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कौन हैं पद्मा सुब्रमण्यम? जिनकी PMO को लिखी चिट्ठी से दुनिया के सामने आया 'सेंगोल'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे और इस दौरान साल 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल को संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. आजादी के इतने साल तक गायब रही इस धरोहर को दुनिया के सामने लाने में प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम का विशेष योगदान है.

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डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम  की चिट्ठी के बाद शुरू हुई थी सेंगोल की तलाश
डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की चिट्ठी के बाद शुरू हुई थी सेंगोल की तलाश

प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने जब 2021 में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखकर सेंगोल पर तमिल लेख का अनुवाद भेजा होगा, तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि इसका असर इतना व्यापक होगा और पूरे देश में सेंगोल को लेकर चर्चा होेने लगेगी. दो साल बाद, 28 मई को संसद के नए भवन में स्थापित करने के लिए सुनहरे राजदंड को अब इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू गैलरी से दिल्ली लाया जा रहा है.

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इंडिया टुडे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, डॉ. सुब्रह्मण्यम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने लेख के बारे में विस्तार से बात की और बताया कि तमिल संस्कृति में सेंगोल का क्या महत्व है. डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया, 'यह तमिल में एक लेख था जो तुगलक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. सेंगोल के बारे में आर्टिकल का जो कंटेंट था, उससे मैं बहुत प्रभावित हुई. इसमें लिखा था कि कैसे चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने अपने शिष्य डॉ. सुब्रमण्यम को सेंगोल (1978 में) के बारे में बताया, जिन्होंने इसका जिक्र अपनी किताबों में किया था.'

तमिल महाकाव्य में भी है उल्लेख

उन्होंने बताया, 'तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत महत्व है. सेंगोल शक्ति, न्याय का प्रतीक है. यह सिर्फ 1,000 साल पहले की कोई चीज नहीं है. चेर राजाओं के संबंध में तमिल महाकाव्य में भी इसका उल्लेख है.' स्वर्ण राजदंड का पता लगाने में उनकी रुचि कैसे हुई? इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया, 'मुझे यह जानने में दिलचस्पी थी कि यह सेंगोल कहां है. पत्रिका के लेख में बताया गया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जो सेंगोल भेंट किया गया था वह पंडित जी की जन्मस्थली आनंद भवन में रखा गया है. यह वहां कैसे गया और नेहरू और सेंगोल के बीच क्या संबंध थे, यह भी बहुत दिलचस्प है.'

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इस तरह तैयार हुआ सेंगोल

डॉ. सुब्रह्मण्यम ने संक्षेप में बताया कि 1947 में अंग्रेजों से भारत में सत्ता हस्तांतरण के दौरान सेंगोल को कैसे और क्यों तैयार किया गया था. 1947 में, जब अंग्रेजों ने भारतीयों को सत्ता हस्तांतरित की, तो इस महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक एक सेंगोल (राजदंड) प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपना था. 1947 में सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया के लिए सी राजगोपालाचारी के अनुरोध पर तमिलनाडु (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी) में तिरुवदुथुराई अधीनम द्वारा राजसी 5 फीट लंबे सेंगोल को कमीशन किया गया था. अधीनम के पुजारी ने स्वर्ण राजदंड तैयार करने का जिम्मा वुम्मिदी बंगारू चेट्टी के परिवार को सौंपा था.

माउंटबेटन को सौंपा गया था सेंगोल

अधीनम के पुजारी श्री ला श्री कुमारस्वामी थम्बिरन को सेंगोल के साथ दिल्ली जाने और समारोह आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने सेंगोल को लॉर्ड माउंटबेटन को सौंप दिया, जिन्होंने इसे वापस लौटा दिया. इसके बाद उस पर पवित्र जल छिड़क कर सेंगोल को शुद्ध किया गया. इसके बाद समारोह आयोजित करने और सेंगोल को नए शासक को सौंपने के लिए इसे पंडित नेहरू के आवास पर ले जाया गया. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया,  'दुर्भाग्य से, सेंगोल को (बाद में) को किसी ने नहीं देखा. जब हम आजादी के 75 साल मना रहे थे, तो मैंने सोचा कि समारोह का फिर से आयोजन करना अद्भुत होगा.'

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तमिल में है बहुत महत्व

डॉ. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि 28 मई को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के लिए होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला से उन्हें सुखद आश्चर्य हो रहा है. यह हमारे सांसदों को देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा. तमिल संस्कृति में सेंगोल के महत्व के बारे में बात करते हुए, डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया, 'सेंगोल को सभी तमिल लोग अच्छी तरह से जानते हैं, हालांकि इसका महत्व भुला दिया गया क्योंकि अब कोई राजशाही नहीं है. मुझे लगता है कि सेंगोल की यह अवधारणा सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में थी. लेकिन दक्षिण अपनी विरासत और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए अधिक भाग्यशाली रहा है.' पद्मा सुब्रह्मण्यम ने कहा कि उन्हें खुशी है कि नए संसद भवन में सेंगोल को 'भारत के गौरव' के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.

कौन हैं पद्मा सुब्रह्मण्यम

पद्मा सुब्रह्मण्यम एक मशहूर डांसर हैं. उनका जन्म 4 फरवरी 1943 को मद्रास में हुआ था. उनके पिता कृष्णस्वामी सुब्रह्मण्यम फेमस डायरेक्टर थे और उनकी मां मीनाक्षी सुब्रह्मण्यम संगीतकार थीं. जब पद्मा 14 साल की थीं, उस समय से ही वो डांस सीखना शुरू कर दिया था. पद्मा ने संगीतमें ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और डांस में पीएचडी किया. उन्होंने कई रिसर्च पेपर और किताबें लिखीं. पद्मा सुब्रह्मण्यम को कई पुरस्कारों से नवाजा चा चुका है.साल 2003 में उनको पद्म भूषण पुरस्कार मिला. उन्होंने अपने डांसिंग करियर में 100 से ज्यादा अवॉर्ड्स जीते हैं. 

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सेंगोल क्या है ?

सेंगोल शब्द संस्कृत के 'सुंक' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है 'शंख.' शंख वैदिक परंपरा में पौरुष के उद्घोष का प्रतीक है. इसे राज्य के विस्तार, प्रभाव और संप्रभुता से भी जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे ही सेंगोल भी राज्य की संप्रभुता, प्रभाव, विस्तार और पौरुष के प्रतीक के तौर पर वर्णित है. परंपरा में सेंगोल को 'राजदण्ड' कहा जाता है जो राजपुरोहित राजा को देता था. वैदिक परंपरा में दो तरह के सत्ता के प्रतीक हैं. राजसत्ता के लिए "राजदंड" और धर्मसत्ता के लिये 'धर्मदंड'. राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड राजपुरोहित के पास.

 

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