जम्मू कश्मीर के कटरा में भूकंप के झटके लगे हैं. ये भूकंप रात 10 बज कर 7 मिनट पर आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.8 मापी गई है. भूकंप के झटके बेहद हल्के थे. इनसे किसी भी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं है. जम्मू और कश्मीर में इस साल कई बार भूकंप दर्ज किए गए हैं. हालांकि भूकंप की तीव्रता हल्के स्तर की ही रही है, लेकिन बार-बार घाटी की धरती कांपने से लोगों में दहशत भी है.
14 जून को भी कांपी थी घाटी में धरती
इससे पहले बीते महीने 14 जून बुधवार को भी जम्मू कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उस दिन किश्तवाड़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 3.3 तीव्रता का ये भूकंप सुबह 8.30 बजे आया. उस दिन राज्य में 18 घंटे में तीसरी बार घाटी की धरती कांपी थी. इससे पहले 14 जून को ही बुधवार तड़के 2 बजे और 13 जून यानी मंगलवार दोपहर 1.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात 2 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 4.3 थी. उस दिन भी भूकंप का केंद्र कटरा था.
30 अप्रैल को भी आया था भूकंप
इससे पहले 30 अप्रैल को भी जम्मू-कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप 30 अप्रैल सुबह पांच बजकर 15 मिनट पर आया था, रिक्टर स्केल पर भूकंप तीव्रता 4.1 मापी गई थी. जानकारी के मुताबिक, भूकंप 30 अप्रैल रविवार की सुबह 05:15:34 बजे आया था. इसका केंद्र जमीन के अंदर पांच किलोमीटर गहराई में था. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने ट्वीट कर बताया कि रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.1 मैग्नीट्यूड मापी गई है.
क्यों आता है भूकंप?
धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.