. परंतु मैं धरने -प्रदर्शन के शुरुआत से इस चीज के पक्ष में नहीं थीं. मैंने बार-बार सभी पहलवानों से ये कहा कि आप प्रधानमंत्री या गृहमंत्री जी से मिलो. समाधान वहीं से होगा, लेकिन आपको समाधान दीपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस, प्रियंका गांधी और उनके साथ आ रहे उन लोगों में दिख रहा था जो खुद रेप और अन्य मुकदमे के दोषी हैं. 

'राजनीतिक रोटी सेकने का काम किया'

बबीता ने आगे कहा, देश की जनता अब इन विपक्ष के चेहरों को पहचान चुकी है. अब देश के सामने आकर उन्हें उन सभी जवानों, किसानों और उन महिला पहलवानों की बातों का जवाब देना चाहिए, जिनकी भावनाओं की आग में इन्होंने अपनी राजनीति की रोटी सेकने का काम किया. जो महिला खिलाड़ी धरने पर साथ बैठे थे, उनके विचारों को सभी पूर्वाग्रहों के साथ ऐसी दिशा दी जहां बस आपके राजनीतिक फायदे दिख रहे थे. आज जब आपका ये वीडियो सबके सामने है, उससे अब देश की जनता को समझ में आ जाएगा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के पवित्र दिन आपका विरोध और राष्ट्र के लिए जीता हुआ मेडल गंगा में प्रवाहित करने की बात देश को कितना शर्मसार करने जैसी थी. 

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'आप कांग्रेस की कठपुतली बन चुकी हो'

उन्होंने कहा, बहन हो सकता है आप बादाम के आटे की रोटी खाते हों, लेकिन गेहूं की तो मैं ओर मेरे देश की जनता भी खाती ही है, सब समझते हैं. देश की जनता समझ चुकी है कि आप कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बन चुकी हो. अब समय आ गया है कि आपको आपकी वास्तविक मंशा बता देनी चाहिए. क्योंकि अब जनता आपसे सवाल पूछ रही है.

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'मैं खिलाड़ियों के साथ... न्याय जरूर मिलेगा'

इस पूरे विवाद पर तीरथ राणा ने भी सफाई दी. उन्होंने कहा, धरने पर बैठे खिलाड़ी देश की शान हैं. उनकी न्याय की लड़ाई में पहले भी मैं उनके साथ था, आज भी उनके साथ हूं. हमें उम्मीद है कि अब खिलाड़ियों को न्याय मिलेगा. बीजेपी और सरकार पहले भी खिलाड़ियों के साथ थी और आज भी उनके साथ है. मैं खिलाड़ियों से नहीं, खिलाड़ी मुझसे मिलने आए थे. उन्होंने ही मुझे बृजभूषण के बारे में बताया था. पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन शोषण के आरोप लगा रहे हैं. ये प्रकरण उनके खिलाफ है. पूरा मामला न्यायपालिका के पास है. न्याय जरूर मिलेगा. हालांकि, राणा जंतर-मंतर पर धरने की अनुमति वाले सवाल पर कुछ स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए. उन्होंने कहा, समय आने पर सब कुछ बता दिया जाएगा.

बृजभूषण केस में अब तक क्या-क्या...

- दिल्ली के जंतर-मंतर साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया समेत देश के प्रमुख पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर नाबालिग समेत सात पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. उनकी गिरफ्तारी की मांग की. खेल मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया और पहलवानों से बातचीत की. सरकार से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने अपना विरोध-प्रदर्शन स्थगित कर दिया.
- 21 अप्रैल को एक नाबालिग समेत सात महिला रेसलर ने यौन शोषण की शिकायत की. 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की अपील सुनकर इसे गंभीर मामला बताया. दो दिन में दिल्ली पुलिस को जवाब देने के लिए कहा. 
- 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा, हम बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करेंगे. कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण पर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुईं. इनमें एक पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज है. 
- अप्रैल में एक बार फिर पहलवानों ने दिल्ली में डेरा जमाया. एक महीने से ज्यादा समय तक जंतर-मंतर पर धरना दिया.
- 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में महिला पहलवानों ने मार्च निकाला. पुलिस ने बिना अनुमति के मार्च निकालने पर पहलवानों को रोका और हिरासत में लिया. पहलवानों पर एफआईआर दर्ज की गई.
- सरकार से बातचीत के बाद पहलवानों पर दर्ज एफआईआर वापस लेने का आश्वासन दिया गया. अब दिल्ली पुलिस जल्द एफआईआर वापस लेगी.

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पहलवानों ने सरकार के सामने क्या प्रस्ताव रखे...

- बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी हो.
- दिल्ली पुलिस ने पहलवानों और समर्थंकों पर एफआईआर दर्ज की है, वो केस वापस लिए जाएं.
- कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण और उनके परिवार, परिचित के लोग फेडरेशन में शामिल ना हों.
- फेडरेशन में महिला कमेटी का गठन किया जाए, जिसकी अध्यक्ष महिला हो.
- फेडरेशन से बृजभूषण का कोई हस्तक्षेप नहीं हो. 

सरकार ने क्या आश्वासन दिया...

- बृजभूषण पर एफआईआर के मामले में 15 जून को चार्जशीट फाइल कर दी है.
- पहलवानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस होंगे. इस संबंध में दिल्ली पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है.
- जांच कमेटी गठित की जाएगी.
- सरकार अभी गिरफ्तारी वाली मांग नहीं मान रही.

