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डोकलाम विवादः भूटान और चीन ने समझौते पर किए हस्ताक्षर, भारत ने दी ये प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से बातचीत चल रही है.

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डोकलाम ट्राई जंक्शन पर हुआ था विवाद (फाइल फोटो)
डोकलाम ट्राई जंक्शन पर हुआ था विवाद (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भूटानी विदेश मंत्री ने चीन के साथ समझौते पर किए हस्ताक्षर
  • भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी संतुलित प्रतिक्रिया

सिक्किम के समीप डोकलाम में चीन और भूटान के बीच सीमा को लेकर विवाद था. भूटान ने चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था जिसके समर्थन में भारत भी खुलकर आ गया था. भूटान और चीन के बीच विवाद की वजह से भारत के साथ भी तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. भूटान और चीन ने ये विवाद सुलझाने के लिए समझौते पर दस्तखत कर दिए हैं.

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भूटान और चीन ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए तीन चरण के रोडमैप पर हस्ताक्षर किए हैं. डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भारत और चीन की सेनाएं 73 दिन आमने-सामने रही थीं. तब भारत ने भूटान के दावे का समर्थन किया था. भूटान ने चीन पर उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने का आरोप लगाया था जो उसका एरिया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अब चीन और भूटान के बीच समझौते को लेकर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से बातचीत चल रही है. भारत भी इसी तरह से चीन के साथ सीमा को लेकर बातचीत कर रहा है.

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अरिंदम बागची ने हालांकि इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या भूटान सरकार ने भारत को इस समझौते के संबंध में जानकारी दी थी? उन्होंने लेह लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध को लेकर ये जरूर कहा कि कई जगह दोनों देशों के बीच समझौते हुए हैं. इससे पहले भूटान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि विदेश मंत्री एल टांडी दोर्जी और चीन के उपविदेश मंत्री ने गुरुवार को सीमा को लेकर बातचीत के लिए तीन चरण वाले रोडमैप को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

भूटान के विदेश मंत्रालय ने ये उम्मीद भी जताई कि इस रोडमैप के जरिए सीमा वार्ता सामंजस्य के साथ सफल रहेगी. गौरतलब है कि साल 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन पर तनाव बढ़ गया था. एक समय तनाव इतना बढ़ गया था कि दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी. भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता के बाद गतिरोध कम हो सका था.

 

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