प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली जल बोर्ड की टेंडरिंग प्रोसेस में मानदंडों के उल्लंघन और अनियमितताओं के संबंध में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), एनबीसीसी और निजी संस्थाओं के अधिकारियों पर दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई और केरल में छापेमारी की है. संबंधित अधिकारियों से जुड़े 16 परिसरों में PMLA-2002 के तहत तलाशी ली गई है. ईडी दिल्ली जल बोर्ड की टेंडरिंग प्रक्रिया में अनियमितता के दो अलग-अलग मामलों में जांच कर रही है.
इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लो मीटर की इंस्टालेशन में हुआ घपला
ईडी ने सीबीआई, नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लो मीटर की सप्लाई, इंस्टालेशन, टेस्टिंग और कमीशनिंग के लिए कंपनी को टेंडर देते समय एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को अनुचित लाभ दिया.
इन अफसरों पर जांच की आंच
मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने वर्ष 2017 में उपरोक्त निविदा की तकनीकी बोली के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के तत्कालीन महाप्रबंधक डी.के. मित्तल की ओर से जारी किए गए झूठे प्रमाणपत्र और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के तत्कालीन परियोजना कार्यकारी साधन कुमार द्वारा जारी किए गए मनगढ़ंत विचलन विवरण को सुरक्षित करने में कामयाबी हासिल की. निविदा प्रक्रिया के दौरान, एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अर्हता प्राप्त करने और 38 करोड़ रुपये की निविदा हासिल करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन मुख्य अभियंता, जगदीश कुमार अरोड़ा और उनके अधीनस्थ अधिकारियों के साथ साजिश रची.
पानी के बिल के भुगतान से जुड़ा मामला
यह पूरा मामला पानी के बिल के भुगतान से जुड़ा है. इसके लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को बिल कलेक्शन का जिम्मा दिया गया था. यह बिल पेमेंट ई-कियोस्क के जरिए लिया जाना था. इसके बाद बैंक ने Fresh Pay IT Solutions नाम की एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया. इसके बाद Fresh Pay IT Solutions ने Aurrum e-Payments Pvt Ltd नाम की एक अन्य कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया.
इन कंपनियों को मिले थे कॉन्ट्रैक्ट
इसके साथ ही, दूसरे मामले में, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, जीएनसीटीडी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जल बोर्ड ने उपभोक्ताओं को बिल भुगतान में सुविधा प्रदान करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड द्वारा तय किए गए डीजेबी कार्यालयों में विभिन्न स्थानों पर ऑटोमोटिव बिल भुगतान संग्रह मशीनें (कियोस्क) इंस्टाल करने के लिए टेंडर निकाला था. टेंडर साल 2012 में कॉर्पोरेशन बैंक को दिया गया था. यह बिल पेमेंट ई-कियोस्क के जरिए लिया जाना था. इसके बाद बैंक ने Fresh Pay IT Solutions नाम की एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया. इसके बाद Fresh Pay IT Solutions ने Aurrum e-Payments Pvt Ltd नाम की एक अन्य कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया.
जांच में ये तथ्य आए हैं सामने
Aurrum e-Payments Pvt Ltd नाम की इन कंपनियों ने निर्धारित समय अवधि के भीतर डीजेबी के बैंक खाते में कैश पेमेंट कलेक्शन जमा नहीं करके समझौते में निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया था. पहले ये डील 03 सालों के लिए थी, जिसे डीजेबी की ओर से समय-समय पर बढ़ाया गया था. 2019-20 में लगातार भुगतान राशि दिए जाने में देरी हुई. जांच से पता चला कि नोटबंदी के दौरान कैश कलेक्शन हुआ था.
डीजेबी को 10.40 करोड़ रुपये जमा या हस्तांतरित नहीं किए गए और वर्ष 2019 में एकत्र किए गए धन को 300 दिनों से अधिक के अंतराल के बाद नोटबंदी के बिल भुगतान के साथ मिला दिया गया. जांच से पता चला कि निविदा की पूरी अवधि के दौरान दिल्ली जल बोर्ड को कुल मूल हानि रु. 14.41 करोड़ रुपये की हुई. जो अभी भी निजी संस्थाओं अर्थात मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के पास बकाया है.
छापेमारी के दौरान, डीजेबी, एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों और इसमें शामिल निजी संस्थाओं के निदेशकों के परिसरों से विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद और जब्त किए गए. जगदीश कुमार अरोड़ा के नाम पर विभिन्न अघोषित संपत्तियों का विवरण भी बरामद किया गया.