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'दोष साबित होने तक ना बताएं सरकारी कर्मचारी का नाम', करप्शन पर राजस्थान ACB का विवादित आदेश

एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) हेमातेते प्रियदर्शी ने कहा कि फंसे हुए अधिकारी की पहचान की रक्षा की जानी चाहिए, और यह जांच अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वह आरोपी के मानवाधिकारों की रक्षा करे. इस आदेश की एसीबी के अधीनस्थ अधिकारियों ने कड़ी आलोचना की है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

राजस्थान के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) ने एक विवादास्पद आदेश पारित किया है जो एजेंसी द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के प्रयास को दर्शाता है. दरअसल, इस  आदेश में कहा गया है कि जब तक भ्रष्टाचार को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाते तब तक फंसे हुए सरकारी कर्मचारी का नाम उजागर नहीं किया जाना चाहिए.

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एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) हेमातेते प्रियदर्शी, जो डीजी एसीबी का प्रभार भी संभालते हैं, ने एसीबी के सभी यूनिट इंचार्ज को बुधवार को दिए एक निर्देश में कहा, "राजस्थान में एसीबी के सभी यूनिट इंचार्ज को यह निर्देश दिया जाता है कि भ्रष्टाचार में नाम आने या  रंगे हाथ पकड़े जाने पर सरकारी अधिकारी की तस्वीरें मीडिया के सामने तब तक नहीं आनी चाहिए जब तक कि वह एजेंसी भ्रष्टाचार को लेकर आश्वस्त न हो जाए."

उन्होंने कहा कि फंसे हुए अधिकारी की पहचान की रक्षा की जानी चाहिए, और यह जांच अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वह आरोपी के मानवाधिकारों की रक्षा करे. इस आदेश की एसीबी के अधीनस्थ अधिकारियों ने कड़ी आलोचना की है.

नाम न छापने की शर्त पर एसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि ये आदेश बेहद निराशाजनक हैं. "रंगे हाथों पकड़े गए भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी के नाम का खुलासा करने में क्या समस्या है? हम सरकार की मंशा को समझने में असमर्थ हैं.

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