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लद्दाख में कड़ाके की ठंड से जवानों को बचाएगी DRDO की 'बुखारी'

इस बुखारी को डीआरडीओ के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलॉइड साइंसेज (दिपास) के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. परंपरागत बुखारी की जगह नई बुखारी लगाने से रोजाना 10 करोड़ रुपये यानी सालभर में 3650 करोड़ रुपये की बचत होगी.

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बुखारी मिट्टी के तेल से चलती है
बुखारी मिट्टी के तेल से चलती है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इससे रोजाना 10 लीटर ईंधन की बचत होगी
  • प्रदूषण घटाने में भी मददगार साबित होगी
  • सेना ने 420 करोड़ रुपये के ऑडर दिए हैं

लद्दाख में चीन सरहद पर तैनात भारतीय सेना के जवान दो दुश्मनों से मुकाबला कर रहे हैं. एक तरफ चीनी सेना है तो दूसरी तरफ जानलेवा मौसम. ऐसे में DRDO ने एक ऐसी बुखारी (Him Tapak) बनाई है जो विशेष तौर पर लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों में सैनिकों के लिए है. 

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इससे रोजाना 10 लीटर ईंधन की बचत होगी. बुखारी मिट्टी के तेल से चलती है. इसके अलावा ये प्रदूषण घटाने में भी मददगार साबित होगी. इससे हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी नहीं होगा, जो अभी इस्तेमाल होने वाली बुखारी में होता है. यह नई बुखारी रूम हीटर की तरह काम करेगी, जो सैनिकों को ठंडे इलाकों में राहत देगी. इन ठंडे इलाकों में बिना हीटर के रहना संभव नहीं है. 

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डॉक्टर राजीव वार्ष्णेय (निदेशक दीपास, DRDO) ने बताया कि इस बुखारी को डीआरडीओ के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलॉइड साइंसेज (दिपास) के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. सेना के पास इस समय 20 हजार बुखारी हैं. परंपरागत बुखारी की जगह नई बुखारी लगाने से रोजाना 10 करोड़ रुपये यानी सालभर में 3650 करोड़ रुपये की बचत होगी. सेना ने हाल ही में इस नई बुखारी के लिए 420 करोड़ रुपये के ऑडर दिए हैं. 

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5 लीटर पानी बना सकता है मेल्टर

डीआरडीओ के सतीश चौहान ने बताया कि कि इसी तरह जानलेवा सर्दी से निपटने के लिए एक खास क्रीम भी तैयार की गई है. एलोकल नाम की ये क्रीम फोर्स्ट बाइट और कोल्ड इंजरी से बचाने का काम करेगी. इसी तरह डीआरडीओ ने बर्फ से पानी पिघलाने के लिए सोलर स्नो मेल्टर तैयार किया है. ये सोलर स्नो मेल्टर एक घंटे में बर्फ से 5 लीटर पानी बना सकता है.  

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