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'डुप्लीकेट EPIC नंबर का मतलब फर्जी मतदान नहीं', विपक्ष के दावों पर बोला चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने साफ किया कि EPIC नंबरों का दोहराव केंद्रीकृत प्रणाली को अपनाने से पहले तमाम राज्यों द्वारा एक ही अल्फान्यूमेरिक सीरीज के उपयोग के परिणामस्वरूप हो सकता है.

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भारतीय चुनाव आयोग
भारतीय चुनाव आयोग

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने वोटर लिस्ट में हेराफेरी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि डुप्लिकेट इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर 'फर्जी या डुप्लिकेट मतदाता' की तरफ इशारा नहीं करते हैं. आयोग का यह स्पष्टीकरण सोशल मीडिया और विपक्षी नेताओं द्वारा विभिन्न राज्यों में मतदाताओं को दिए गए समान EPIC नंबरों के बारे में उठाई गई चिंताओं के बीच आया है. 

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रविवार को एक बयान में, चुनाव निकाय ने साफ किया कि EPIC नंबरों का दोहराव केंद्रीकृत प्रणाली को अपनाने से पहले तमाम राज्यों द्वारा एक ही अल्फान्यूमेरिक सीरीज के उपयोग के परिणामस्वरूप हो सकता है.

स्थाई नंबर पर हो रहा विचार

चुनाव आयोग जिस्टर्ड वोटर्स को EPIC नंबर का आवंटन सुनिश्चित करेगा. सूत्रों के मुताबिक, निर्वाचन आयोग स्थाई अकाउंट नंबर यानी PAN कार्ड और आधार कार्ड की तरह वोटर पहचान पत्र का भी स्थाई नंबर करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

चुनाव आयोग ने कहा, "चुनाव आयोग ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया है, जिनमें कई राज्यों के वोटर्स के समान EPIC नंबर होने का मुद्दा उठाया गया है. इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य डीटेल समान EPIC नंबर वाले मतदाताओं के लिए अलग-अलग हैं."

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आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि केवल EPIC नंबर ही किसी वोटर की वोट करने की पात्रता निर्धारित नहीं करता. EPIC नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां उसका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है, कहीं और नहीं. 

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