देश में अगले साल यानी 2024 में लगभग इसी वक्त लोकसभा चुनाव होने को हैं. इन चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने नई ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के लिए दोनों अधिकृत कंपनियों को आदेश दे दिया है. आयोग ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद को आठ लाख से भी ज्यादा नई और पहले से अधिक सक्षम मशीनें बनाने का आदेश दिया है. पिछले चुनावों में इस्तेमाल हो चुकी लगभग तीन लाख मशीनों को प्रचलन से हटा दिया गया है. ये मशीनें संबंधित कंपनियों को वापस लौटा दी गई हैं.
इन कंपनियों के मुताबिक इन मशीनों के सॉफ्टवेयर पुराने थे लिहाजा उनमें नया और आधुनिक सॉफ्टवेयर लगाकर उन्नत और अधिक सक्षम बनाया जाएगा. आयोग के मुताबिक ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की चेकिंग सालों भर चलने वाला रूटीन कार्य है.
जानें EVM का इतिहास
भारत में ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल के 70-पारुर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था. जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से ही होती है. पायलट परियोजना के तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में 543 में से 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) प्रणाली युक्त ईवीएम का प्रयोग किया गया था.
बता दें कि पहली भारतीय ईवीएम का आविष्कार 1980 में एम बी हनीफा ने किया था. हनीफा ने इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन के नाम से 15 अक्तूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था. एकीकृत सर्किट का उपयोग कर एम बी हनीफा के बनाए मूल डिजाइन को तमिलनाडु के छह शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनियों में दिखाया गया था. भारत निर्वाचन आयोग ने 1989 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से भारत में ईवीएम बनाने की शुरूआत की थी. ईवीएम के औद्योगिक डिजाइनर 'औद्योगिक डिजाइन सेंटर, आईआईटी बॉम्बे' के संकाय सदस्य थे.
कैसे काम करती है EVM?
गौरतलब है कि मौजूदा दौर में ईवीएम में दो भाग होते हैं- नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई. इसके अलावा VVPAT भी जुड़ता है. फिलहाल ईवीएम के दोनों भाग करीब पांच मीटर लंबे केबल से जुड़े होते हैं. नियंत्रण इकाई, 'पीठासीन अधिकारी' या 'मतदान अधिकारी' के पास रहती है जबकि मतदान इकाई को मतदान कक्ष के अंदर घेरकर रखा जाता है. मतदाता को मतपत्र जारी करने के बजाय नियंत्रण इकाई के पास बैठा अधिकारी मतदान बटन (Ballot Button) को दबाता है. जिसके बाद मतदाता 'मतदान इकाई' पर अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के सामने अंकित नीले बटन को दबाकर मतदान करता है. अगर मतदाता किसी भी उम्मीदवार को भी वोट न देना चाहे तो गुलाबी बटन दबाकर nota का भी प्रयोग कर सकता है.
भारत में ईवीएम 6 वोल्ट की साधारण बैटरी से चलता है. इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में होता है. बताते चलें कि इसके संचालन में इंटरनेट की कोई भूमिका नहीं है. यह बैटरी से स्वतंत्र रूप से चलता यानी काम करता है. इसके कारण इसे पूरे भारत में आसानी से उपयोग में लाया जाता है. कम वोल्टेज बैटरी से किसी भी मतदाता को बिजली का झटका लगने का भी डर नहीं रहता है. एक ईवीएम में अधिकतम 3840 मतों को रिकॉर्ड किया जा सकता है और एक ईवीएम में अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम अंकित किए जा सकते हैं. एक मतदान इकाई (Ballot Unit) में 16 उम्मीदवारों का नाम अंकित रहता है और एक ईवीएम में ऐसे 4 इकाइयों को जोड़ा जा सकता है. यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 64 से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो मतदान के लिए पारंपरिक मतपत्र या बॉक्स विधि का प्रयोग किया जाता है.
उल्लेखनीय है कि ईवीएम मशीन के बटन को बार-बार दबाकर एक बार से अधिक वोट करना संभव नहीं है, क्योंकि मतदान इकाई में किसी उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित बटन को एक बार दबाने के बाद मशीन बंद हो जाती है. यदि कोई व्यक्ति एक साथ दो बटन दबाता है तो उसका मतदान दर्ज नहीं होता है. इस प्रकार ईवीएम मशीन 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है.