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Dilip Mahalanabis: 1971 की जंग में जिस फॉर्मूले ने बचाई थी हजारों जानें, मोदी सरकार ने दिया पद्म सम्मान

डॉ. दिलीप महालनाबिस ने ORS की खोज की थी. इसे 20वीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सकीय खोज माना जाता है. दुनियाभर में इससे हर साल 5 करोड़ लोगों की जान बचती है. डॉ. दिलीप बाल रोग विशेषज्ञ थे. उन्होंने 1966 में ORS पर काम करना शुरू किया था.

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डॉ दिलीप महालनाबिस
डॉ दिलीप महालनाबिस

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया. इस लिस्ट में 106 लोगों के नाम शामिल हैं. इनमें से 6 को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 91 को पद्म श्री पुरस्कार दिया जाएगा. इस लिस्ट में 19 महिलाओं के नाम भी शामिल हैं. इतना ही नहीं लिस्ट में डॉ दिलीप महालनाबिस का नाम भी शामिल हैं, उन्हें पद्म विभूषण देने का ऐलान किया गया है. दिलीप महालनाबिस ने 1971 की जंग के दौरान ORS (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर हजारों जिंदगियां बचाई थीं. 

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डॉ. दिलीप महालनाबिस ने  ORS की खोज की थी. इसे 20वीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सकीय खोज माना जाता है. दुनियाभर में इससे हर साल 5 करोड़ लोगों की जान बचती है. डॉ. दिलीप बाल रोग विशेषज्ञ थे. उन्होंने 1966 में ORS पर काम करना शुरू किया था. डॉ. महालनाबिस को ORS के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए इस सम्मान से नवाजा जाएगा. महालनाबिस का अक्टूबर 2022 में कोलकाता में निधन हो गया था. 

1971 में जब बांग्लादेश मुक्ति संग्राम चल रहा था, उस वक्त बड़ी संख्या में लोग बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आ रहे थे. ये लोग पश्चिम बंगाल में राहत शिविरों में रह रहे थे. उस दौरान कैंपों में हैजा फैल गया. कई शरणार्थी बीमार हो गए थे, तब डॉ दिलीप महालनाबिस ने ORS के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर सैकड़ों जानों को बचाया था. इसके बाद ओआरएस को दुनिया भर में लोकप्रियता मिली. ओआरएस ने हैजा महामारी के दौरान मृत्यु दर को कम करके 'संजीवनी' के तौर पर काम किया. 

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दुनिया को भारत का गिफ्ट है ORS

ORS को भारत का दुनिया को दिया उपहार माना जाता है. ORS से दुनियाभर में हर साल पांच करोड़ लोगों की जान बचती है. यह काफी सस्ता और असरदार सॉल्यूशन है. ORS के इस्तेमाल के चलते हैजा और डायरिया से होने वाली मौतों में 93% की कमी आई है. ORS का इस्तेमाल खासकर बच्चों और नवजात शिशुओं की जान बचाने में कारगर है.

दिलीप महालनाबिस का जन्म 1934 में किशोरगंज (बांग्लादेश) में हुआ था. वे 1958 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से पास हुए. इसके बाद वे मेडिकल कॉलेज से इंटर्न के तौर पर जुड़े. जब ब्रिटिश शासन ने नेशनल हेल्थ सर्विस लॉन्च की, इससे उन्हें मेडिसिन की स्टडी करने का मौका मिला. लंदन और एडिनबर्ग से दो डिग्री हासिल करने के बाद, वह क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन में रजिस्ट्रार बनने वाले पहले भारतीय बने. 

(Input- Rittick mondal)

 

 

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