धरती के कांपने का सिलसिला लगातार जारी है और इस वजह से दिल्ली-एनसीआर से लेकर देशभर के हर हिस्से में डर समाने लगा है. दिल्ली-एनसीआर की ही बात करें तो यहां बीते तीन महीने में लोगों ने लगभर हर महीने ही भूकंपीय झटकों को महसूस किया है. नेपाल में 3 नंवबर की रात आए भूकंप से वहां 157 लोगों की मौत हो गई है तो वहीं शनिवार रात को एक बार फिर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. रविवार सुबह भी नेपाल में 3.6 तीव्रता के झटके लगे. ये भूकंप ऑफ्टर शॉक बताए जा रहे हैं. असल में एक बड़े भूकंप के बाद कई छोटे-छोटे भूकंपीय झटके लगते हैं. ये झटके दो से तीन दिन तक लग सकते हैं.
अयोध्या में भी भूकंप के झटके
वहीं, देर रात (रविवार) उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भी भूकंप के झटके लगे. अयोध्या में रविवार देर रात करीब 1 बजे भूकंप आया जिसकी तीव्रता 3.6 आंकी गई. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुतााबिक, भूकंप का केंद्र अयोध्या से 215 किमी उत्तर में 10 किमी की गहराई पर था. इससे पहले शुक्रवार के यूपी समेत देश के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए.
भूकंप से कांपा अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में भी रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 4.5 रही. वहीं राष्ट्रीय भूकंपीय निगरानी केंद्र (एनएसएमसी) के अनुसार अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. अफगानिस्तान में भी बीते एक महीने में कई बार भूकंप महसूस किए जा चुके हैं. बीते हफ्ते भी यहां 4.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था. बीते महीने अक्टूबर की शुरुआत हेरात प्रांत में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप से 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भूकंप के शक्तिशाली झटकों ने हेरात और आसपास के इलाकों को झकझोर दिया था.
नेपाल में कई बार लगे ऑफ्टरशॉक
नेपाल में आठ साल बाद आए सबसे भीषण भूकंप के एक दिन बाद शनिवार को फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि, इसकी तीव्रता 4.2 रही. भूकंप का यह झटका जाजरकोट जिले में शनिवार दोपहर 3.40 बजे दर्ज किया गया. बता दें कि एक दिन पहले देर रात आए भूकंप ने नेपाल में 157 लोगों की जान ले ली थी. राष्ट्रीय भूकंप निगरानी केंद्र के शनिवार को आए भूकंप का केंद्र रामिदंडा था. यह झटका शुक्रवार रात आए भूकंप का आफ्टरशॉक था. इससे पहले नेपाल में शुक्रवार को काठमांडू से लगभग 500 किमी पश्चिम में जाजरकोट जिले में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. इसे रात 11:47 बजे रिकॉर्ड किया गया था.
1800 घर पूरी तरह से बर्बाद
शुक्रवार को आया भूकंप नेपाल में 2015 के भूकंप के बाद सबसे विनाशकारी है. बता दें कि 2015 में आए भूकंप में करीब 9 हजार लोगों की मौत हुई थी. इस भूकंप में 22 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे. नेपाल के गृह मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जाजरकोट में आए भूकंप में 1,800 घर पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं, जबकि रुकुम पश्चिम में 2,500 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. जाजरकोट और रुकुम में अब तक 157 लोग मारे गए हैं और करीब 200 लोग घायल हुए हैं.
कंबल और टेंट की जरूरत
जाजरकोट जिले के भेरी नगर पालिका के मेयर चंद्र प्रकाश खत्री ने बताया कि भूकंप प्रभावित इलाकों में बचे लोगों को जल्द से जल्द टेंट, कंबल और खाने-पीने के सामान की जरूरत है. लोग बिना किसी आश्रय के खुले स्थानों और खेतों में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग पेड़ों और झाड़ियों के नीचे रह रहे हैं और उन्हें तुरंत कंबल और तंबू की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें तुरंत करीब 3 हजार टेंटों की जरूरत है.
क्या उत्तराखंड में है बड़े भूकंप की आशंका
बार-बार आ रहे भूकंप को लेकर आईटी कानपुर प्रोफेसर जावेद मलिक का कहना है की एक ही जगह पर भूकंप आना चिंता की बात है. कम मेग्नीट्यूड के ज्यादा भूकंप आना एक बड़े भूकंप की आशंका भी है. नेपाल की तरह उत्तराखंड जोन भी एक्टिव है, वहां पर भी है भूकंप आने की है भारी आशंका है. ट्रेंड देखा गया है कि नेपाल में आने वाले भूकंप वेस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं और अगर वेस्ट की तरफ बढ़ते हैं तो इसका इफेक्ट उत्तराखंड पर भी आएगा. तो आने वाले समय में एक बड़ा भूकंप उत्तराखंड में भी आएगा.
एक रिसर्च में यह भी सामने आया है कि मानसून के समय क्रैक्स में जब पानी जाता है तो उसे जो वाटर प्रेशर बनता है उसकी वजह से भूकंप की आशंका बढ़ती जा रही है. आईआईटी कानपुर में एक प्रोजेक्ट के चलते चिन्हित की फॉल्ट लाइंस, जहां भूकंप आने की आशंका है. स्टडी के तहत पता चला की कितने मेग्नीट्यूड का भूकंप आ सकता है. IIT कानपुर की टीम ने ऐसी जगह को चिह्नित किया है जहां भविष्य में प्लेट्स खिसक सकती हैं. इससे अर्बन डेवलपर और प्लानर्स को होगी आसानी, इस डाटा को इस्तेमाल करके यह पता चल पाएगा कि किन जगहों पर भारी कंस्ट्रक्शन और प्रोजेक्ट्स नहीं लाने हैं ताकि भूकंप की आशंका और ज्यादा न बढ़े और बड़े नुकसान से बचा जाए.