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जम्मू-कश्मीर में 18 घंटे में तीन बार हिली धरती, किश्तवाड़ में महसूस किए गए भूकंप के झटके

जम्मू कश्मीर में मंगलवार-बुधवार की रात को भूकंप के झटके महसूस किए गए. ये भूकंप रात 2.20 बजे आया और इन झटकों की तीव्रता 4.3 थी. राज्य में 12 घंटे में दूसरी बार धरती हिली है. इससे पहले मंगलवार दोपहर 1.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए.

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जम्मू कश्मीर में भूकंप के झटके
जम्मू कश्मीर में भूकंप के झटके

जम्मू कश्मीर में बुधवार को किश्तवाड़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए. 3.3 तीव्रता का ये भूकंप सुबह 8.30 बजे आया. राज्य में 18 घंटे में तीसरी बार धरती हिली है. इससे पहले बुधवार तड़के 2 बजे और मंगलवार दोपहर 1.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 

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नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात 2 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 4.3 थी. भूकंप का केंद्र कटरा था. 

एक दिन पहले तीन देशों में आया था भूकंप

इससे पहले मंगलवार दोपहर 1.30 बजे भारत, पाकिस्तान और चीन में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का असर भारत के दिल्ली-एनसीआर, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ समेत कई जगहों पर रहा. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई थी. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के डोडा में था.
 



मई में भारत में 41 बार आया भूकंप

NCS के डेटा के मुताबिक, भारत में 1 मई से 31 मई तक 41 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इनमें से 7 भूकंप उत्तराखंड और 6 भूकंप मणिपुर में आए. इसके अलावा अरुणाचल में 5 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. वहीं, हरियाणा और मेघालय में 3-3 बार धरती हिली है. 

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क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.

 

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