अफगानिस्तान में बुधवार तड़के रिक्टर पैमाने पर 4.3 तीव्रता का भूकंप आया. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप के झटके सुबह 5:49 बजे (IST) महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र देश में काबुल से 85 किमी. पूर्व में था. भूकंप के कारण किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
इससे पहले 22 मार्च को अफगानिस्तान में 6.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था. इस भूकंप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कम से कम 12 लोग मारे गए था, जबकि लगभग 250 लोग घायल हो गए थे. पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था, जबकि इसकी गहराई 180 किलोमीटर थी. भूकंप के झटके पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा भारत, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और चीन में भी महसूस किए गए थे.
इधर भारत में उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए था. हालांकि भारत में कहीं से जान-माल नुकसान की कोई सूचना सामने नहीं आई है. भूकंप आने के 24 घंटे बाद तक भारत और उसके आस-पास के इलाकों में 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल 3 से 4 मापी गई थी.
भारत के 11% हिस्से को सबसे ज्यादा खतरा
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भूकंप के लिहाज से देश को पांच अलग-अलग जोन में बांटा है. देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है. इस जोन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही की आशंका सबसे ज्यादा रहती है.
पांचवें जोन में देश के कुल भूखंड का 11 फीसदी हिस्सा आता है. चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है. पांचवें जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं.
हिमालय में कभी भी आ सकता है तगड़ा भूकंप
वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल ने बताया कि हिमालय में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. डॉ. पॉल ने बताया कि अफगानिस्तान में आए भूकंप की गहराई बहुत ज्यादा थी, इसलिए उसका असल बहुत बड़े इलाके में देखा गया. हम सिस्मिक जोन 5 में हैं किसी भी एक क्षेत्र की पहचान नहीं कर सकते. अवेयरनेस और सिविल इंजीनियरिंग से जान बचाई जा सकती है. भूकंप से पहले किसी तरह की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. जब टेक्टोनिक प्लेट्स से एनर्जी रिलीज होती है. तभी भूकंप आता है.
IIT Roorkee के अर्थ साइंसेज विभाग के साइंटिस्ट प्रो. कमल ने aajtak.in को बताया कि पाकिस्तान से लेकर भारत के उत्तर-पूर्व के राज्यों तक हिमालय की पूरी बेल्ट में भूकंप का आना बेहद सामान्य घटना है. इतनी ज्यादा मात्रा में भूकंप का आना मतलब यह है कि टेक्टोनिक प्लेट्स के अंदर मौजूद प्रेशर रिलीज हो रहा है. हाल ही में एक नया नक्शा जारी हुआ है, जिसमें भारत के ऊपर हिमालय के इलाके में हजारों फॉल्ट लाइन्स हैं. इन फॉल्ट लाइन्स में होने वाली हल्की हलचल भी भारतीय प्रायद्वीप को हिला देती है.