Election Result 2022: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में हार मिली है. साल 2017 के चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अखिलेश को इस बार काफी उम्मीदें थीं, लेकिन जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोक दिया. बेरोजगारी, किसान समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार को लगातार घेरने वाले अखिलेश यादव के सपा गठबंधन को 125 सीटों से संतोष करना पड़ा, जबकि बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत हासिल की. सपा की हार से सिर्फ अखिलेश यादव को मायूसी हासिल नहीं हुई, बल्कि महीनों से कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष जो उम्मीद लगाए बैठा था, उस पर भी पानी फिर गया. दरअसल, पिछले साल बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी, जिसके बाद ये पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले काफी अहम हो गए थे.
सपा को मिलती जीत तो '24 के लिए विपक्ष को मिलती मदद?
भले ही उत्तर प्रदेश में इस बार का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और सपा ने अलग-अलग लड़ा हो, लेकिन दोनों ही दलों का एक ही लक्ष्य था और वह बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना. कांग्रेस की ओर से महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा कई महीनों तक चुनावी मैदान में रहकर बीजेपी का विरोध करती रहीं तो आखिरी के महीनों में अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के साथ मिलकर ताबड़तोड़ तरीके से प्रचार किया. सपा ने बेरोजगारी, पुरानी पेंशन की बहाली, किसान आंदोलन का मुद्दा खूब उठाया और किला जीतने करने का दावा करते रहे, लेकिन नतीजे अखिलेश के हिसाब से नहीं आए. उधर, प्रियंका गांधी ने भी हाथरस, उन्नाव, लखीमपुर खीरी मुद्दों पर काफी आक्रामक दिखाई दीं और योगी सरकार पर जमकर अटैक किए. एक्सपर्ट्स की मानें तो अखिलेश की हार के साथ ही कांग्रेस, बसपा, शिवसेना आदि को भी झटका लगा है. यदि सपा को जीत मिलती तो पूरा विपक्ष लोकसभा चुनाव में नए तेवरों के साथ उतर सकता था. जिन मुद्दों को अखिलेश यादव ने जोरशोर से उठाया है, उन्हीं मुद्दों पर बीजेपी को घेरे जाने की उम्मीदें बढ़ सकती थीं.
बंगाल में बीजेपी को हरा ममता ने पूरे विपक्ष में जगाई थीं उम्मीदें
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने के बाद से ही बीजेपी ने कई राज्यों में सरकार बनाई है. फिर चाहे यूपी में साल 2017 का विधानसभा चुनाव हो या फिर उत्तराखंड से लेकर असम तक के चुनाव. पिछले कुछ सालों में नॉर्थ-ईस्ट राज्यों तक में बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली तो दक्षिण भारत में भी पैर पसारने की पूरी कोशिश की. कई राज्यों पर कब्जा जमा चुकी बीजेपी को पिछले साल बंगाल में तब झटका लगा, जब ममता बनर्जी ने उनका जीत का रथ रोक दिया. दरअसल, साल 2019 में बीजेपी को बंगाल में 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत मिली. पार्टी को कुल 40.25 फीसदी वोट मिले, जिसके बाद कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेताओं को बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भेज दिया गया. हालांकि, बीजेपी को इन सबका ज्यादा फायदा नहीं मिला और पार्टी को चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी. बहुमत का दावा करने वाली बीजेपी को ममता बनर्जी ने 77 सीटों पर समेट दिया, जबकि टीएमसी 215 सीटें जीतने में कामयाब हो गई.
इन मुद्दों पर नहीं सफल हुई सपा, अब आम चुनाव में क्या करेगा विपक्ष?
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, पश्चिमी यूपी समेत कई राज्यों के किसानों ने लगभग सालभर तक दिल्ली सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र को कानूनों को रद्द करने पर मजबूर कर दिया. पिछले साल के अंत में जब कानूनों को रद्द किया गया, तो उसके बाद भी किसान संगठन और उनके नेता बीजेपी सरकार के खिलाफ हावी रहे. राकेश टिकैत भी खुले मंच से चुनाव में बीजेपी का विरोध करने से नहीं चूके. वहीं, सपा गठबंधन को बेरोजगारी के मुद्दे पर भी युवाओं का काफी समर्थन मिला और जगह-जगह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी लगातार केंद्र सरकार पर बेरोजगारी और महंगाई को लेकर निशाना साधते रहे हैं. हालांकि, अब जब सभी बड़े मुद्दों के लंबे समय तक हावी रहने के बाद भी सपा को जीत नहीं मिल सकी तो सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या 2024 में बीजेपी को हराने का सपना देख रही कांग्रेस समेत विपक्ष को इन मुद्दों के जरिए से जीत मिल सकेगी या फिर कोई नया मुद्दा ढूंढना होगा.
कांग्रेस न तीन में और न तेरह में...
इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जिसकी सबसे खराब स्थिति रही है, उसमें कांग्रेस का नाम सबसे ऊपर है. सभी राज्यों में लड़ रही कांग्रेस किसी भी प्रदेश में सरकार नहीं बना सकी. यहां तक कि पंजाब में जो कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में थी, उसे भी गंवा दिया. पंजाब में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला तो यूपी में भी कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई. कांग्रेस ने यूपी की 403 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से सिर्फ दो ही सीटों पर जीत दर्ज कर सकी. यूपी के विधानसभा चुनावों के इतिहास में कांग्रेस का यह सबसे बुरा प्रदर्शन रहा. इससे पहले, साल 2017 में पार्टी को सात सीटें मिली थीं, लेकिन प्रदेश में एक समय था जब पार्टी 388 सीटें तक जीत चुकी थी. हालांकि, 90 के दशक के बाद से ही कांग्रेस को यूपी में 50 से ज्यादा सीटें नहीं मिल सकी हैं. वहीं, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर में भी कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है.