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बृजभूषण ने आरोपों को खारिज किया

बीजेपी सांसद बृजभूषण शुरु से ही सभी आरोपों को खारिज करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा, हम खेल समिति के साथ हैं और अब सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है. मुझ पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं.

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यौन उत्पीड़न की FIR रद्द करने की सिफारिश

बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और पीछा करने का आरोप है. देश के शीर्ष पहलवानों के आरोपों के बाद दिल्ली पुलिस ने 15 जून को कोर्ट में चार्जशीट दायर की है. हालांकि, पुलिस ने कोर्ट को बताया कि नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में बृजभूषण के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में केस को रद्द करने की मांग करते हुए एक रिपोर्ट दायर की. इस रिपोर्ट पर दिल्ली की अदालत चार जुलाई को विचार करेगी.

बृजभूषण की गिरफ्तारी होगी या नहीं...

दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ धारा 354, 354-A एवं D के तहत चार्जशीट दाखिल की है. उन पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें अगर उन्हें अधिकतम सजा भी होती है, तो वह 5 साल तक की ही होगी. जिन अपराधों में सात साल से कम की सजा है, उनमें पुलिस तत्काल गिरफ्तारी नहीं करेगी. पुलिस शिकायत के बाद आरोपी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुला सकती है. आरोपी जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. अगर लगता है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा या देश से भाग सकता है, तभी गिरफ्तारी की जाएगी. पुलिस के मुताबिक, बृजभूषण को जब भी जांच संबंधी संपर्क किया गया, उन्होंने पूरा सहयोग किया, इसलिए उनकी गिरफ्तारी की कोई खास वजह नहीं थी. 

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POCSO एक्ट में मिली राहत 

बृजभूषण को POCSO एक्ट में दर्ज केस के मामले में बड़ी राहत मिली है. पहले नाबालिग महिला पहलवान ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. बाद में उसने बयान बदल दिए और बृजभूषण पर भेदभाव का आरोप लगाया. दूसरे बयान में नाबालिग ने यौन शौषण का आरोप वापस ले लिया और कहा, मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था, मैंने बहुत मेहनत की थी, मैं डिप्रेशन में थी. इसलिए गुस्से में यौन शौषण का मामला दर्ज करवाया था. ऐसे में पुलिस ने POCSO को वापस लेने की सिफारिश की थी.

क्या पहलवानों का आंदोलन हो जाएगा खत्म?

7 जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बुलावे पर उनके घर जाकर मुलाकात की थी. 6 घंटे तक चली इस बैठक में अनुराग ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि इस मामले में 15 जून तक दिल्ली पुलिस की चार्जशीट दाखिल हो जाएगी. साथ ही कहा था कि पहलवानों पर 28 जून को दर्ज केस वापस ले लिए जाएंगे. इसके अलावा जल्द ही कुश्ती संघ के चुनाव कराने का ऐलान किया जाएगा.

पहलवान

 

खेल मंत्री से मिले आश्वासन के बाद 15 जून तक पहलवानों ने अपना आंदोलन रद्द कर दिया था. अब 15 जून को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसके अलावा पहलवानों पर दर्ज केस वापस लेने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. साथ ही कुश्ती संघ के चुनाव 6 जुलाई को कराने का ऐलान किया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अब पहलवान अपना आंदोलन खत्म कर सकते हैं.

'किसान संगठन पहलवानों के साथ खड़े हैं'

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली पुलिस पर बृजभूषण को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, किसान संगठन प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन करना जारी रखेगा. पहलवान महीनों से विरोध कर रहे हैं. वे और क्या कर सकते हैं? सरकार अपने आदमियों को बचाती है. पूरी योजना उन्हें (सिंह) बचाने की थी. पहलवानों ने गवाही दी है, महीनों तक विरोध किया है. वे और कितना संघर्ष कर सकते हैं. चार या पांच महीने पहले (वे) प्रदर्शनकारियों को तोड़ देते हैं? 

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अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे बृजभूषण

बृजभूषण 2011 से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने हुए थे. वो फरवरी 2019 में तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे. इसके अलावा कार्यकारिणी समिति के सभी पदाधिकारी और सदस्य निर्विरोध ही निर्वाचित हुए थे, लेकिन अब वे अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. दरअसल, नियम है कि एक व्यक्ति तीन कार्यकाल यानी 12 साल से ज्यादा अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकता. एक कार्यकाल चार साल का होता है. इसी तरह महासचिव या कोषाध्यक्ष आठ साल से ज्यादा समय के लिए पद पर नहीं रह सकते.

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बृजभूषण के परिवार के सदस्य नहीं लड़ पाएंगे चुनाव 

बृजभूषण के बेटे करण भूषण अभी यूपी कुश्ती संघ के प्रमुख हैं. जबकि दामाद आदित्य प्रताप सिंह बिहार इकाई के प्रमुख हैं. सवाल है कि अगर बृजभूषण चुनाव नहीं लड़ेंगे तो क्या उनके परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा? पिछले दिनों खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि इस बार न तो बृजभूषण के परिवार के सदस्यों और न ही उसके सहयोगियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी. हालांकि दोनों चुनाव में भाग लेंगे और अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे.

 

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