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अंडमान-निकोबार में एक दिन के भीतर दो बार आया भूकंप, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 मापी गई

अंडमान और निकोबार में देर रात भूकंप आ गया. जानकारी के मुताबिक निकोबार द्वीप कैंपबेल बे से 220 किमी उत्तर में रात 2:26 बजे 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप की गहराई 32 किमी थी.

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अंडमान निकोबार में महसूस किए गए भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)
अंडमान निकोबार में महसूस किए गए भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)

अंडमान और निकोबार में देर रात भूकंप आ गया. जानकारी के मुताबिक निकोबार द्वीप कैंपबेल बे से 220 किमी उत्तर में रात 2:26 बजे 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप की गहराई 32 किमी थी. इससे पहले 31 अप्रैल की देर रात अंडमान और निकोबार में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी थी. इससे पहले 9 अप्रैल की दोपहर करीब चार बजे भी भूकंप आया था. तब उसकी तीव्रता का 5.3 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र निकोबार द्वीप समूह में जमीन से 10 किमी अंदर था.

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3 अप्रैल: यूपी के बिजनौर में आया था भूकंप

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 3 अप्रैल की सुबह  4 बजकर 33 सेकेंड पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई थी. इसका केंद्र जमीन के अंदर 10 किमी गहराई में बताया गया था. 


2 अप्रैल: जबलपुर में भूकंप के झटके

जबलपुर में पिछले दिनों 2 अप्रैल को सुबह करीब 11 बजे  महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.6 दर्ज की गई. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने बताया था कि भूकंप के झटके पचमढ़ी से 218 किमी दूर महसूस किए गए. इस भूकंप में किसी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं आई थी. 

26 मार्च: बीकानेर में 4.2 तीव्रता का भूकंप

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पिछले महीने राजस्थान के बीकानेर में 26 मार्च को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.  राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.2 थी. भूकंप के ये झटके तड़के 2 बजकर 16 मिनट पर महसूस किए गए और इसका केंद्र बीकानेर से 516 किमी. दूर पश्चिम में रहा. इसमें किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है.

24 मार्च: एमपी और छत्तीसगढ़ में भूकंप

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 24 मार्च को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप के झटकों की तीव्रता 4.0 थी. बताया जा रहा है कि भूकंप सुबह 10.31 बजे आया था. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र ग्वालियर से 28 किलोमीटर दूर जमीन से 10 किलोमीटर अंदर था. उधर, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर समेत आसपास के इलाकों में सुबह 10:39 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इसका केंद्र सूरजपुर के भटगांव से 11 किलोमीटर दूर बताया गया था. 

क्यों और कैसे आता है भूकंप?

धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं. रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं. रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है.

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भूकंप आने पर क्या करें? 

- भूकंप के समय अगर आप घर में हों तो जमीन पर झुक जाए. किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे भी छिप सकते हैं. भूकंप के झटके रुकने तक इसे मजबूती से पकड़कर बैठे रहें. 

- अगर आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे और सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं. शीशे, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों और ऐसी चीजें, जो गिर सकती हैं, उनसे दूर रहें. जब तक भूकंप के झटके न रुके और बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहें. अभी तक हुईं रिसर्च में पता चला है कि भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा चोटें तब लगती हैं, जब घर के अंदर मौजूद लोग दूसरी जगह पर जाने की कोशिश करते हैं.

- किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं, जो आपके पास हो. भूकंप के दौरान खुले मैदान में जाना (जहां पेड़, बिजली के खंभे आदि न हों) सबसे सुरक्षित माना जाता है. 

- यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहीं रहें. लेकिन याद रहे कि आप किसी बिल्डिंग, पेड़, स्ट्रीट लाइट और बिजली या टेलीफोन के तारों के पास न हो. यदि आप किसी खुली जगह पर हों तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं. 

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- भूकंप के वक्त अगर आप किसी चलते वाहन में हों तो जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें तथा गाड़ी में रुके रहें. लेकिन गाड़ी को बिल्डिंग, पेड़, स्ट्रीट लाइट और बिजली या टेलीफोन के तारों के नीचे न रोकें.

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